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    Exclusive Interview: पीएम का मुख्य मकसद था टैक्सपेयर्स को सम्मान देना, विकास तो हमारे केंद्र में है: निर्मला सीतारमण

    Updated: Fri, 07 Feb 2025 12:58 PM (IST)

    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दैनिक जागरण के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कई आर्थिक पहलुओं पर खुलकर बात की। इसमें हालिया बजट में इनकम टैक्स में कटौती से लेकर विकसित भारत का लक्ष्य तक शामिल है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री का पहला मकसद टैक्सपेयर्स को सम्मान देना है। उन्होंने कहा कि जीएसटी को तर्कसंगत बनाने का काम चल रहा है मंत्रीगण इस पर काम कर रहे हैं।

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    वित्त मंत्री ने कहा- रोजगार सृजन करना सिर्फ सरकार का काम नहीं है।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। फरवरी की पहली तारीख को केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जब बजट पेश किया तो लोग अचंभित थे। दरअसल बजट के केंद्र में मध्यवर्ग था और विकास की स्टीयरिंग उसके ही हाथ दी गई। निर्मला कहती हैं कि अर्थव्यवस्था को भी इससे ताकत मिलेगी। विकसित भारत के लक्ष्य के प्रति आश्वस्त वित्त मंत्री कहती हैं कि इसे शक की नजर से नहीं देखना चाहिए। दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा और सहायक संपादक राजीव कुमार से वित्त मंत्री ने खुलकर बातचीत की। पेश हैं उनके अंश:

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    प्रश्न: आपने इस बार टैक्स में इतनी बड़ी छूट देकर खपत का मॉडल दिया है। लेकिन इससे टैक्स के आधार को बढ़ाने में, राजस्व को बढ़ाने में कैसे मदद मिलेगी, क्योंकि इनकम टैक्स में इतनी बड़ी छूट से एक करोड़ लोगों को टैक्स से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया। एक लाख करोड़ की छूट दे दी गई, इस मॉडल के बारे में थोड़ा समझाइये?

    उत्तर: इसमें दो विषय है। पहले मैं यह स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि सार्वजनिक संपदा के निर्माण को लेकर पूंजीगत खर्च के मद में हमारा खर्च कम नहीं हुआ है। कोविड के बाद से इसमें बढ़ोतरी हो रही है और इस बार भी बढ़ोतरी ही है। पहले (चालू वित्त वर्ष) यह 11.11 लाख करोड़ था जो इस साल 11.2 लाख करोड़ है। यह बात सही है कि पिछले तीन-चार सालों से पूंजीगत खर्च में 16-17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही थी, इस बार 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही है।

    पूंजीगत खर्च को लेकर हमारे सोच में कोई बदलाव नहीं हुआ है और हम पहले की तरह ही उस पर कायम है। चुनाव की वजह से चालू वित्त वर्ष में पूंजीगत खर्च में जो कमी आई है उसकी भरपाई हम चौथी तिमाही में कर लेंगे। अगले साल तो पूरे साल उसे मेकअप करेंगे। मगर इनकम टैक्स के रूप में खपत के मॉडल को चुनने की जो बात आप रख रहे हैं वह 100 प्रतिशत सही नहीं है। मतलब मैं यह नहीं बोल रही हूं कि उसका असर अर्थव्यवस्था के ऊपर नहीं होगा। असर होगा, लेकिन वह सेकेंडरी फैक्टर है।

    हमारे प्रधानमंत्री का पहला मकसद टैक्सपेयर्स को सम्मान देना है। उन्हें सहूलियत देना है। उसके लिए वर्ष 2022 से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। फेसलेस मूल्यांकन लाया गया, फेसलेस को अपील में ले आए। विवाद से विश्वास स्कीम लाई गई। इस बार भी सेल्फ घोषणा की सुविधा दी गई। टैक्सपेयर्स पर लगातार भरोसा हम बढ़ा रहे हैं। नियमित रूप से समय पर और अधिक टैक्स देने वाले टैक्सपेयर्स को सम्मानित करने के लिए सर्टिफिकेट दिए गए। उसी सीरीज में प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ ऐसा करके आइए जिससे टैक्सपेयर्स का सम्मान और बढ़े और उसी क्रम में इस बार इनकम टैक्स में राहत दी गई। इससे बचत भी बढ़ेगी और व्यक्तिगत खर्च में भी बढ़ोतरी होगी।

