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    "5 सेकंड भी नहीं टिकेगा ट्रंप का H-1B वीजा क्योंकि..." अमेरिका-भारत में मचे हड़कंप के बीच कोर्ट जाने की तैयारी

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 01:45 PM (IST)

    डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump H-1B visa order) के H-1B वीजा पर नए आदेश के अनुसार कंपनियों को प्रत्येक वीजा के लिए $100000 देने होंगे। USCIS के पूर्व अधिकारी डग रैंड ने इसे कोर्ट में टिकने वाला नहीं बताया। Google Microsoft जैसी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को तुरंत अमेरिका लौटने को कहा है।

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    $100,000 की फीस लगाकर एंट्री बैन करना ये कानून के मुताबिक नहीं है।

     नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नया आदेश H-1B वीजा को लेकर पूरी दुनिया और खासकर भारत में चर्चा का विषय बना है। कंपनियों को हर H-1B वीजा के लिए $100,000 (लगभग ₹88 लाख) देने होंगे। इस बीच अमेरिका की नागरिकता और इमीग्रेशन सर्विसेज (USCIS) के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी का बड़ा बयान आया है। 

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    यह आदेश कोर्ट में 5 सेकंड भी नहीं टिकेगा

    अमेरिका की नागरिकता और इमीग्रेशन सर्विसेज (USCIS) के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डग रैंड ने New York Times से बातचीत में कहा कि, ''$100,000 की फीस लगाकर एंट्री बैन करना ये कानून के मुताबिक नहीं है। कोर्ट में ये आदेश 5 सेकंड भी नहीं टिकेगा।" 

    टॉम जवेट्स, जो कि बाइडन प्रशासन में डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी में वरिष्ठ वकील रह चुके हैं, उन्होंने भी यही बात दोहराई कि   "कानून ऐसे नहीं चलाए जाते।"

    H-1B वीजा की बढ़ी फीस के बीच Google, Microsoft, Meta, और Amazon जैसी बड़ी टेक कंपनियों ने तुरंत अपने H-1B और H4 वीजा होल्डर कर्मचारियों से कहा कि 21 सितंबर से पहले अमेरिका लौट आएं, जिससे और अफरा-तफरी मच गई।

    यह भी पढ़ें: H1B Visa की बढ़ी ₹88 लाख फीस से भारत को होगा ये बड़ा फायदा, इंफोसिस वेटरन मोहनदास पाई ने बताया कैसे?

    H-1B वीजा क्या है?

    H-1B एक नॉन इमीग्रेशन काम करने का वीजा (non-immigrant work visa) है, जिससे अमेरिकी कंपनियां विदेशों से स्किल्ड टैलेंट को हायर करती हैं। खासकर IT, इंजीनियरिंग, फाइनेंस और हेल्थकेयर जैसे सेक्टरों में इसका खूब इस्तेमाल होता है।

    भारत से हर साल सबसे ज्यादा H-1B वीजा होल्डर अमेरिका जाते हैं। इसीलिए, यह फैसला भारत को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।

    ट्रंप सरकार का तर्क क्या है?

    अमेरिका के कॉमर्स सेक्रेटरी ने फैसले का समर्थन करते हुए कहा, "अगर कोई कर्मचारी कंपनी और अमेरिका के लिए सच में जरूरी है, तो कंपनी उसकी कीमत चुकाएगी। नहीं तो कंपनी किसी अमेरिकी को नौकरी देगी।"

    ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि कंपनियां H-1B वीजा का गलत इस्तेमाल करती हैं। सस्ता विदेशी टैलेंट लाकर अमेरिकियों को नौकरी से वंचित कर देती हैं।

     यह आदेश कितने समय तक लागू रहेगा?

    रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह आदेश 12 महीनों के लिए लागू रहेगा। उसके बाद इसे जारी रखने या रद्द करने पर फैसला H-1B वीजा लॉटरी के बाद लिया जाएगा।

    भारत की प्रतिक्रिया: मानवीय असर हो सकता है

    भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस आदेश को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है। मंत्रालय ने कहा कि, "इस फैसले से परिवारों को काफी परेशानी होगी। इसका मानवीय असर हो सकता है। उम्मीद है कि अमेरिका इन बातों का संज्ञान लेगा।"

    MEA के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच टैलेंट एक्सचेंज और स्किल्ड प्रोफेशनल्स का आना-जाना टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा "ऐसे फैसलों का आकलन दोनों देशों को आपसी लाभ को ध्यान में रखकर करना चाहिए, क्योंकि हमारी 'people-to-people' कनेक्शन भी बेहद मजबूत है।"