Indian Economy: रेटिंग एजेंसी फिच ने घटाया जीडीपी विकास दर का अनुमान, वैश्विक हालात के चलते धीमी है रफ्तार
Indian Economy अमेरिकी रेटिंग एजेंसी फिच का कहना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी होने महंगाई बढ़ने और ब्याज दरों के बढ़ने के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था धीमी हो सकती है। इसके साथ ही बताया है कि जल्द रेपो रेट अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच सकता है।
नई दिल्ली, एजेंसी। अमेरिकी रेटिंग एजेंसी फिच ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले जून 2022 में दिए आंकड़े में यह 7.8 प्रतिशत था। रेटिंग एजेंसी का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में आगे भी धीमापन आ सकता है। इसको देखते हुए वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अर्थव्यवस्था की विकास दर का अनुमान 7.4 प्रतिशत से घटाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है।
फिच का कहना है कि इस वर्ष की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 13.5 प्रतिशत की सालाना आधार पर वृद्धि दर्ज की है, जो कि जून में लगाए गए अनुमान 18.5 प्रतिशत से काफी कम है। तिमाही दर तिमाही आधार पर देखा जाए तो 2022 की दूसरी तिमाही में 3.3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है और यह हमारे उच्च आवृत्ति संकेतों के विपरीत है। हमें उम्मीद है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी होने, महंगाई बढ़ने और ब्याज दरों के बढ़ने के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था धीमी हो सकती है।
RBI बढ़ा सकती है ब्याज दर
फिच का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India - RBI) की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी रहेगी। बढ़ती हुई महंगाई को ध्यान में रखते हुए आने वाले समय में आरबीआई रेपो रेट को 5.9 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है। संभव है कि जल्द ही रेपो रेट अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच जाएगी और यह अगले पूरे वित्त वर्ष के दौरान जारी रहेगी।
वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर
फिच ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास दर के अनुमान को कम करते हुए कहा कि हम 2022 के लिए इसे 0.5 प्रतिशत घटाकर 2.4 प्रतिशत कर रहे हैं। आगे कहा कि हमारा मानना है कि 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था 1.7 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ सकती है।
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