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    प्रश्न: चालू वित्त वर्ष में हम पूंजीगत खर्च हम नहीं कर पाए तो क्या यह माना जाए कि वित्तीय राहत देने के लिए पूंजीगत खर्च में कमी कर दी गई और महंगाई को भी ध्यान में रखते हुए पूंजीगत खर्च को नियंत्रित रखा गया, क्या यह सही है?

    उत्तर: वित्त वर्ष 24-25 में लोकसभा चुनाव के कारण दो तिमाही में पूंजीगत खर्च नहीं हो पाया। तीसरी और चौथी तिमाही में इसमें बढ़ोतरी होगी और जब वित्त वर्ष के अंत में अंतिम आंकड़ा आएगा तो हम आवंटन के आस-पास होंगे। वित्तीय राहत की वजह से पूंजीगत खर्च में कमी की गई, ऐसा नहीं है। उसको टैक्स में राहत से जोड़कर देखना गलत है।

    प्रश्न: अर्थव्यवस्था की विकास दर धीमी हो रही है तो क्या इससे विकसित भारत का लक्ष्य प्रभावित होगा, क्योंकि इसके लिए 8 प्रतिशत का विकास दर जरूरी बताया जा रहा है?

    उत्तर: देखिए, वर्तमान वैश्विक स्थिति में 8-8.5 प्रतिशत की दर से विकास करना चुनौतीपूर्ण है। हर देश चुनौती का सामना कर रहा है। इसके बावजूद भारत अपने नागरिक और उनकी उद्यमिता की वजह से सबसे तेज गति से विकास करने वाला देश बना हुआ है। यह सिलसिला कोविड के बाद से ही चल रहा है। हमें उनकी क्षमता को पहचानना होगा और उन्हें इसका श्रेय भी देना चाहिए। यह विकास सरकार और जनता दोनों के प्रयास से हो रहा है। इसलिए हमारी क्षमता को कम करके नहीं आंकना चाहिए। हम यह नहीं कह रहे हैं आप क्षमता को कम आंक रहे हैं। लेकिन बार-बार शक के साथ 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इसकी जगह सोच होनी चाहिए कि हम और अच्छा करे, और अच्छा करे, जिससे 2047 में पहुंचना आसान हो जाए।

    हम बार-बार प्रश्न इसलिए उठाते हैं क्योंकि नकारात्मक बोलने वाले ज्यादा हो गए हैं, जिन्हें भारत के ऊपर भरोसा नहीं है। भारत की सफलता की कहानी यह है कि दुनिया के सभी निवेशक बोल रहे हैं कि निवेशक कहां जाएगा, भारत और अमेरिका में जाएगा क्योंकि ये सकारात्मक ग्रोथ की क्षमता इन दोनों देशों में है। चीन निगेटिव जोन में जा रहा है। हां, यह सही है कि 8-9 प्रतिशत का ग्रोथ लेने से जल्दी छलांग लगा पाएंगे।

    प्रश्न: प्रधानमंत्री ने टैक्सपेयर्स को सम्मान दिया यह तो अच्छी बात है। लेकिन माना जा रहा है कि इस निर्णय के पीछे एक दबाव भी था। 2024 के लोकसभा चुनाव मे कुछ असर दिखा था और माना जा रहा था कि भाजपा का परंपरागत वोटर मिडिल क्लास नाराज है?

