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    Global Crude Oil Prices: कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का जेब पर पड़ता है असर, इस तरह प्रभावित होती है इकोनॉमी

    Impact Of Crude Oil Prices On Indian Economy वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी है। वर्तमान में क्रूड ऑयल की कीमतें 95 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है। आज हम आपको बताएंगे कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का भारत पर क्या असर पड़ता है? आइए इस आर्टिकल में इस सवाल का जवाब जानते हैं। (जागरण फाइल फोटो)

    By Priyanka KumariEdited By: Priyanka KumariUpdated: Fri, 29 Sep 2023 07:30 PM (IST)
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    कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से प्रभावित होती है देश की इकोनॉमी

    बिजनेस डेस्क,नई दिल्ली। India's Crude Oil Import Bill 2023: देश में बढ़ती महंगाई से हर वर्ग जूझ रहा है। हर वर्ग पर महंगाई की मार पड़ रही है। देश में महंगाई बढ़ने की वजह कच्चे तेल की बढ़ती कीमत मानी जाती है। आइए, जानते हैं कि जब भी वैश्विक आधार पर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती है तो उसका असर किन-किन फेक्टर्स पर पड़ता है? आपको बता दें कि फिलहाल कच्चे तेल की कीमत 95 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई है। यह कीमत में बढ़ोतरी की वजह है कि सऊदी अरब और रूस ने तेल की कटौती करने का फैसला लिया है।

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    कच्चे तेल की कीमतों में उछाल

    जून महीने के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव जारी है। कच्चे तेल की कीमत 10 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। इस महीने यानी सितंबर के बीच में इसकी कीमत 93 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है। कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के आने से वैश्विक स्तर पर कई उत्पाद की कीमतों में बदलाव हुआ है।

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    भारत की इकोनॉमी पर असर

    जब भी कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है तो उसका सीधा असर देश की इकोनॉमी पर देखने को मिलता है। इसकी वजह यह है कि भारत तेल के आयात पर निर्भर करता है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत अर्थव्यवस्था पर असर डालती है। देश में महंगाई की दरों में बढ़ोतरी होती है। यह देश के लिए काफी बड़ी चिंता होती है।

    इसके अलावा देश की कई कंपनी जो कच्चे माल के तौर पर क्रूड ऑयल का प्रयोग करते हैं उनको भी नुकसान का सामना करना पड़ता है। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से केवल ऑयल एक्‍सप्‍लोरेशन कंपनियों का प्रॉफिट होता है। जैसे ही वैश्विक कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का असर महंगाई की दरों पर दिखने लगता है। वैसे ही यह देश की जीडीपी (GDP) को नीचे गिरा देता है।

    देश के ऑयल और गैस सेक्टर पर भी इसका असर देखने को मिलता है। देश में पेट्रोल-डीजल, एटीएफ () की कीमत कच्चे तेल के आधार पर तय करती है। ऐसे में जहां एक कच्चे तेल की कीमत बढ़ती है वहीं, इनकी कीमत में भी इजाफा होता है।

    फिलहाल देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत (Petrol-Diesel Price) स्थिर है। इनकी कीमत पिछले साल मई में राष्ट्रीय तौर पर बढ़ी थी। पेट्रोल- डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर देश के सभी समानों पर देखने को मिलता है। इसकी वजह है कि ट्रांसपोर्ट महंगा हो जाता है। जब ट्रांसपोर्ट महंगा होता है तो लेनदेन के सामानों की कीमतों में भी बढ़ोतरी होती है।

    उदाहरण के तौर पर अगर अभी पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर है और चीनी की कीमत 50 रुपये प्रति किलोग्राम है। वहीं अगर पेट्रोल की कीमत 150 रुपये प्रति लीटर हो जाती है तो चीनी की कीमत भी बढ़ जाएगी। इसकी वजह है कि ट्रांसपोर्ट महंगा हो जाता है।

    शेयर बाजार पर असर

    कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर शेयर मार्केट पर भी देखने को मिलता है। आप सभी जानते हैं कि भारतीय करेंसी रुपया अंतरराष्ट्रीय बाजार में ट्रेड करता है। अगर कच्चे तेल की कीमत बढ़ जाती है तो रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हो जाता है। अगर 1 डॉलर की कीमत 80 रुपया है तो कच्चे तेल की कीमत बढ़ जाने के बाद डॉलर मजबूत हो जाता है यानी वह 1 डॉलर की कीमत 80 रुपये के पार हो जाता है।

    इसी तरह ऑयल कंपनी और गैस कंपनी के स्टॉक के साथ कई और कंपनी के स्टॉक में उतार-चढ़ाव आ जाते हैं। वहीं, शेयर बाजार के दोनों स्टॉक एक्सचेंज पर भी इसका असर पड़ता है। 

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