मनमानी करने वाले बिल्डरों की अब खैर नहीं; सरकार का डिजिटल डेटाबेस, रखेगा देश के सभी प्रोजेक्ट्स पर नजर
सरकार जल्द ही एक ऐसा डिजिटल डेटाबेस शुरू करने जा रही है जिसमें देशभर के सभी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स (govt portal for real estate record) की जानकारी होगी। अब तक घर खरीदारों को अक्सर अधूरे वादों प्रोजेक्ट में देरी और धोखाधड़ी का सामना करना पड़ता था। लेकिन इस नए पोर्टल के आने के बाद खरीदार किसी भी बिल्डर और उसके प्रोजेक्ट की असली स्थिति आसानी से देख सकेंगे।

नई दिल्ली| अगर आप घर खरीदने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए खुशखबरी है। सरकार जल्द ही एक ऐसा डिजिटल डेटाबेस शुरू करने जा रही है, जिसमें देशभर के सभी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स की जानकारी (govt portal for real estate record) होगी।
अब तक घर खरीदारों को अक्सर अधूरे वादों, प्रोजेक्ट में देरी और धोखाधड़ी का सामना करना पड़ता था। लेकिन इस नए पोर्टल के आने के बाद खरीदार किसी भी बिल्डर और उसके प्रोजेक्ट की असली स्थिति आसानी से देख सकेंगे।
इस डेटाबेस में प्रोजेक्ट की मंजूरी, कंस्ट्रक्शन की स्पीड, बिल्डर की विश्वसनीयता और कानूनी स्थिति जैसी पूरी जानकारी (digital database for real estate) उपलब्ध होगी। यानी, घर खरीदने से पहले खरीदार खुद जांच कर पाएंगे कि उनका पैसा सही जगह लगाया जा रहा है या नहीं।
दरअसल, यह फैसला तब लिया गया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) और राज्य के अधिकारियों को खरीदारों की शिकायतों पर गंभीरता से कार्रवाई न करने पर फटकार लगाई थी।
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धोखाधड़ी बर्दाश्त नहीं- पीएम मोदी
पीएम ने साफ कहा था कि बिल्डरों की मनमानी बर्दाश्त नहीं होगी और घर खरीदारों के हितों की रक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है। इसी कड़ी में आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रेरा केंद्रीय सलाहकार परिषद (CAC) की बैठक में इस नए पोर्टल को लॉन्च किया।
इसका मुख्य उद्देश्य है कि खरीदारों को पूरी जानकारी देना है, ताकि वे सोच-समझकर घर लेने का फैसला कर सकें। इस नए पोर्टल में देशभर के सभी रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स की जानकारी होगी।
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सीएसी की बैठक में उठा महाराष्ट्र का मुद्दा
सीएसी की बैठक में एक और अहम मुद्दा उठा। महाराष्ट्र सरकार की आवास नीति 2025 के तहत पुनर्विकास परियोजनाओं के लिए रेरा से अलग नया कानून लाने की योजना है। खरीदार संगठनों ने इस कदम का विरोध किया है। उनका कहना है कि अगर हर राज्य अलग-अलग कानून बनाएगा, तो बिल्डरों को फायदा होगा और खरीदार फिर से उलझ जाएंगे।
फोरम फॉर पीपुल्स कलेक्टिव एफर्ट्स (FPCE) ने केंद्र सरकार से तुरंत दखल देने की मांग की है। संगठन का कहना है कि यह कदम रेरा की एक समान व्यवस्था को कमजोर करेगा। इससे पहले पश्चिम बंगाल में भी ऐसा कानून लाया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
भ्रामक विज्ञापनों पर लगाई जाए रोक
बैठक में रेरा को और मजबूत बनाने पर भी चर्चा हुई। सुझाव दिया गया कि रेरा के आदेशों का पालन सख्ती से हो, भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगे और प्रोजेक्ट पंजीकरण प्रक्रिया आसान बने। मंत्रालय ने कहा कि रेरा को 8 साल पूरे हो चुके हैं, अब समय है कि इसमें "अगली पीढ़ी" (NEXT GEN) के सुधार लाए जाएं।
घर खरीदारों के लिए बड़ा फायदा
नए डिजिटल डेटाबेस से सबसे ज्यादा फायदा आम घर खरीदारों को होगा। अब उन्हें न तो दलालों पर भरोसा करना पड़ेगा और न ही अधूरी जानकारियों पर। वे खुद ऑनलाइन जांच कर सही प्रोजेक्ट चुन सकेंगे। इससे धोखाधड़ी के मामले घटेंगे और घर खरीदने का सपना और सुरक्षित होगा।
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