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    GST में बड़े बदलाव की तैयारी! अलग-अलग दरों को एक समान करने पर हो रहा विचार; जानें और क्या-क्या हो सकता है फेरबदल?

    Updated: Tue, 29 Jul 2025 08:45 PM (IST)

    GST reforms वित्त मंत्रालय में इन दिनों जीएसटी प्रणाली (GST System) को अगले चरण में ले जाने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। जीएसटी के स्लैब में बदलाव को लेकर राज्यों के साथ विचार-विमर्श चल रहा है। एक ही प्रकार की वस्तु के अलग-अलग मूल्य होने पर जीएसटी की अलग-अलग दरों को भी एक समान करने विचार हो रहा है।

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    कच्चे माल और उनसे बनने वाले तैयार माल की जीएसटी दर को समान करने पर चर्चा हो रही है।

    नई दिल्ली| GST reforms : वित्त मंत्रालय में इन दिनों जीएसटी प्रणाली (GST System) को अगले चरण में ले जाने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। जीएसटी के स्लैब में बदलाव को लेकर राज्यों के साथ विचार-विमर्श चल रहा है। एक ही प्रकार की वस्तु के अलग-अलग मूल्य होने पर जीएसटी की अलग-अलग दरों को भी एक समान करने विचार हो रहा है।

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    कच्चे माल और उनसे बनने वाले तैयार माल की जीएसटी दर को समान करने पर चर्चा हो रही है तो जीएसटी रिफंड को इनकम टैक्स रिफंड की तरह सरल बनाने की कोशिश की जा रही है। सभी राज्यों के एकमत होने पर ही जीएसटी से जुड़ा कोई भी बदलाव लाया जा सकता है और यह बदलाव जीएसटी काउंसिल की बैठक में ही संभव है। इसलिए जीएसटी की अगली बैठक से पहले राज्यों के बीच सहमति बनाने की कोशिश है।

    यह अलग बात है कि पिछले सात महीनों से जीएसटी काउंसिल की बैठक नहीं बुलाई गई है जबकि चलन के मुताबिक हर तीसरे महीने काउंसिल की बैठक बुलाई जाती है। अब संसद सत्र के खत्म होने के बाद अगस्त आखिर या सितंबर शुरू में ही काउंसिल की बैठक संभव है।

    बदलाव की तैयारी पर काम चल रहा

    वित्त मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि काउंसिल की बैठक भले ही नहीं बुलाई गई है, लेकिन जीएसटी के बड़े बदलाव की तैयारी पर काम चल रहा है। राज्यों के साथ इस संबंध में कई बैठकें भी हुई है। आठ साल पहले वर्ष 2017 के जुलाई में जीएसटी प्रणाली की शुरुआत के बाद से ही जीएसटी स्लैब को कम करने की चर्चा चल पड़ी थी, लेकिन इस दिशा में कुछ नहीं हुआ।

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    अब जीएसटी संग्रह भी मासिक रूप से दो लाख करोड़ से अधिक होने लगा है, इसलिए अब उपभोक्ता और कारोबारी दोनों के हितों को ध्यान में रखते हुए बदलाव की तैयारी हो रही है। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि विकसित देशों में जीएसटी का एक ही स्लैब है, लेकिन भारत में यह संभव नहीं है। अभी जीएसटी स्लैब मुख्य रूप से पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत का है। सोने पर तीन प्रतिशत जीएसटी है।

    12 और 18 की जगह नए स्लैब की तैयारी

    सूत्रों का कहना है कि 12 और 18 की जगह एक नया स्लैब लाया जा सकता है। 12 प्रतिशत के स्लैब को समाप्त कर उस स्लैब में शामिल वस्तुओं को पांच और 18 प्रतिशत के स्लैब में शामिल किया जा सकता है। ऐसे में, वर्तमान में 12 प्रतिशत में शामिल जिन वस्तुओं को 18 प्रतिशत के स्लैब में शामिल किया जाएगा, वे महंगी हो जाएंगी और जिन्हें पांच प्रतिशत में डाला जाएगा, वे सस्ती हो जाएंगी। ऐसे में महंगी होने वाली वस्तु की बिक्री प्रभावित हो सकती है। 

    असमानता को खत्म करने की तैयारी

    राज्यों के बीच इन्हीं सब चीजों को लेकर सहमति बनाना है। अभी गारमेंट से लेकर फुटवियर तक में 1000 रुपए से अधिक और कम कीमत पर अलग-अलग जीएसटी दरें हैं। इस प्रकार की असमानता को खत्म किया जा सकता है। गारमेंट से जुड़े कच्चे माल पर जीएसटी की दर अलग है तो तैयार माल पर अलग। इसे भी एक समान करने की तैयारी हो रही है।

    इससे कारोबारियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) लेने में दिक्कत होती है।मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक आम लोगों से जुड़ी चीजों की जीएसटी दर में कमी लाई जा सकती है। इससे इन वस्तुओं की खपत बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। जीएसटी कम करने से बिक्री अधिक होगी और इससे राजस्व भी प्रभावित नहीं होगा।