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    Adani-Hindenburg Case: Supreme Court के फैसले पर Gautam Adani ने ऐसे जताई प्रतिक्रिया, यहा जानें डिटेल्स

    By Priyanka KumariEdited By: Priyanka Kumari
    Updated: Wed, 03 Jan 2024 11:42 AM (IST)

    आज देश के सर्वोच्च न्यालय (Supreme Court) ने Adani Group को लेकर अपना फैसला सुनाया है। दरअसल दिसंबर में अदाणी ग्रुप की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया है। दरअसल जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं। इस फैसले के बाद Gautam Adani ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा सत्य की जीत हुई - सत्यमेव जयते।

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    Supreme Court के फैसले पर Gautam Adani ने ऐसे जताई प्रतिक्रिया

     बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। Adani Hindenburg Case Verdict: सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के फैसले के बाद अदाणी ग्रुप (Adani Group) के चेयरमैन गौतम अदाणी (Gautam Adani) ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा सत्य की जीत हुई - 'सत्यमेव जयते'। गौतम अदाणी ने  एक्स पर पोस्ट करके अपनी प्रतिक्रिया दी है। 

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    कंपनी के शेयर में तेजी

    सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अदाणी ग्रुप की सपभी सहायक कंपनी के स्टॉक में तेजी देखने आई है। खबर लिखते वक्त कंपनी के अदाणी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) के शेयर 64.30 अंक की बढ़त के साथ 2,997.15 रुपये प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा था।

    हिंडनबर्ग की रिपोर्ट

    जनवरी 2023 में अदाणी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग (Hidenburg Report) की एक रिपोर्ट जारी हुई थी। इस रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर कई तरह के आरोप लगाए गए थे। कंपनी पर शेयर की हेर-फेर और कई वित्तीय आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों की वजह से कंपनी के शेयर में भारी गिरावट दर्ज हुई थी। 

    सुप्रीम कोर्ट का फैसला

    अदाणी ग्रुप पर लगे आरोपों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को निर्देश दिया कि वह इसकी जांच करें। दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के फैसले को सुरक्षित रखा था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि एफपीआई और एलओडीआर नियमों पर अपने संशोधनों को रद्द करने के लिए सेबी को निर्देश दिया है।

    इसके अलावा भारत सरकार और सेबी इस बात का ध्यान रखेंगे कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट द्वारा कानून का कोई उल्लंघन ना हो। अगर कोई कंपनी नियमों का उल्लंघन करती है तो वह कानूनी कार्रवाई करें। इस मामले की जांच करने के लिए पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एएम सप्रे की अध्यक्षता में छह सदस्यों वाली एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था।