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    स्किल गैप की वैश्विक चुनौतियों से मिलकर निपटेंगे जी-20 देश, डिजिटल अपस्किलिंग और रीस्किलिंग भी होगा मंत्र

    By Jagran NewsEdited By: Gaurav Kumar
    Updated: Sat, 09 Sep 2023 09:37 PM (IST)

    जब G20 के सदस्य देश विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साथ आए तो उनमें से एक कौशल विकास भी था। कई दौर की बैठकों के दौरान समूहों के प्रतिनिधियों ने अपनी समस्याओं अवसरों और अनुभवों पर चर्चा की। आखिरकार शिखर सम्मेलन की संयुक्त घोषणा में इस बात पर सहमति हुई कि G20 सदस्य देश वैश्विक कौशल की कमी को दूर करने के लिए मिलकर काम करेंगे।

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    स्किल गैप की वैश्विक चुनौतियों से जी-20 सदस्य देश मिलकर निपटेंगे।

    नई दिल्ली, जेएनएन: कुशल कामगारों की चुनौती विश्व के सामने बढ़ती जा रही है। जी-20 सदस्य देश जब विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठे तो कौशल विकास भी उनमें से एक अहम था।

    कई दौर की बैठकों में समूह के प्रतिनिधियों ने अपनी चुनौतियों, अवसरों और अनुभवों को साझा किया। अंतत: शिखर सम्मेलन के साझा घोषणा-पत्र में इसे सहमति के साथ शामिल कर लिया गया है कि स्किल गैप की वैश्विक चुनौतियों से जी-20 सदस्य देश मिलकर निपटेंगे।

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    श्रमिकों और कामगारों के लिए प्रतिबद्ध जी-20 देश

    श्रमिकों-कामगारों के हितों को लेकर जी20 देशों ने अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। जी-20 शिखर सम्मेलन के साझा घोषणा पत्र में सदस्य देशों ने कहा है कि स्किल गैप को दूर करने, अच्छे काम को बढ़ावा देने और सभी के लिए सामाजिक सुरक्षा नीतियां सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

    कुशल श्रमिकों के हितों की चिंता करते हुए सहमति बनी है कि ऐसे कामगारों को एक से दूसरे देश में प्रवासन के लिए उचित प्रबंधन के साथ व्यवस्था करते हुए अवसर तैयार करने होंगे। माना गया है कि विश्व स्तर पर कौशल की कमियों को दूर करने की जरूरत है और इसे प्राथमिकता पर रखते हुए व्यवस्थाओं को मजबूत करना होगा।

    इसके लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी डेटा बनाने के साथ ही नौकरियों के लिए आईएलओ और ओईसीडी के कवरेज को विस्तार देना होगा। इसके लिए जी-20 नीति के विकास का सभी ने स्वागत किया है। यहां उल्लेखनीय है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कौशल विकास को शामिल कर चुका भारत लगातार इसके प्रयासरत है कि कौशल और योग्यताओं का एक अंतरराष्ट्रीय मानक हो और उन्हें पारस्परिक मान्यता दी जाए।

    कामगारों को अन्य देशों में भी मिलेगी स्वीकार्यता

    जी-20 देशों के बीच इसे लेकर सहमति बनी है, जिससे यह राह बनती नजर आ रही है कि प्रवासी कामगारों के सामने योग्यता के भेद का संकट नहीं रहेगा और उनके कौशल को अन्य देशों में भी स्वीकार्यता मिलेगी।

    इधर, स्किलिंग के साथ ही अपस्किलिंग और रीस्किलिंग पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जोर रहता है। उनके इस मंत्र को भी शिखर सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधियों ने माना है और खास तौर पर डिजिटल अपस्किलिंग और रीस्किलिंग के कार्यक्रम शुरू करने पर रजामंदी दी दी है।

    इसी तरह ''''एक देश, एक राशन कार्ड'''' का सफल प्रयोग कर चुकी मोदी सरकार ने सामाजिक सुरक्षा लाभों की पोर्टेबिलिटी पर भी काम शुरू कर दिया है। इस पर विचार के लिए अन्य देशों ने भी सहमति व्यक्त की है। साथ ही आश्वस्त किया है कि वह बाल श्रम और जबरन श्रम उन्मूलन के लिए अपने प्रयास बढ़ाएंगे।