Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    RBI Report: कम हुई महंगाई तो आम आदमी की जेब में बचने लगा पैसा, घरेलू बचत में बढ़ोतरी

    RBI Financial Report आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार हाउसहोल्ड फाइनेंशियल सेविंग में यह बढ़ोतरी अनुकूल आर्थिक दृष्टिकोण और महंगाई के कम होने की वजह से हुई है। आरबीआई ने कहा कि देश का आर्थिक माहौल सकारात्मक बना हुआ है लेकिन ग्लोबल फाइनेंशियल कंडीशन के चलते ग्रोथ को लेकर सतर्क रुख अपनाया है।

    By Chandrashekhar Gupta Edited By: Chandrashekhar Gupta Updated: Fri, 30 May 2025 04:51 PM (IST)
    Hero Image
    आरबीआई की रिपोर्ट में भरोसा जताया गया है कि रिटेल इंफ्लेशन कंट्रोल में रहेगा।

    नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई के कम होने से लोगों की घरेलू बचत बढ़ी है। आरबीआई की 2024-25 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की घरेलू वित्तीय बचत 2023-24 में, ग्रॉस नेशनल डिस्पोजेबल इनकम (GNDI) के 5.1 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो पिछले साल कई वर्षों के निचले स्तर पर आ गई थी। दरअसल, हाउसहोल्ड फाइनेंशियल सेविंग में यह बढ़ोतरी अनुकूल आर्थिक दृष्टिकोण और महंगाई के कम होने की वजह से हुई है। आरबीआई की रिपोर्ट में भरोसा जताया गया है कि रिटेल इंफ्लेशन 12 महीने की समय सीमा में RBI के 4 प्रतिशत लक्ष्य के दायरे में रहेगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्या होती है हाउसहोल्ड फाइनेंशियल सेविंग

    दरअसल, हाउसहोल्ड फाइनेंशियल सेविंग, किसी परिवार की आय का वह हिस्सा है जिसे वर्तमान में खर्च करने के बजाय भविष्य के उपयोग के लिए अलग रखा जाता है। इस तरह की बचत में बैंक डिपॉजिट, लोन और इक्विटी इन्स्ट्रूमेंट में निवेश और बीमा पॉलिसियों जैसी फाइनेंशियल एसेट आदि आती है।

    ये भी पढ़ें- GDP Data: चौथी तिमाही में जीडीपी में 7.4% की तेज उछाल, यह उम्मीद से कहीं बेहतर

    आरबीआई ने रिपोर्ट में और क्या कहा

    आरबीआई की रिपोर्ट के अनसार, सकल घरेलू बचत, जीएनडीआई के हिस्से के रूप में, 2023-24 में 30.3 प्रतिशत पर स्थिर रही। इसी अवधि में घरेलू सकल वित्तीय बचत जीएनडीआई के 11.2 प्रतिशत तक बढ़ गई, जो 2022-23 में 10.7 प्रतिशत थी; देनदारियाँ बढ़कर 6.1 प्रतिशत हो गईं। परिणामस्वरूप, शुद्ध घरेलू वित्तीय बचत 4.9 प्रतिशत से बढ़कर 5.1 प्रतिशत हो गई।

    इस रिपोर्ट में कहा गया है, "बचत-निवेश अंतर 2023-24 के दौरान कम हो गया है", इस बदलाव का कारण  सरकार द्वारा कम निकासी, परिवारों और नॉन-फाइनेंशियल कॉरपोरेशन की ओर से निवेश की मांग में कमी और वित्तीय निगमों द्वारा बचत में कमी को बताया गया है।

    ये भी पढ़ें- 28 वर्षों में 12 देशों से आगे निकली भारत की जीडीपी, जानिए किस वर्ष किस देश को पीछे छोड़ा

    आरबीआई ने कहा कि देश का आर्थिक माहौल सकारात्मक बना हुआ है लेकिन ग्लोबल फाइनेंशियल कंडीशन के चलते ग्रोथ को लेकर सतर्क रुख अपनाया है। वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025-26 में बाजार अमेरिकी टैरिफ नीतियों और अन्य द्वारा किए जाने वाले पारस्परिक उपायों के प्रभावों पर बारीकी से नज़र रखेंगे।