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    Silicon Valley Bank: कैसे डूबा अमेरिका का सिलिकॉन वैली बैंक? भारत पर क्या होगा इसका असर

    By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav Shalya
    Updated: Mon, 13 Mar 2023 03:04 PM (IST)

    How Silicon Valley Bank Fall will impact Indian Market सिलिकॉन वैली बैंक के फेल को 2008 के बाद अमेरिका का सबसे बड़ा बैंकिंग काइसिस माना जा रहा है। इसका प्रभाव अमेरिका के साथ भारत समेत दुनिया के अन्य देशों पर भी देखने को मिल सकता है। (फाइल फोटो)

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    how Silicon Valley Bank fall impact indian startup

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अमेरिका स्थित सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank (SVB)) डूब गया है। बैंक की जमा को अमेरिकी रेगुलेटर ने अपने नियंत्रण में ले लिया है और जमाकर्ताओं से कहा है कि उनकी राशि पूरी तरह से सुरक्षित है। अब इसके बाद लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि इसका भारत पर क्या असर होगा।

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    कैसे फेल हुआ सिलिकॉन वैली बैंक?

    सिलिकॉन वैली बैंक का काम दुनिया की स्टार्टअप कंपनियों को सर्विसेज देना था। ऐसे स्टार्टअप जिनको फंडिंग मिलती थी, वो कम ब्याज दर होने और लिक्विडिटी की आसान शर्तें होने के कारण इस बैंक में अपना फंड जमा कराते थे, जो कि बैंक की ओर से डेट सिक्योरिटीज में निवेश किया जाता था।

    जैसे ही अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेड ने ब्याज दरों को बढ़ाना शुरु किया जमाकर्ताओं ने बेहतर रिटर्न कमाने के लिए बैंक से पैसा निकालना शुरू कर दिया। इस कारण बैंक को अपने उत्तरदायित्व को पूरा करने के लिए अपनी डेट सिक्योरिटीज को नुकसान में बेचना पड़ा। बैंक ने बताया कि इस वजह से उसे करीब दो अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।

    SVB पिछली फाइनेंशियल क्राइसिस से कितना अलग है?

    एसवीबी क्राइसिस किसी भी बैंक में एक प्रकार के केंद्रित जमा और उससे साथ जुड़े जोखिम को दिखाता है। इसके साथ यह खराब रिस्क मैनेजमेंट और रेगुलेटर्स की कलाई खोलता है। अगर इसी तरह के एक ही प्रकार के केंद्रित जमा वाले अन्य रिजनल बैंकों के जमाकर्ता पैनिक कर निकासी करने लगते हैं, तो अन्य बैंकों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, यह लेहमन ब्रदर्स क्राइसिस से काफी अलग है, जो कि डिफॉल्ट के कारण हुआ था।

    सरकार ने क्या कदम उठाए?

    अमेरिकी रिजर्व बैंक फेड की ओर से बैंक टर्म फंडिंग प्रोग्राम शुरू कर दिया गया है। इसके तहत किफायती दरों पर बैंकों की संपत्ति गिरवी रखकर लोन दिया जाता है, जिससे की कोई भी बैंक अपने संभावित निकासी के उत्तरदायित्व को पूरा कर सके और अपनी एसेट्स को जल्दबाजी में बाजार भाव पर न बेचें। हालांकि, बैंक को सरकार की ओर से कोई भी बेलआउट पैकेज नहीं दिया गया है, लेकिन जमाकर्ताओं को भरोसा दिलाया है कि उनकी राशि सुरक्षित है।

    2008 के बाद अमेरिका का सबसे बड़ा बैंकिंग क्राइसिस

    संपत्ति के हिसाब सिलिकॉन वैली बैंक 2008 के बाद अमेरिका का सबसे बड़ा बैंक फेल माना जा रहा है। इस बैंक की संपत्ति करीब 209 अरब डॉलर थी। इससे पहले 25 सितंबर, 2008 को अमेरिकी बैंक वाशिंगटन म्यूचुअल फेल हो गया था। इसकी संपत्ति करीब 307 अरब डॉलर की थी। अमेरिका में सबसे बड़ा फाइनेंशियल क्राइसिस लेहमन ब्रदर्स को माना जाता है, लेकिन वो बैंक नहीं था।

    सिलिकॉन वैली बैंक के फेल होने का भारत पर असर?

    आज के समय में दुनिया के सभी देशों की अर्थव्यवस्था एक दूसरे से जुड़ी हुई है। ऐसे में किसी देश के बैंक के फेल होने का असर दूसरे देशों पर दिखना स्वभाविक है। किसी भी अर्थव्यवस्था में इंटरलिंकेज आमतौर पर लिक्डिटी चैनल, प्राइस चैनल और डिमांड चैनल के माध्यम से होती है। तीनों की स्थिति 2022 की तुलना में काफी खराब है।

    लिक्डिटी चैनल: इसमें किसी भी बड़ी आर्थिक घटना का प्रभाव अर्थव्यवस्था में तत्काल दिखाई देता है। एफआईआई का आउटफ्लो होने के कारण भुगतान संतुलन (Balance of Payment (BoP) को नुकसान हो सकता है।

    प्राइस चैनल: 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कमोडिटी की कीमत में उछाल आया था। इसका प्रभाव कंपनियों के मर्जिन पर हुआ था। अगर अमेरिकी डॉलर एक बार फिर मजबूत होता है, तो इसका प्रभाव कर संग्रह और क्रेडिट ग्रोथ पर नकारात्मक हो सकता है।

    डिमांड चैनल: दुनिया में मंदी आने के कारण निर्यातकों को कम ऑर्डर मिलेंगे। इस कारण भारत के निर्यात में भी कमी आ सकती है।

    जहां तक बात की जाए भारतीय अर्थव्यवस्था की तो यह खपत पर निर्भर करती है। SVB के फेल होने का प्रभाव पश्चिमी देशों के मुकाबले काफी कम हो सकता है। क्योंकि SVB स्टार्टअप कंपनियों से जुड़ा था। इस कारण कुछ प्रभाव देश की स्टार्टअप कंपनियों पर हो सकता है।

    शेयर बाजार पर क्या होगा असर?

    भारतीय शेयर बाजार 2023 की शुरुआत से वैश्विक बाजारों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में वैश्विक बाजारों में अधिक गिरावट होती है, तो इसका प्रभाव भारतीय शेयर बाजारों पर भी दिख सकता है।

     

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