अगली दो तिमाहियों में विकास दर फिर से पकड़ेगी रफ्तार, वित्त मंत्रालय ने जताई संभावना
दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर के सुस्त होने के आंकड़ों के बाद वित्त मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि आने वाले दो तिमाहियों में विकास दर फिर से रफ्तार पकड़ेगी। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह बताया गया है कि भारत में महंगाई अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर के सुस्त होने के आंकड़ों के बाद वित्त मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि आने वाले दो तिमाहियों में विकास दर फिर से रफ्तार पकड़ेगी। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह बताया गया है कि भारत में महंगाई अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है और अब इसमें नरमी आने के संकेत है। साथ ही कृषि क्षेत्र की स्थिति भी उम्मीद से बेहतर होने की आस है।
विकास दर के सात फीसद रहने का अनुमान
जीडीपी के आंकड़ों के बारे में मीडिया से बात करते हुए वित्त मंत्रालय के प्रमुख आर्थिक सलाहकार वी अनंथ नागेस्वरन ने कहा कि आइएमएफ ने भारत की विकास दर के 6.8 फीसद और आरबीआइ ने सात फीसद का अनुमान लगाया है। हमारा आकलन है कि विकास दर इन दोनो के बीच ही रहेगी। खास तौर पर जिस तरह से थोक महंगाई की दर नीचे आने लगी है उसका सकारात्मक असर दिखाई देगा। इससे घरेलू मांग को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
एनपीए का स्तर काफी नीचे
नागेस्वरन ने सरकार की आशावादिता के पीछे दूसरी भी कई वजहें बताई। एक वजह कर्ज की रफ्तार में लगातार हो रही वृद्धि भी है। पिछले छह महीनों के दौरान कई बार ब्याज दरों के बढ़ने के बावजूद बैंकों से आवंटित होने वाले कर्ज में कोई कमी नहीं आई है। साथ ही बैंकों के एनपीए का स्तर भी काफी नीचे आ चुका है। बैंकों का हेल्थ हाल के महीनों की एक बड़ी उपलब्धि है जिसका सकारात्मक असर देश की इकोनॉमी पर भी पड़ना तय है।