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    Trump H1B का पड़ोसी चीन को कितना खतरा, भारत के अलावा किस देश पर सबसे ज्यादा होगा असर?

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 08:54 PM (IST)

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच-1बी वीजा (Trump H1B visa) को लेकर नए नियम से चिंताएं बढ़ गई हैं। ट्रंप ने वीजा पर 100000 डॉलर की भारी फीस लगाने का फैसला किया है। एच-1बी वीजा का सबसे बड़ा फायदा भारत को मिलता है। वित्त वर्ष 2023 में स्वीकृत एच-1बी वीजा में 73% भारतीय नागरिक थे जबकि चीन 12% के साथ दूसरे स्थान पर था।

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    राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का H-1B visa वाला राग चुनाव से ही सुर्खियों में बना रहा।

    नई दिल्ली। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का  H-1B visa वाला राग चुनाव से ही सुर्खियों में बना रहा। आखिरकार इन चिंताओं को फिर से हवा मिली जब ट्रंप (Trump H1B) ने वीजा पर 100,000 डॉलर का भारी सालाना फीस लेने का फरमान सुनाया। सिर्फ 1 दिन का समय मिला।

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    क्योंकि एच-1बी वीजा का सबसे बड़ा लाभार्थी भारत है। दिनभर इसके फायदे और नुकसान की चर्चा खूब हुई और जारी है।

    इस बीच क्या आप जानते हैं कि पड़ोसी चीन पर कितना असर होगा। साथ ही भारत के अलावा किस देश पर सबसे ज्यादा प्रभाव होगा? यदि नहीं तो हम यहां आपको इसी के बारे में बताएंगे।

    एच-1बी वीजा : कौन से देश की कितनी हिस्सेदारी

    प्यू रिसर्च सेंटर और द बिजनेस स्टैंडर्ड जैसे सोर्स से मिले आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में स्वीकृत सभी एच-1बी वीजा आवेदनों में लगभग 73% भारतीय नागरिकों के थे, जिससे अमेरिकी तकनीकी और सेवा क्षेत्र में उनकी प्रमुख स्थिति बनी हुई है।

    हालांकि, चीन लगभग 12% स्वीकृत आवेदनों के साथ, दूसरे स्थान पर है। हालांकि संख्या भारत से बहुत कम है, फिर भी चीनी प्रतिभा पूल अमेरिकी तकनीकी, इंजीनियरिंग और अनुसंधान क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    भारत और चीन के अलावा, कोई भी देश 3% के आंकड़े को पार नहीं कर पाया, लेकिन कुछ मुट्ठी भर देश एच-1बी आवेदन प्रक्रिया में अपनी निरंतर और सार्थक उपस्थिति बनाए हुए हैं। इनमें

    देश हिस्सेदारी
    कनाडा 3%
    ताइवान 1.30%
    दक्षिण कोरिया 1.30%
    मैक्सिको 1.20%

    इन चार के अलावा Philippines, Pakistan, Brazil, Nepal की यह हिस्सेदारी करीब 0.8% ही है।

    यह भी पढ़ें: H1B Visa की बढ़ी ₹88 लाख फीस से भारत को होगा ये बड़ा फायदा, इंफोसिस वेटरन मोहनदास पाई ने बताया कैसे?

    ट्रंप सरकार के उक्त फैसला को लेकर कई लोगों ने कहा है कि इससे आइटी सेक्टर के बेहद कार्यकुशल पेशेवर भारत लौटेंगे जिससे भारत को फायदा होगा। इसमें नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत भी हैं।

    अधिकांश आइटी कंपनियां वैसे चुप हैं लेकिन कुछ कंपनियों ने बयान जारी कर कहा है कि उन्हें इस तरह की आशंका पहले से थी और वह पहले से ही इस हालात के लिए तैयारी कर रही थी।