Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Davos 2025: आर्थिक मंदी और कोविड से ज्यादा वैश्विक नुकसान कर सकती है गुटबाजी, भारत पर भी होगा इसका असर

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Fri, 24 Jan 2025 02:00 AM (IST)

    व‌र्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की गुरुवार को जारी ताजा रिपोर्ट बताती है कि इस गुटबाजी से वैश्विक जीडीपी को 49.25 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है। अगर यह गुटबाजी चरम पर पहुंच गई तो भारत समेत अन्य उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों पर इसका सबसे ज्यादा बोझ पड़ सकता है। यह आर्थिक मंदी और कोविड-19 से हुए नुकसान से ज्यादा बड़ी और खतरनाक हो सकती है।

    Hero Image
    आर्थिक मंदी और कोविड से ज्यादा वैश्विक नुकसान कर सकती है गुटबाजी (सांकेतिक तस्वीर)

    पीटीआई, दावोस। दुनिया में भौगोलिक और आर्थिक गुटबाजी से इतना बड़ा नुकसान हो सकता है, जितना 2008 में आई आर्थिक मंदी और फिर 2020 की कोविड-19 महामारी ने नहीं पहुंचाया होगा। व‌र्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की गुरुवार को जारी ताजा रिपोर्ट बताती है कि इस गुटबाजी से वैश्विक जीडीपी को 49.25 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारत समेत अन्य उभरती अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा बोझ

    इतना ही नहीं रिपोर्ट में इस बात की भी चेतावनी दी गई है कि अगर यह गुटबाजी चरम पर पहुंच गई तो भारत समेत अन्य उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों पर इसका सबसे ज्यादा बोझ पड़ सकता है। 2025 की वार्षिक बैठक में यह रिपोर्ट जारी करते हुए फोरम ने कहा कि देशों द्वारा प्रतिबंधों, औद्योगिक नीतियों और अन्य आर्थिक उपायों के जरिये भू-राजनीतिक उद्देश्यों बेहतर करने के लिए वैश्विक वित्तीय और व्यापारिक प्रणालियों का इस्तेमाल तेजी से किया जा रहा है।

    नेविगेटिंग ग्लोबल फाइनेंसियल सिस्टम फ्रैग्मेंटेशन नामक इस रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि देशों की नीतियों के परिणामस्वरूप होने वाली गुटबाजी से वैश्विक अर्थव्यवस्था को 5.18 लाख करोड़ से लेकर 49.25 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ सकता है, जो कि वैश्विक जीडीपी का पांच प्रतिशत तक हो सकता है।

    मुद्रास्फीति में पांच प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है

    इसकी वजह व्यापार और सीमा पार पूंजी प्रवाह में कमी के साथ-साथ खोती आर्थिक दक्षता है। इससे वैश्विक मुद्रास्फीति में पांच प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। यह चोट 2008 की आर्थिक मंदी और कोविड-19 से हुए नुकसान से ज्यादा बड़ी और खतरनाक हो सकती है।

    रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2017 से प्रतिबंधों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है और इसमें 370 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली है। देशों के नीति-निर्माताओं को सलाह दी गई है कि वे आर्थिक रूप से बेहतर नीतियां अपनाएं जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में सहयोग, सतत विकास और लचीलापन बढ़े।

    मुद्रास्फीति की दरों और जीडीपी की बढ़ोतरी पर गुटबाजी का असर विश्व के अग्रणी देशों द्वारा अपनाई गई नीतियों पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है। इसमें चेतावनी दी गई है कि अगर गुटबाजी चरम पर पहुंची तो पूर्वी और पश्चिमी ब्लाकों के बीच पूरी तरह से आर्थिक अलगाव, बाकी देशों को सिर्फ अपने सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक साझेदार के साथ व्यापार करने के लिए मजबूर करेगा।

    जीडीपी में 10 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट

    इससे भारत, ब्राजील, तुर्किये और लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है। यानी इनकी जीडीपी में 10 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल सकती है जो वैश्विक औसत का करीब दोगुना है।

    'गुटबाजी ना केवल मुद्रास्फीति को बढ़ाती है बल्कि आर्थिक विकास की संभावनाओं पर भी नकारात्मक असर डालती है। यह विशेषरूप से उभरते बाजारों और विकासशील देशों पर नकारात्मक असर डालता है जो अपने निरंतर विकास के लिए एकीकृत वित्तीय प्रणाली पर निर्भर हैं।' - मैट स्ट्रैहान, निजी बाजार प्रमुख, व‌र्ल्ड इकोनामिक फोरम

    यह भी पढ़ें- Davos 2025: 'राष्ट्र प्रथम'... दावोस में राजनीति भूल एक मंच पर आए भारतीय राजनेता

     

    comedy show banner
    comedy show banner