    उत्तर: दबाव जैसी बात नहीं है। पिछले तीन चार सालों से टैक्सपेयर की सहूलियत के लिए कई कदम उठाए गए। टैक्स मे भी राहत दिए जा रहे थे। अभी तक उन्हें नियमों के सरलीकरण में यह सुविधा दी जा रही थी, जैसे फील्ड अफसर उन्हें तंग नहीं करें, इसके लिए कानून सख्त बनाओ। हम अब पूरे के पूरा नया एक्ट ला रहे हैं जिसे अगले कुछ दिनों में पेश किया जाएगा, सो हम इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। इस बार हम टैक्सपेयर्स को कुछ देना चाहते थे।

    प्रश्न: आपके बजट पेश करने के 10 दिन पहले कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने टैक्स में 10 लाख तक की छूट की मांग की थी, आपने उनकी मांग से पहले 12 लाख तक की छूट फैसला कर लिया था या बाद में किया?

    उत्तर: वे हमसे मांग कर सकते हैं, वे ऐसा कह सकते हैं। मैं भी विपक्ष में रहती तो मैं भी बोल सकती थी कि ऐसा करो, वैसा करो। लेकिन जब आप सरकार में होते हैं तो आपके फैसले लेने के पैरामीटर अलग होते हैं। उसने मांग की है, इसलिए दे दो, उसने मांग नहीं की है, मत दो, ऐसा नहीं होता है। प्रशासनिक जिम्मेदारी अलग होती है।

    प्रश्न: आपको लगता है कि आपके सामने टैक्स के दायरे को बढ़ाने की चुनौती है और दूसरा कि टैक्सपेयर्स को कुछ चीजों में जैसे कि सरकारी सेवा में, निजी सेवा या अन्य जगहों पर स्पेशल ट्रीटमेंट मिलना चाहिए, यह बजट से इतर की बात है?

    उत्तर: टैक्सपेयर का दायरा बढ़ाने का काम जरूर करना है। अधिक से अधिक लोगों को दायरे में लाना है। टैक्स बढ़ाने के लिए नए को जोड़ना जरूरी है। जो मौजूदा टैक्सपेयर्स है, उन्हीं पर भार बढ़ाना ठीक नहीं है। जहां तक टैक्सपेयर्स को सरकारी सेवा में प्राथमिकता की बात है तो हमें इसे देखना होगा। विदेश में ऐसा होता है, लेकिन भारत में इसे करने के लिए देखना होगा। पश्चिमी देशों में ऐसा चलन है लेकिन भारत के संदर्भ में इसे लागू करने के लिए देखना होगा।

    प्रश्न: रोजगार पर हमारा फोकस रहा है और विकसित भारत के निर्माण के लिए यह सबसे जरूरी है। आर्थिक सर्वेक्षण में विकसित भारत के निर्माण के लिए हर साल गैर कृषि क्षेत्र में 80 लाख रोजगार सृजन की जरूरत बताई गई है, बजट इसमें कितना कारगर दिख रहा है?

    उत्तर: रोजगार सृजन करना सिर्फ सरकार का काम नहीं है। स्टार्टअप के लिए जो हम कर रहे हैं, स्टैंड अप इंडिया के लिए हम जो ला रहे हैं, इसका फायदा गांव में होगा, वहां पर ही रोजगार का सृजन होगा। लखपति दीदी, ड्रोन दीदी यह सब रोजगार के नए अवसर है। उन्हें गांवों में ही कुशल बनाने का काम किया जा रहा है। गांव में रोजगार के लिए हम फंड दे रहे हैं। ई-कामर्स के जरिए, सरकार के जेम पोर्टल के जरिए वे अपना रोजगार कर सकते है। सरकार भी जेम पोर्टल के माध्यम से उनसे खरीदारी कर सकती है। कहने का मतलब है कि रोजगार आज गांव तक पहुंच गया है। उत्पादकता बढ़ाने के अवसर का सृजन किया जा रहा है। ताकि वे अपनी कमाई कर सके। सरकारी विभागों में खाली पदों को रोजगार मेले के लिए जरिए भरने का काम पिछले नवंबर से किया जा रहा है।

    प्रश्न: एमएसएमई को विभिन्न प्रकार के लाइसेंसिंग फार्म भरने का काम करना पड़ता है बजट में इन सबसे मुक्ति की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ?

