कैश ऑन डिलीवरी पर ज्यादा चार्ज! सरकार ने बैठाई तगड़ी जांच, फ्लिपकार्ट जैसे ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म की अब खैर नहीं
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कैश ऑन डिलीवरी (CoD) पर अतिरिक्त चार्ज लेने वाली ईकॉमर्स कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। मंत्री प्रल्हाद जोशी ने इसे ग्राहकों को गुमराह करने वाला डार्क पैटर्न बताया है। सोशल मीडिया पर शिकायतों के बाद यह कदम उठाया गया है। सरकार का कहना है कि नियम तोड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फ्लिपकार्ट ने पारदर्शिता-भरोसे के प्रति प्रतिबद्धता जताई है।

नई दिल्ली| कैश ऑन डिलीवरी (CoD) पर अतिरिक्त चार्ज वसूलने वाली ईकॉमर्स कंपनियों पर अब सरकार सख्त हो गई है। उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने शुक्रवार को बताया कि इस प्रैक्टिस पर जांच शुरू हो चुकी है। इसे "डार्क पैटर्न" माना गया है, जो ग्राहकों को गुमराह और शोषण करता है।
सरकार बोली- कड़ी कार्रवाई होगी
प्रल्हाद जोशी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि,
"डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स को शिकायतें मिली हैं कि ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म्स कैश ऑन डिलीवरी पर ज्यादा चार्ज ले रहे हैं। यह उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाला डार्क पैटर्न है। विस्तृत जांच शुरू की गई है और नियम तोड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी।"
यह बयान तब आया जब एक यूजर ने फ्लिपकार्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा-
"जॉमैटो, स्विगी और जैप्टो की रेन फीस भूल जाइए, फ्लिपकार्ट का मास्टरस्ट्रोक देखिए।"
यूजर ने इसमें 'ऑफर हैंडलिंग फी', 'पेमेंट हैंडलिंग फी' और 'प्रोटेक्ट प्रॉमिस फी' जैसे चार्ज दिखाए गए थे।
The Department of Consumer Affairs has received complaints against e-commerce platforms charging extra for Cash-on-Delivery, a practice classified as a dark pattern that misleads and exploits consumers.
A detailed investigation has been initiated and steps are being taken to… https://t.co/gEf5WClXJX
— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) October 3, 2025
फ्लिपकार्ट का जवाब, 'प्रतिबद्ध हैं कि..'
इस मामले पर फ्लिपकार्ट का जवाब भी आया। फ्लिपकार्ट के चीफ कॉरपोरेट अफेयर्स ऑफिसर रजनीश कुमार ने कहा,
"हम हर उपभोक्ता के साथ पारदर्शिता और भरोसे पर खरे उतरने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हाल ही में किए गए सेल्फ-ऑडिट से यह साफ होता है कि हम जिम्मेदार डिजिटल मार्केट प्लेस की भूमिका निभा रहे हैं।"
कुछ हफ्ते पहले ही वॉलमार्ट के स्वामित्व वाले फ्लिपकार्ट ग्रुप ने अपनी सभी साइट्स का ऑडिट किया था और डार्क पैटर्न हटाने की बात कही थी। इसके बाद कंपनी ने उपभोक्ता मंत्रालय को कंप्लायंस डिक्लेरेशन भी सौंपा था।
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क्यों अहम है यह कदम?
जून 2025 में सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को तीन महीने के भीतर ऑडिट करने का निर्देश दिया था ताकि छिपे चार्ज, फोर्स्ड सब्सक्रिप्शन और अन्य मैनिपुलेटिव डिजाइन हटाए जा सकें।
13 तरह के डार्क पैटर्न
भारत का ईकॉमर्स सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है और अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसे दिग्गज इसमें दबदबा रखते हैं। लेकिन रेगुलेटरी सख्ती भी लगातार बढ़ रही है ताकि छोटे रिटेलर्स को बराबरी का मौका मिल सके और उपभोक्ता का शोषण न हो। अगस्त में क्विक-कॉमर्स स्टार्टअप जैपटो ने भी अपनी ऐप से कुछ फीचर्स बदल दिए थे जिन्हें डार्क पैटर्न बताया गया था।
सरकार ने 2023 में 13 तरह के डार्क पैटर्न परिभाषित किए थे, जिनमें 'बास्केट स्नीकिंग', 'ड्रिप प्राइसिंग' और 'सब्सक्रिप्शन ट्रैप' शामिल हैं। इसका मकसद डिजिटल सेक्टर में पारदर्शिता लाना और ग्राहकों की सुरक्षा करना है।
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