सस्ते होंगे होम लोन, अॉटो लोन
भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर डॉ. रघुराम राजन आम जनता, केंद्र सरकार और उद्योग जगत की उम्मीदों पर खड़े उतरे हैं। राजन ने मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए रेपो रेट में 50 आधार अंकों (50 फीसद) की कटौती कर दी है। इससे रेपो रेट पिछले चार वर्षों के सबसे
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर डॉ. रघुराम राजन आम जनता, केंद्र सरकार और उद्योग जगत की उम्मीदों पर खड़े उतरे हैं। राजन ने मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए रेपो रेट में 50 आधार अंकों (50 फीसद) की कटौती कर दी है। इससे रेपो रेट पिछले चार वर्षों के सबसे न्यूतम स्तर 6.75 फीसद पर आ गया है। इससे होम लोन, अॉटो लोन, पर्सनल लोन व अन्य बैंकिंग कर्ज के सस्ता होने के आसार हैं। आरबीआइ की घोषणा के कुछ ही देर बाद आंध्रा बैंक ने अपने बेस रेट में २५ आधार अंकों की कटौती कर यह संकेत दे दिया है कि इस बार रेपो रेट में कमी का फायदा आम जनता को देने को तैयार हैं। सनद रहे कि जनवरी, 2015 में भी आरबीआइ ने तीन बार रेपो रेट में 25-25 आधार अंकों की कटौती की थी लेकन इसका खास फायदा आम जनता को सस्ते कर्ज के तौर पर नहीं मिला था। इस तरह से इस वर्ष रेपो रेट में 1.25 यानी 125 आधार अंकों की कमी हो चुकी है। आरबीआइ गर्वनर ने उम्मीद जताई है कि बैंक अब ग्राहकों को इस कटौती का फायदा देंगे।
आरबीआइ गर्वनर ने यह कदम देश में महंगाई की स्थिति के पूरी तरह से काबू में आने की संभावना के बाद लिया है। थोक मूल्य आधारित महंगाई की दर नवंबर, 2014 से ही शून्य से नीचे बनी हुई है। खुदरा कीमतों पर आधारित महंगाई की दर वैसे तो पांच फीसद के करीब है लेकिन अब यह मान लिया गया है कि इसमें बहुत ज्यादा बढ़ोतरी की गुंजाइश नहीं है। आरबीआइ और सरकार के बीच सहमति बनी है कि मार्च, 2016 तक देश में खुदरा महंगाई की दर छह फीसद से नीचे रहनी चाहिए। आरबीआइ को अब भरोसा हो गया है कि देश के कई हिस्सों में मानसून के खराब रहने के बावजूद महंगाई की स्थिति बहुत बिगड़ने नहीं जा रही है। खाने पीने की चीजों में दाल व कुछ प्रोटीन उत्पादों को छोड़ दें तो महंगाई की स्थिति बहुत हद तक नियंत्रण में है। जानकारों का कहना है कि महंगाई की स्थिति मार्च, 2016 तक 5.8 फीसद से ज्यादा नहीं रहेगी। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें लगातार नीचे बनी हुई हैं। चालू खाते में घाटे (आयात पर खर्च होने वाले विदेशी मुद्रा और निर्यात से होने वाली कमाई के बीच का अंतर) की स्थिति भी काफी अच्छी है। इन वजहों के मद्देनजर ही आरबीआइ गर्वनर ने रेपो रे में एकमुश्त 50 आधार अंकों की कटौती कर दी है।
ब्याज दरों में कटौती के इस फैसले से आने वाले दिनों में देश की आर्थिक विकास दर को भी मजबूती मिलेगी। कर्ज की दर सस्ता होने की वजह से उद्योग जगत नए निवेश के लिए उत्साहित होगा। कई जानकारों का मानना है कि भारत में अब लंबी अवधि तक ब्याज दरें नीचे ही रहेंगी। यह सरकार की मेक इन इंडिया कार्यक्र्म को भी फायदा पहुंचाएगा।
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