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    '5189 वीजा मिलने के बाद कंपनी ने 16000 अमेरिकियों को नौकरी से निकाला', H-1B Visa फैसले का शुरू हुआ असर

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 11:24 AM (IST)

    अमेरिका में H1-B वीजा को लेकर हलचल है। व्हाइट हाउस के अनुसार कुछ अमेरिकी कंपनियां कम सैलरी पर विदेशियों को काम देकर अमेरिकियों को निकाल रही हैं। 2023 में आईटी क्षेत्र में H1-B वीजा की मांग 32% से बढ़कर 65% हो गई जिससे अमेरिकी युवाओं में बेरोजगारी बढ़ रही है। STEM क्षेत्रों में विदेशियों की संख्या दोगुनी हो गई है।

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    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। फोटो- रायटर्स

    डिजिटल डेस्क, वाशिंगटन। अमेरिका के H1-B वीजा को लेकर पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है। सबके मन में एक ही सवाल है कि आखिर डोनाल्ड ट्रंप ने रातों रात H1-B वीजा की फीस क्यों बढ़ा दी? इसके जवाब में व्हाइट हाउस ने एक फैक्ट शीट जारी की है।

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    व्हाइट हाउस की इस फैक्ट शीट के अनुसार, कई अमेरिकी कंपनियां H1-B वीजा के जरिए अन्य देशों से आए लोगों को कम सैलरी में काम देती हैं और भारी संख्या में अमेरिकियों को नौकरी से निकाल देती हैं।

    फैक्ट शीट में क्या-क्या?

    व्हाइट हाउस का कहना है, 2023 में आईटी के क्षेत्र में H1-B वीजा की मांग 32 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर 65 प्रतिशत हो गई है। इससे पता चलता है कि H1-B वीजा के कारण अमेरिकी युवाओं में बेरोजगारी बढ़ रही है।

    व्हाइट हाउस की फैक्ट शीट के अनुसार,

    हाल ही में कंप्यूटर साइंस से स्नातक करने वाले 6.1 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं और कंप्यूटर इंजीनियरिंग करने वाले 7.5 प्रतिशत युवाओं के पास नौकरी नहीं है। इतिहास समेत अन्य विषयों में यह आंकड़े और भी अधिक हैं।

    अमेरिकी युवाओं की नौकरी जाने का दावा

    व्हाइट हाउस की फैक्ट शीट में दावा किया गया है कि STEM ((Science, Technology, Engineering, and Mathematics) क्षेत्रों में सिर्फ 44.5 प्रतिशत नौकरियां ही बढ़ी हैं। हालांकि, 2000-2019 के बीच में STEM क्षेत्र में विदेश से आने वाले कर्मचारियों की संख्या दोगुनी हो गई है।

    व्हाइट हाउस ने अपनी फैक्ट शीट में कुछ कंपनियों का ब्यौरा भी पेश किया है।

    कंपनी
    साल
    H1-B वीजा धारकों को नौकरी दी
    अमेरिकियों को नौकरी से निकाला
    कंपनी 1 FY 2025 5,189 16,000
    कंपनी 2 FY 2025 1,698 2,400
    कंपनी 3 FY 2022 25,075 27,000
    कंपनी 4 FY 2025 1,1137 1,000

    अमेरिका फर्स्ट की नीति

    व्हाइट हाउस का कहना है कि अमेरिका फर्स्ट की नीति के तहत यह कदम उठाया गया है। अमेरिकी सरकार चाहती है कि कंपनियां अमेरिकी युवाओं को पहली प्राथमिकता दें।

    व्हाइट हाउस की फैक्ट शीट के अनुसार, "मतदाताओं ने राष्ट्रपति ट्रंप को दोबारा सत्ता सौंपी, जिससे वो अमेरिकी कर्मचारियों को आगे रख सकें। ट्रंप हर दिन इसके लिए काम कर रहे हैं। ट्रंप लगातार नई ट्रेड डील पर बातचीत कर रहे हैं। मैन्युफैक्चरिंग जॉब को अमेरिका में फिर से वापस लाने की कोशिश की जा रही है। अमेरिका में जन्में सभी लोगों को रोजगार जरूर मिलेगा।"

    H1-B वीजा से अमेरिका में बढ़ी हलचल

    बता दें कि अमेरिका में H1-B वीजा का 70 प्रतिशत से ज्यादा लाभ भारतीयों को होता था। वहीं, अब H1-B वीजा हासिल करने के लिए 1,00,000 डॉलर ( लगभग 90 लाख रुपये) की फीस चुकानी होगी। यह आदेश रविवार रात 12 बजे से ही लागू हो गया है।

    भारत पर क्या होगा असर?

    ट्रंप के H1-B वीजा पर फीस बढ़ाने का सबसे ज्यादा असर भारत पर देखने को मिल सकता है। अमेरिका के कुल H1-B वीजा धारकों में 71 प्रतिशत भारतीय हैं, जो अमेजन, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों में कार्यरत हैं। ट्रंप के नए फैसले से अमेरिकी तकनीकी क्षेत्र में भी खलबली मच गई है। अमेरिका में भारतीय दूतावास ने आपात स्थिति के लिए हेल्पलाइन नंबर +12025509931 भी जारी किया है।

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