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    Banking Fraud : साइबर फ्रॉड रोकने के लिए वित्त मंत्रालय सख्त, बैंकों को दिया यह खास फरमान

    Updated: Sun, 14 Apr 2024 03:17 PM (IST)

    पिछले कुछ समय में डिजिटल ट्रांजैक्शन तेजी से बढ़ा है। शहरी इलाकों के साथ ही दूरदराज के गांवों में भी लोग धड़ल्ले से डिजिटल बैंकिंग कर रहे हैं। इससे साइबर फ्रॉड का जोखिम भी बढ़ा है। कई बार यह भी देखा गया है कि बैंक या वित्तीय संस्थान सही तरीके से KYC नहीं करते जिससे गड़बड़ी होती है। अब वित्तीय मंत्रालय ने बैंकों को एक सख्त निर्देश दिया है।

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    पिछले साल साइबर फ्रॉड के 11,28,265 मामले सामने आए।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले एक दशक में टेक्नोलॉजी का तेजी से विकास हुआ है। अब बड़ी संख्या में लोग फोन से वित्तीय लेनदेन करने लगे हैं, क्योंकि आसान और सुविधाजनक है। इसमें शहरों के साथ दूरदराज के ग्रामीण इलाकों के लोग भी शामिल हैं। लेकिन, इस डिजिटलाइजेशन का एक नुकसान यह हुआ है कि इससे बैंकिंग फ्रॉड (Banking Fraud) के मामले भी काफी बढ़ गए हैं।

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    डिजिटल ट्रांजेक्शन का इस्तेमाल हर आयु वर्ग के लोग करते हैं। जैसे कि बच्चे, बड़े और बुजुर्ग। इनमें से बहुत से लोगों को तकनीकी जानकारी नहीं होती और वे अनजाने में गोपनीय जानकारियां साझा कर देते हैं। कई बार वित्तीय संस्थान भी KYC यानी ‘अपने ग्राहक को जानो’ प्रक्रिया का सही से पालन नहीं करते। इससे भी फ्रॉड की गुंजाइश बढ़ जाती है।

    इस तरह के मामलों पर अब वित्त मंत्रालय ने सख्त रुख अपनाया है। उसने BoB ऐप घोटाला (BoB App Scam) और इस तरह के अन्य बैंकिंग फ्रॉड को रोकने के लिए बैंकों को सख्त निर्देश दिया है।

    क्या है वित्त मंत्रालय का फरमान

    समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि वित्त मंत्रालय ने बैंकों को ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में बैंकिंग सेवाएं देने वाले दुकानदारों (मर्चेंट) और बैंकिंग प्रतिनिधि जोड़ने से पहले उनकी गहन जांच यानी KYC करने को कहा है। वित्त मंत्रालय का मानना है कि इस साइबर फ्रॉड पर अंकुश तो लगेगा ही, फाइनेंशियल इकोसिस्टम को भी बेहतर किया जा सकेगा।

    राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के डेटा के मुताबिक, पिछले साल साइबर फ्रॉड के 11,28,265 मामले सामने आए। इनमें साइबर अपराधियों ने लोगों को 7,488.63 करोड़ रुपये का चूना लगाया।

    निचले स्तर पर डेटा लीक का खतरा

    ग्रामीण इलाकों में दुकानदारों और बैंकिंग प्रतिनिधियों के पास मजबूत साइबर सिक्योरिटी सिस्टम नहीं होता। लेकिन, उनके पास बहुत से ग्राहकों की संवेदनशील जानकारियां होती हैं। लेकिन, उनके डेटा में सेंध लगने की गुंजाइश काफी अधिक होती है।

    यही वजह है कि वित्त मंत्रायल बैंकों और वित्तीय संस्थानों को बैंकिंग प्रतिनिधि जोड़ने से पहले उनकी अच्छे से KYC करने की हिदायत दे रहा है। यह हिदायत उन जगहों के लिए खासतौर पर है, जिन्हें साइबर फ्रॉड का 'गढ़' माना जाता है।

    साइबर फ्रॉड से ऐसे निपट रही सरकार

    केंद्र सरकार ने देशभर में साइबर क्राइम के मामलों से सख्ती से निपटने की कोशिश कर रही है। गृह मंत्रालय ने सभी तरह के साइबर फ्रॉड से निपटने के लिए इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) बनावाया है।

    रिजर्व बैंक (RBI) भी साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने की दिशा में प्रयास कर रहा है। उसका इरादा गैरकानूनी तरीके से कर्ज देने वाले लोन ऐप्स के खिलाफ सख्ती बरतना है। वह इसके लिए एक डिजिटल इंडिया ट्रस्ट एजेंसी (DIGITA) बनाने पर भी विचार कर रहा है, जो लोन ऐप का वेरिफिकेशन करेगी।

    क्या क्या है ‘BoB वर्ल्ड स्कैम’?

    पिछले साल जुलाई में खबर आई कि बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपने ऐप ‘BoB वर्ल्ड’ पर सब्सक्राइबर बेस बढ़ाने के लिए बैंक के ग्राहकों के डेटा के साथ छेड़छाड़ की थी। बैंक ने कथित तौर पर कस्टमर्स की अकाउंट डिटेल को को अन्य कॉन्टैक्ट नंबर के साथ लिंक कर दिया। इसका मकसद था, मोबाइल ऐप अधिक रजिस्ट्रेशन दिखाना।

    यह मामला सामने आने के बाद रिजर्व बैंक ने पब्लिक सेक्टर के बैंक ऑफ बड़ौदा पर एक्शन भी लिया था। उसने तत्काल बैंक ऑफ बड़ौदा को ऐप पर नए ग्राहक जोड़ने से मना कर दिया था।

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