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    अमेरिकी एडवाइजरी से निर्यात और पर्यटन उद्योग को झटका

    By Shashi Bhushan KumarEdited By:
    Updated: Sat, 28 Nov 2015 03:04 PM (IST)

    अमेरिकी ट्रैवेल एडवाइजरी से भारतीय निर्यातकों के हाथ-पांव फूल गए हैं। ...और पढ़ें

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    कुंदन तिवारी, नोएडा। अमेरिकी ट्रैवेल एडवाइजरी से भारतीय निर्यातकों के हाथ-पांव फूल गए हैं। उन्हें चालू वित्त वर्ष 2015-16 में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यही नहीं, इस एडवाइजरी से देश का पर्यटन उद्योग भी प्रभावित होने वाला है। इसका असर आने वाले समय में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर दिखेगा। अमेरिकी फैसले से विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट आने के आसार हैं। इसके संकेत निर्यातकों ने दे दिए हैं। एडवाइजरी में कहा गया है कि अमेरिकी नागरिक विदेश यात्रा से परहेज करें।

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    बीते वित्त वर्ष 2014-15 में देश से करीब 340 अरब डॉलर (करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये) का निर्यात हुआ था। इसी तरह हर साल करीब 50 लाख विदेशी पर्यटक भारत भ्रमण पर आते हैं। इनसे 20,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है। अमेरिकी एडवाइजरी से इसका प्रभावित होना तय है।

    ऑस्ट्रेलियाई आयातकों से मिलकर लौटे नोएडा के निर्यातक राजीव बंसल ने बताया कि पिछले दिनों आइएस ने फ्रांस के पेरिस पर जो आंतकी हमला किया है, उससे यूरोप में अफरा-तफरी का माहौल है। अमेरिका भी इससे प्रभावित हुआ है। अब इस हमले का असर देश पर भी पड़ने लगा है। हालात यह है कि अमेरिकी खरीदार किसी भी प्रकार की विदेश यात्रा करने से साफ मना कर रहे हैं। हवाला दिया जा रहा है कि अमेरिकी सरकार ने नागरिकों की सुरक्षा के लिए टै्रवेल एडवाइजरी जारी की है।

    इसमें जानमाल के खतरे को देखते हुए अपने नागरिकों से कम से कम विदेशी यात्रा करने को कहा गया है। अमेरिकी सरकार के निर्देश पर क्रिसमस बाद भारत आने वाले कई विदेशी ख्ररीदारों ने अपना दौरा रद कर दिया है। इससे निर्यातकों के सामने ऑर्डर मिलने का संकट खड़ा हो गया है। वैसे ही विदेशी व्यापार में मंदी का माहौल चल रहा है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सिर्फ 1,38,916.16 करोड़ रुपये का निर्यात हो सका है। यह पिछले वर्ष 30 अक्टूबर को समाप्त छमाही के मुकाबले 17 फीसद कम है।

    अमेरिका व यूरोप वैसे ही लंबे समय से आर्थिक सुस्ती के शिकार हैं, लेकिन आंतकी घटना ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। फिलहाल देश के 80 फीसद निर्यातक यूरोप और अमेरिका पर निर्भर हैं। ऐसे में खरीदार नहीं आने से निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

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