Trump Tariffs का तोड़ निकालने की तैयारी! कमर कस रही सरकार, जानें क्या है बड़ा प्लान
आज 27 अगस्त से भारतीय आयात पर अमेरिका का 50% टैरिफ लागू (Trump Tariffs) हो गया है जिससे निपटने के लिए सरकार उपाय कर रही है। वाणिज्य मंत्रालय नए बाजारों में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सेक्टरों के निर्यातकों के साथ मीटिंग करेगा। इसका उद्देश्य उद्योगों को अमेरिकी शुल्क से बचाना है जिससे 48 अरब डॉलर से अधिक का निर्यात प्रभावित होगा।
नई दिल्ली। अमेरिका का 50 फीसदी टैरिफ (50% Trump Tariffs) आज बुधवार 27 अगस्त से भारतीय आयात पर लागू हो गया है। सरकार इससे निपटने के उपाय करने में जुट गयी है। इसी कड़ी में वाणिज्य मंत्रालय नए बाजारों में निर्यात को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा के लिए इस हफ्ते रसायन, रत्न एवं आभूषण समेत अलग-अलग सेक्टरों के निर्यातकों के साथ मीटिंग करेगा।
इसका मकसद उद्योगों को भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत के भारी अमेरिकी शुल्क से बचाना है। सरकार 2025-26 के बजट में घोषित निर्यात संवर्धन मिशन (Export Promotion Mission) को तैयार करने में तेजी से आगे बढ़ रही है।
48 अरब डॉलर से अधिक का निर्यात होगा प्रभावित
एक सरकारी अधिकारी के अनुसार ‘‘अगले दो-तीन दिन में मंत्रालय अन्य देशों को निर्यात बढ़ाने पर संबंधित पक्षों के साथ बैठक करेगा।’’ अमेरिका को निर्यात किये जाने वाले उत्पादों पर 27 अगस्त से 50 प्रतिशत का भारी शुल्क लागू हो गया है। इससे 48 अरब डॉलर से अधिक के निर्यात पर असर पड़ेगा।
कौन से सेक्टर होंगे प्रभावित
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के हाई टैरिफ का प्रतिकूल असर जिन क्षेत्रों पर पड़ेगा, उनमें कपड़ा/वस्त्र, रत्न एवं आभूषण, झींगा, चमड़ा और जूते, पशु उत्पाद, रसायन, तथा इलेक्ट्रिकल एवं यांत्रिक मशीनरी शामिल हैं।
वहीं औषधि, ऊर्जा उत्पाद और इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे क्षेत्र इन व्यापक शुल्कों के दायरे से बाहर हैं।
अमेरिका है सबसे बड़ा आयातक
अमेरिका भारतीय सामान का सबसे बड़ा आयातक है। भारत के वित्त वर्ष 2024-25 में 437.42 अरब डॉलर मूल्य के वस्तु निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 20 प्रतिशत थी। अमेरिका 2021-22 से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2024-25 में, वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 131.8 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। इनमें 86.5 अरब डॉलर निर्यात और 45.3 अरब डॉलर आयात था।
क्यों लगाया 50 फीसदी टैरिफ
अमेरिका के अनुसार यह टैरिफ रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखने के लिए लगाए गए हैं। इससे भारत के कई सेक्टर्स को भारी चोट लगेगी, जिसका असर देश के उन कई हिस्सों में अलग-अलग कारोबारों में दिखने लगा है, जो अपना माल अमेरिका को निर्यात करते हैं।
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