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    Financial Inclusion Index: मार्च 2024 में 64.2 % बढ़ा RBI का वित्तीय समावेशन सूचकांक

    By Agency Edited By: Ankita Pandey
    Updated: Tue, 09 Jul 2024 06:53 PM (IST)

    देश भर में वित्तीय समावेशन की सीमा को दर्शाने वाला रिजर्व बैंक का एफआई-इंडेक्स मार्च 2024 में बढ़कर 64.2 हो गया जो सभी मापदंडों में वृद्धि दर्शाता है। यह सूचकांक वित्तीय समावेशन के विभिन्न पहलुओं पर 0 से 100 के बीच के एकल मान में जानकारी को दर्शाता है जहां 0 पूर्ण वित्तीय बहिष्करण को दर्शाता है और 100 पूर्ण वित्तीय समावेशन को दर्शाता है।

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    RBI के वित्तीय समावेशन सूचकांक में हुई बढ़ोतरी , जानें डिटेल

    पीटीआई, नई दिल्ली।  भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास पूरे देश में वित्तीय समावेशन के बारे में सकारात्मक समाचार हैं। उनका FI-Index मार्च 2024 में 64.2 पर चढ़ गया है, जो सभी मूल्यांकित श्रेणियों में वृद्धि को दर्शाता है। बता दें कि ये इंडेक्स इस प्रगति को मापने वाला एक मीट्रिक है। 

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    यह इंडेक्स भारत में वित्तीय समावेशन की स्थिति को दर्शाने के लिए सिंगल स्कोर (0 से 100 तक) के रूप में कार्य करता है। जहां 0 पूर्ण बहिष्कार को दर्शाता है, जबकि 100 पूर्ण समावेशन को दर्शाता है। RBI के बयान में मार्च 2023 में 60.1 की बढ़त के साथ सुधार को दर्शाया गया।

    क्यों हुआ सुधार?

    रिपोर्ट FI-Index में वृद्धि का श्रेय मुख्य रूप से 'उपयोग आयाम' ( Usage Dimension) को देती है, जो आबादी के बीच वित्तीय सेवाओं की गहरी पैठ को दर्शाता है।

    FI-सूचकांक एक व्यापक उपाय है, जिसमें तीन मुख्य पैरामीटर यानी एक्सेस( पहुंच), उपयोग और क्वालिटी शामिल हैं। 

    जहां एक्सेस का वैटेज  35% है और  यह वित्तीय सेवाएं पाने में आसानी का आकलन करता है। वही उपयोग जिसका वैटेज 45% है, इस बात का मूल्यांकन करता है कि लोग इन सेवाओं का कितनी बार और किस हद तक उपयोग करते हैं।

    क्वालिटी यानी गुणवत्ता  की बात करें तो इसका वैटेज 20%ही है और यह वित्तीय साक्षरता, उपभोक्ता सुरक्षा और सेवा गुणवत्ता जैसे कारकों पर ध्यान केंद्रित करता है।

    इनमें से प्रत्येक पैरामीटर को आगे उप-आयामों में विभाजित किया गया है, जिनकी गणना विभिन्न इडेक्स  का उपयोग करके की जाती है।

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    2021 की घोषणा में RBI का फैसला

    RBI ने FI-सूचकांक के बारे में अपनी 2021 की घोषणा में सरकार और क्षेत्रीय नियामकों के साथ इसके सहयोगात्मक विकास पर जोर दिया।

    इस  दृष्टिकोण में बैंकिंग, निवेश, बीमा, डाक सेवाओं और यहां तक कि पेंशन क्षेत्र से भी विवरण शामिल हैं। ये इंडेक्स पहुंच से परे जाकर यूजर अनुभव और सेवा गुणवत्ता पर भी विचार करता है।

    आरबीआई एफआई-इंडेक्स के अद्वितीय गुणवत्ता मापदंड पर प्रकाश डालता है, जो वित्तीय साक्षरता, उपभोक्ता संरक्षण और सेवा वितरण में संभावित असमानताओं या कमियों जैसे पहलुओं का आकलन करता है।

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