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    गिग वर्कर्स ने बुलाई हड़ताल, क्या क्रिसमस-न्यू ईयर पर नहीं डिलीवर होंगे ऑनलाइन ऑर्डर?

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 11:48 AM (IST)

    तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स ने यह हड़ताल बुलाई है। माना जा रहा है कि इसमें मेट्रो और ...और पढ़ें

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    गिग वर्कर की सांकेतिक तस्वीर

    नई दिल्ली। स्विगी, ज़ोमैटो, ज़ेप्टो, ब्लिंकिट, अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसे बड़े फ़ूड डिलीवरी और ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म के डिलीवरी वर्कर्स (Gig Worker Strike) ने देशवासियों को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, इन लोगों ने वेतन संबंधी अन्य मांगों को लेकर 25 दिसंबर और 31 दिसंबर 2025 को पूरे भारत में हड़ताल का ऐलान किया है। यूनियन का कहना है कि गिग इकॉनमी में काम करने की स्थिति खराब हो रही है।

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    यह हड़ताल तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स ने बुलाई है, और माना जा रहा है कि इसमें मेट्रो और बड़े टियर-2 शहरों के डिलीवरी पार्टनर हिस्सा लेंगे। हालांकि, यह तय नहीं है कि दिल्ली-मुंबई समेत अन्य महानगरों में भी गिग वर्कर्स हड़ताल पर हैं।

    गिग वर्कर्स यूनियन ने बयान में क्या कहा?

    एक बयान मेंयूनियनों ने कहा कि डिलीवरी वर्कर - जो लास्ट-माइल लॉजिस्टिक्स की रीढ़ हैं, खासकर पीक डिमांड और त्योहारी सीजन के दौरान काम करते हैं। उनकी कमाई गिर रही है औ वे लंबे व अनिश्चित काम के घंटे, असुरक्षित डिलीवरी टारगेट, मनमाने ढंग से ID ब्लॉक करने और बेसिक वेलफेयर और सोशल सिक्योरिटी सुरक्षा की कमी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।

    क्या है गिग वर्कर्स की मांग?

    जोमैटो, फिल्पकार्ट समेत अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्म के साथ काम करने वाले गिग वर्कर्स की मुख्य मांगों में पारदर्शी और निष्पक्ष वेतन शामिल हैं जो असल काम के घंटों और लागत को दिखाती हैं, 10-मिनट की डिलीवरी जैसे अल्ट्रा-फास्ट डिलीवरी मॉडल को वापस लेना, जिनके बारे में कर्मचारियों का कहना है कि वे सुरक्षा से समझौता करते हैं, बिना सही प्रक्रिया के अकाउंट सस्पेंशन को खत्म करना, बेहतर दुर्घटना बीमा और सुरक्षा उपकरण, काम मिलने की गारंटी, और अनिवार्य रूप से आराम करने की सुविधा मिलनी चाहिए।

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    बता दें कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने गिग वर्कर्स से जुड़ी परेशानियों का मुद्दा संसद में उठाया था।

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