महंगे होंगे लॉटरी टिकट, सरकार ने बढ़ाई GST की दर, स्पेशल स्लैब के तहत लगेगा इतना टैक्स
जीएसटी काउंसिल ने तंबाकू लग्जरी प्रोडक्ट समेत कुछ अन्य उत्पादों को 40% के स्पेशल स्लैब में रखा है। इनमें लॉटरी गेम्बलिंग कैसिनो और हॉर्स राइडिंग समेत ऑनलाइन मनी गेमिंग शामिल है जिन पर अब इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ 40 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। इससे पहले यह दर 28 प्रतिशत थी। केरल को भारत के लॉटरी बाज़ार में सबसे बड़ा खिलाड़ी माना जाता है।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जीएसटी की दरों (GST New Slabs) में बड़ी कटौती करके देश के आम आदमी को बड़ी राहत दी है। हालांकि, सरकार ने तंबाकू, लग्जरी प्रोडक्ट समेत कुछ अन्य उत्पादों को 40% के स्पेशल स्लैब (40% GST on Sin Goods) में रखा है, इनमें लॉटरी भी शामिल है, जिस पर अब इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ 40 प्रतिशत जीएसटी लगेगा, जो पहले 28 प्रतिशत था।
हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस ऐलान से लॉटरी के बिजनेस से जुड़े लोग नाराज हैं, खासकर केरल में। अगस्त के आखिरी में, केरल के सांसदों और ट्रेड यूनियन नेताओं समेत एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्री को ज्ञापन सौंपा था, जिसमें केंद्र से लॉटरी पर जीएसटी को 28 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने के कदम को रोकने का आग्रह किया गया था।
क्या होगा असर
दरअसल, लॉटरी पर जीएसटी की दर बढ़ने से यह बिजनेस प्रभावित हो सकता है, खासकर टिकटों की बिक्री पर इसका असर होगा। 2017 में जब जीएसटी पहली बार लागू हुआ था, तब लॉटरी टिकटों पर 12% टैक्स लगता था, लेकिन 2020 में इसे बढ़ाकर 28% कर दिया गया।
इसके बाद, टिकटों की कीमतें ₹30 से बढ़कर ₹40 और बाद में ₹50 हो गईं और इनकी बिक्री प्रभावित हुई। चूंकि, अब लॉटरी पर जीएसटी की दरें 40 फीसदी हो गई हैं ऐसे में फिर से टिकट के दाम बढ़ेंगे और बिजनेस प्रभावित होने का खतरा बढ़ गया है।
'लॉटरी, लग्जरी प्रोडक्ट नहीं'
केरल में लॉटरी के बिजनेस से जुड़े लोगों ने तर्क दिया कि लॉटरी कोई विलासिता की वस्तु नहीं है। ऐसे में उसे 40% के हायर स्लैब में रखना अन्यायपूर्ण है। इसके बजाय, इसे 18 प्रतिशत वाले स्लैब में रखा जाना चाहिए।
बता दें कि केरल को भारत के लॉटरी बाज़ार में सबसे बड़ा खिलाड़ी माना जाता है। एंजेलवन की रिपोर्ट के अनुसार, देश के कुल लॉटरी रेवेन्यू में केरल का लगभग 97% हिस्सा है। keralakaumudi.com की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राज्य में लॉटरी की बिक्री से सालाना लगभग ₹14,000 करोड़ का रेवेन्यू हासिल होता है। इसमें से लगभग ₹3,000 करोड़ टैक्स के रूप में चुकाया जाता और लगभग ₹450 करोड़ मुनाफे के तौर पर बचते हैं।
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