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    सीमेंट सस्ती पर ईंट महंगी... त्योहारी सीजन में सरिया, टाइल्स और पेंट पर कितना कम हुआ GST, घर बनाने पर कितना असर?

    Updated: Sat, 11 Oct 2025 06:53 PM (IST)

    त्योहारी सीजन में घर खरीदारों के लिए अच्छी खबर है। जीएसटी दरों में कटौती के बाद दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों में प्रॉपर्टी के दाम कम हुए हैं। सीमेंट, सरिया जैसे सामान पर जीएसटी घटने से घर बनाना सस्ता हो गया है। रियल एस्टेट एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे डेवलपर्स और खरीदार दोनों को फायदा होगा और हाउसिंग की मांग बढ़ेगी।

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     जीएसटी दरों में कटौती के बाद दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों में प्रॉपर्टी के दामों में कमी आई है।

    नई दिल्ली| त्योहारी सीजन में जहां लोगों ने सोना-चांदी की खरीदारी अभी से तेज कर दी है, तो वहीं घर खरीदने वालों के लिए भी ये वक्त किसी “गोल्डन ऑफर” से कम नहीं। क्योंकि जीएसटी दरों (GST Rate Cut) में कटौती के बाद दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों में प्रॉपर्टी के दामों में कमी आई है। जिससे मकान अब पहले से ज्यादा किफायती हो गए हैं। खासकर तब, जब सीमेंट और सरिया जैसी निर्माण सामग्री की कीमतें स्थिर हैं। हालांकि, ईंटों की कीमतों में थोड़ी बढ़ोतरी जरूर हुई है। रियल एस्टेट एक्सपर्ट्स का मानना है कि जीएसटी दरों में कमी न केवल डेवलपस्क के वित्तीय बोझ को कम करेगा, बल्कि घर खरीदने वालों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा।

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    निर्माण सामग्री पर जीएसटी कटौती

    जीएसटी 2.0 की सबसे बड़ी खासियत यह है कि घर बनाने में लगने वाली चीजों पर नए टैक्स स्लैब बनाए गए हैं। पहले इन पर अलग-अलग तरह का टैक्स लगता था, जिससे बोझ ज्यादा पड़ता था। यूजेन इन्फ्रा के डायरेक्टर अमित ममगांई बताते हैं कि ये सुधार न केवल कर नीति को सरल बनाते हैं, बल्कि राज्यों में हाउसिंग की मांग को भी प्रोत्साहित करने का लक्ष्य रखते हैं।

    • सीमेंट और रेडी-मिक्स कॉन्क्रीट: पहले 28% की उच्च दर पर टैक्स लगाया जाता था। लेकिन अब यह 18% जीएसटी स्लैब में आते हैं, जिससे ये काफी किफायती हो गए हैं। कुल निर्माण खर्च में सीमेंट का योगदान लगभग 20-25% होता है, इसलिए इस कटौती का वास्तविक प्रभाव दिखेगा।
    • ईंट, टाइल और रेत: पहले 18% टैक्स लगता था, अब इसे केवल 5% कर दिया गया है। इस बड़ी कटौती से दीवारों, फर्श और प्लास्टरिंग की लागत कम होती है, जिससे डेवलपर्स और ग्राहकों दोनों को भारी राहत मिलती है।
    • वार्निश और पेंट्स: इन पर जीएसटी दर 28% से घटाकर 18% कर दी गई है, जिससे घर के इंटीरियर और फिनिशिंग खर्च में कमी आएगी।
    • स्टील बार और अन्य सामग्री- स्टील बार अब भी 18% स्लैब में हैं, लेकिन जीएसटी 2.0 व्यवस्था इनपुट कॉस्ट क्रेडिट को सरल बनाती है, जिससे डेवलपर्स की खरीद लागत में बचत होती है और ये लाभ अंत-उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जा सकता है।
    • प्लाईवुड और अन्य लकड़ी उत्पाद- जो पहले उच्च स्लैब के अंतर्गत आते थे, अब 18% स्लैब में शामिल हैं, जिससे कारपेंट्री और इंटीरियर खर्च में कमी आएगी।
    घर कितने सस्ते हुए हैं?

    इन महत्वपूर्ण निर्माण सामग्रियों पर जीएसटी दरों में कमी से पूरे देश में निर्माण की कुल लागत में अनुमानित 3-5% की गिरावट आने की संभावना है। यानी जिस घर की कीमत 22 सितंबर से पहले 70 लाख थी, जीएसटी में सुधार के बाद अब उसकी कीमत 67.9 लाख रुपए हो जाएगी। और आसान शब्दों में कहें तो आपकी 2.10 लाख रुपए तक की सीधी बचत हो सकती है।

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    राज्यवार कितने सस्ते हुए घर?

    दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद जैसे शहरों में निर्माण गतिविधि और सामग्री की कीमतें ज्यादा हैं, जो कुल कीमतों में महत्वपूर्ण हिस्सा रखते हैं, इसलिए यहां संपत्ति की कीमतों में अधिक तीव्र समायोजन देखने को मिलेगा।

    • दिल्ली-एनसीआर: जहां वर्टिकल कंस्ट्रक्शन में सीमेंट और स्टील का ज्यादा इस्तेमाल होता है। केवल सीमेंट पर 10% जीएसटी की कटौती से फ्लैट की कीमतें लगभग 1 से 1.2% तक कम हो सकती हैं।
    • महाराष्ट्र और कर्नाटक: मिड-सेगमेंट प्रोजेक्ट्स की बड़ी पाइपलाइन निर्माण में 3-4% सस्ती होगी, जिससे डेवलपर्स को घर की कीमतें घटाने या उपभोक्ताओं को अतिरिक्त प्रोत्साहन देने का अवसर मिलेगा।
    • लखनऊ, इंदौर और कोयम्बटूर जैसे टियर II शहर, जो किफायती हाउसिंग द्वारा नियंत्रित हैं, वहां ईंट और टाइल्स के 5% जीएसटी स्लैब में आने से नए यूनिट्स अधिक सस्ते हो जाएंगे।

    खरीदारों और डेवलपर्स को प्रोत्साहन

    घर खरीदने वालों के लिए ये सुधार दो प्रमुख लाभ प्रदान करते हैं। संपत्ति की कीमतों में कमी और प्रोजेक्ट लॉन्च में वृद्धि हो रही है, क्योंकि डेवलपर्स अब बढ़ी हुई कमर्शियल फिजीबिलिटी के प्रति अधिक आत्मविश्वास महसूस करेंगे। इनपुट लागतों में कमी के साथ, डेवलपर्स कीमतों को नियंत्रित करने, समय पर परियोजनाओं को पूरा करने और अधिक संस्थागत फंडिंग जुटाने की बेहतर स्थिति में होंगे। यह कदम उपभोक्ताओं की खरीद शक्ति को बढ़ावा देगा।