    उत्तर: हम एमएसएमई के लिए पिछले तीन साल से हरेक बजट में कुछ न कुछ करते आ रहे हैं और उन्हें स्व घोषित के रूट में लेकर जा रहे हैं। उद्यम पोर्टल व अन्य माध्यम से। चरणबद्ध तरीके से उनके लिए घोषणा हो रही है। पिछले साल के बजट में उनके लिए वर्किंग कैपिटल पर काम किया गया। वर्किंग कैपिटल के साथ व प्लांट व मशीनरी पर भी टर्म लोन बैंकों को देने के लिए कहा गया। इस बजट में क्रेडिट गारंटी के साथ एमएसएमई की परिभाषा बदली गई। अभी एसएसएमई को बड़ा बनने में संकोच रहता था, वह इस परिभाषा को बदलने से समाप्त होगा। परिभाषा बदलने से उनके फायदे जारी रहेंगे, इस कारण ही वे बड़ा बनने में संकोच करते थे।

    प्रश्न: कारपोरेट टैक्स में वर्ष 2019 में राहत दी गई थी और इसे कम करके 25 प्रतिशत कर दिया गया था, एमएसएमई अधिक टैक्स दे रहे है, क्या इसमें कोई राहत दी जा सकती है?

    उत्तर: तकनीकी स्तर पर इसमें कुछ दिक्कत है।

    प्रश्न: क्या अब जीएसटी की दरों में भी राहत देंगी क्योंकि इसकी मांग-बार-बार उठती रहती है, जीएसटी को लागू करने के दौरान ही इसे भविष्य में तर्कसंगत बनाने की बात की गई थी, पापकार्न पर अलग जीएसटी, मीठे पापकार्न पर अलग जीएसटी की बात सामने आई है, वैसे ही, एसी रेस्टोरेंट में अलग और गैर एसी रेस्टोरेंट में अलग जीएसटी लगता है, इसे ठीक किया जाएगा?

    उत्तर: जीएसटी को तर्कसंगत बनाने का काम चल रहा है, मंत्रीगण इस पर काम कर रहे हैं। उन्होंने काफी काम किए भी है। दो साल से चल रहा है। अभी थोड़ा बाकी है। रेट का सरलीकरण अलग चीज है और रेट में भिन्नता अलग। जिन वस्तुओं का हम आयात करते हैं उनका एक कोड होता है और घरेलू स्तर पर लगभग वैसे ही दरें होती है। जिन वस्तुओं का हम निर्यात आयात करते हैं उसे हम एक कोड देते हैं। ब्रांडेड के ऊपर अलग रेट होगा। स्ट्रीट फूड पर कोई टैक्स नहीं लगता है, लेकिन फाइव स्टार में उन्हीं चीजों पर लगता है।

    प्रश्न: आप देश की वित्त मंत्री है, इस रेवड़ी की राजनीति के बारे में क्या कहेंगी, मुफ्त की रेवड़ी हकीकत बन चुकी है कितना प्रतिशत तक किसी राज्य को मुफ्त की रेवड़ी देने की घोषणा करनी चाहिए?

    उत्तर: जितने तक उनका बजट उसकी इजाजत दे सके। वित्तीय डाटा उनके पास है, उसे देखते हुए वादा करना चाहिए। जनता से यह करूंगा, वह करूंगा का वादा करते हैं सत्ता में आने के लिए, लेकिन बाद में अगर उसे पूरा नहीं कर सकते हैं तो बोलना गलत है। जनता को सच बोलने का साहस करो। जनता को बताओ कि इन कारणों से हम सड़क नहीं बना सके, इसका साहस रखना चाहिए। इसकी जगह जनता को यह कहना कि मोदी सरकार पैसे नहीं दे रही है, इसलिए सड़क नहीं बन रही है, स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल रही है, गलत है। मैं दो साल पहले से ये सब बोल रही हूं। ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने की जब राजस्थान और हिमाचल ने घोषणा की थी, तब से।

    प्रश्न: बजट में गरीबी को पूरी तरह से खत्म करने की बात की गई है, लेकिन गरीबी की परिभाषा पर भी सवाल उठते हैं, इसे समाप्त करने कि लिए क्या तैयारी है?

