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    Budget 2024: लेदर सेक्टर को कच्चे माल के साथ PLI Scheme की जरूरत, आयात शुल्क को खत्म करने की है मांग

    Updated: Tue, 09 Jul 2024 05:15 PM (IST)

    देश की जीडीपी में लेदर इंडस्ट्री का भले ही अति मामूली योगदान है लेकिन रोजगार देने के मामले में यह उद्योग निश्चित रूप से अहम भूमिका निभाता है। इस बार के बजट में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम में इस सेक्टर को जोड़ने और कच्चे माल की उपलब्धता के लिए अच्छे लेदर पर लगने वाले आयात शुल्क को खत्म करने की मांग की जा रही है।

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    Budget 2024: लेदर सेक्टर में जुड़ना चाहिए PLI Scheme

    जागरण टीम, नई दिल्ली। देश की जीडीपी में लेदर इंडस्ट्री का भले ही अति मामूली योगदान है, लेकिन रोजगार देने के मामले में यह उद्योग निश्चित रूप से अहम भूमिका निभाता है। 95 प्रतिशत एमएसएमई से जुड़े लेदर उद्योग की क्षमताओं के पूर्ण दोहन के लिए इस बार के बजट में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम में इस सेक्टर को जोड़ने और कच्चे माल की उपलब्धता के लिए अच्छे लेदर पर लगने वाले आयात शुल्क को खत्म करने की मांग की जा रही है।

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    रोजगारपरक होने के नाते सरकार भी लेदर सेक्टर को प्रोत्साहित करना चाहती है और पूरी उम्मीद है कि आगामी 23 जुलाई को पेश होने वाले बजट में लेदर सेक्टर की मांग पूरी हो जाए। इसका फायदा यह होगा कि लेदर सेक्टर की उत्पादन क्षमता का विस्तार होगा, जिससे भारत बड़े आर्डर लेने में कामयाब हो सकेगा और कच्चे माल सस्ते दाम पर उपलब्ध होने से वैश्विक बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी।

    अभी चीन से शिफ्ट होने वाले आर्डर वियतनाम जैसे देश में चले जा रहे हैं। घरेलू स्तर पर लेदर सेक्टर के कारोबार में बढ़ोतरी के लिए सस्ते दाम पर कच्चे माल की उपलब्धता और फुटवियर पर लगने वाली जीएसटी दर को कम करने की मांग की जा रही है। जीएसटी पर फैसला जीएसटी काउंसिल लेती है, लेकिन काउंसिल की अध्यक्ष होने के नाते वित्त मंत्री बजट में उद्यमियों की मांग पर गौर करने का आश्वासन दे सकती हैं।

    सरकार लेदर सेक्टर में नए उद्यमियों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न क्लस्टर में प्लग एंड प्ले सुविधा भी शुरू कर सकती है।

    कई स्थानीय समस्याओं का सामना कर रही इंडस्ट्री

    तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बंगाल, कर्नाटक और हरियाणा जैसे राज्य लेदर और लेदर उत्पाद के निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं और इन जगहों पर भी लेदर इंडस्ट्री कई स्थानीय समस्याओं का सामना कर रही हैं, जैसे कानपुर में गंगा स्नान की वजह से महीनों काम प्रभावित रहता है। उद्यमी बजट के माध्यम से ऐसी समस्याओं का भी हल चाहते हैं।

    चार से पांच अरब डॉलर के बीच झूल रहा निर्यात

    दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लेदर उत्पादक देश होने के बावजूद पिछले सात-आठ सालों से लेदर निर्यात चार से पांच अरब डॉलर के बीच है। गत वित्त वर्ष 2023-24 में लेदर और लेदर उत्पाद निर्यात पूर्व के वित्त वर्ष 2022-23 के मुकाबले 9.89 प्रतिशत की गिरावट के साथ 4.2 अरब डॉलर रहा।

    निर्माण लागत कम होने से सस्ते होंगे फुटवियर

    दूसरी तरफ, लेदर व लेदर उत्पाद का घरेलू कारोबार 16 अरब डॉलर के पास है। लेदर इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक 1000 जोड़ी फुटवियर के निर्माण पर मैन्युफैक्चरिंग से लेकर रिटेल तक में 425 रोजगार का सृजन होता है। अभी भारत में फुटवियर की खपत प्रति व्यक्ति सालाना 2.5 जोड़ी है जबकि विकसित देशों में यह खपत 10 जोड़ी से अधिक है। निर्माण लागत कम होने पर घरेलू स्तर पर फुटवियर सस्ते होंगे जिससे खपत बढ़ेगी।

    माघ मेले के चलते कानपुर में तीन महीने बंद रहती हैं टेनरियां

    काउंसिल फार लेदर एक्सपोर्ट के पूर्व रीजनल चेयरमैन जावेद इकबाल के मुताबिक माघ में गंगा स्नान की वजह से ढाई से तीन माह टेनरियां बंद कर दी जाती हैं। ऐसे में विदेश से जो आर्डर होते हैं, वे फंस जाते हैं। एक बार टेनरियों को बंद करने के बाद उन्हें दोबारा चलाने पर अतिरिक्त शुल्क लगता है, जिससे निर्माण लागत बढ़ जाती है। जाजमऊ में टेनरी का कारोबार पुराना है, लेकिन जाजमऊ को औद्योगिक क्षेत्र नहीं घोषित किया गया। इसकी वजह से यहां का विकास नहीं हो पा रहा है।

    आगरा के उद्यमी घरेलू मांग कम होने से चिंतित

    आगरा में पांच हजार से अधिक फुटवियर निर्माण यूनिट है, जहां दुनिया के कई बड़े ब्रांड का जॉब वर्क होता है। आगरा के उद्यमियों के मुताबिक एक हजार से कम मूल्य वाले जूते पर जीएसटी पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया और एक हजार से अधिक मूल्य वाले जूते पर 18 प्रतिशत जीएसटी है। उत्पाद का मूल्य बढ़ने से मांग तेजी से घट रही है। उन्होंने जीएसटी दर को फिर से पांच प्रतिशत करने की मांग की है। उद्यमी क्वालिटी कंट्रोल नियमों से भी परेशान हैं।

    चीन की तरह हमें बड़े पैमाने पर उत्पादन क्षमता स्थापित करने की जरूरत है। बजट पूर्व चर्चा के दौरान हमने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष लेदर उत्पादन लागत समस्या को रखा है।

    आरके जालान, चेयरमैन, काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट ने कहा

    लेदर के वस्त्र और उत्पादों को बनाने के लिए उच्च स्तर का लेदर आयात करना पड़ता है। इनके आयात पर अब 10 प्रतिशत कर लगा दिया गया है। इसको कम किया जाए।

    असद इराकी, रीजनल चेयरमैन, काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट के अनुसार लेदर इंडस्ट्री में किन कंपोनेंट्स का कितना योगदान

    लेदर फुटवियर-43 प्रतिशत

    फिनिश्ड लेदर-09 प्रतिशत

    फुटवियर कंपोनेंट्स-06 प्रतिशत

    लेदर गारमेंट्स-07 प्रतिशत

    लेदर गुड्स-26 प्रतिशत

    नॉन लेदर फुटवियर- 05 प्रतिशत

    सेडलरी व हारनेस-04 प्रतिशत