    उत्तर: पहले हम यह बता दें कि विकसित भारत का नजरिया क्या है, विकसित भारत का मतलब क्या है, सचिवों की कमेटी ने इस पर पूरा एक प्रस्तुतिकरण दिया था, हम सभी बैठे थे। चर्चा यह हुई थी विकसित भारत के बारे में हम क्या सोचते हैं। उसका पैरामीटर तय हुआ। उसके लिए रास्ता क्या है, यह अलग विषय है। विकसित भारत के निर्माण के हमने बजट में चार-पांच बातें रखी हैं। जहां तक गरीबी की बात है तो गरीबी सशक्तीकरण से दूर होती है। गरीब के पास थोड़े पैसे आते हैं लेकिन इस पैसे को वह मकान बनाने, नल ठीक कराने, इलाज कराने या शिक्षा पर खर्च करेगा तो वह परिवार के लिए नहीं सोच सकता है। हमारे प्रधानमंत्री ने इसलिए गरीब को मकान, स्वास्थ्य, शिक्षा, जल जैसी सुविधाएं मुफ्त में दी ताकि गरीब के पास थोड़ा पैसा बचे और वह परिवार के लिए सोच सके। हम उनको सशक्त कर रहे हैं। उनके पास जमीन नहीं है, सोना नहीं है तो बैंक भी उन्हें लोन नहीं देते हैं। हम सरकारी प्रणाली के माध्यम से उन्हें काम करने के लिए लोन दिलवा रहे हैं, कुशल बना रहे हैं।

    प्रश्न: बजट में विनिवेश, निजीकरण व संपदा के मौद्रिकरण को लेकर क्या हुआ?

    उत्तर: हम अच्छा करेंगे। संपदा मौद्रिकरण के लिए 10 लाख करोड़ का लक्ष्य है। जो विनिवेश होना है, वह होगा। विनिवेश जरूर होगा। उनका मूल्यांकन भी अच्छा हुआ है।

    प्रश्न: आपने 2030 तक कर्ज के अनुपात को जीडीपी के 51 प्रतिशत लाने का लक्ष्य रखा है तो राजकोषीय घाटा इस समय तक कहां तक आएगा, आठवें वेतन आयोग की भी घोषणा हो चुकी है और पेंशन का भार भी बढ़ रहा है, इससे कहां तक प्रभावित होगा?

    उत्तर: अगले साल से राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.5 प्रतिशत से नीचे ले जाने का लक्ष्य रखा है। हम जीडीपी के अनुपात में कर्ज को कम करने पर ध्यान देंगे। इससे राजकोषीय घाटा भी कम होगा। यह अनुपात 50 प्रतिशत तक हो सकता है, हम 50 प्लस वन, माइनस वन तक ले जाने पर फोकस कर रहे हैं। आठवें वेतन आयोग की सिफारिश और पेंशन के भार को भी मैनेज करेंगे। हम आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश नहीं करते हैं। हम वास्तविक आंकड़ा देते हैं।

    प्रश्न: इस बार के बजट में क्रिप्टो को रेगुलेट करने की बात है, क्या करेंगी?

    उत्तर: क्रिप्टो पर अभी टीडीएस कलेक्ट किया जाता है। देखिए, क्रिप्टो एक टेक्नोलाजी है। इसलिए इसे रेगुलेट करने के लिए एक देश का कानून काफी नहीं है। क्योंकि टेक्नोलाजी विदेश में भी है। एक साथ कुछ देशों में समान रूप से रेगुलेशन लाना होगा। हमने जी20 में इस मुद्दे को उठाया था। वे इससे सहमत भी थे। ब्राजील भी इस पर काम कर रहा है। कम से कम बेसिक तो कई देशों में एक जैसा होना चाहिए।

    प्रश्न: मेक इन इंडिया प्रोग्राम पहले से चल रहा है, फिर मैन्युफैक्चरिंग मिशन लाने की क्या जरूरत थी?

    उत्तर: मैन्युफैक्चरिंग मिशन के साथ एक्सपोर्ट मिशन भी बजट में लाया गया है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि वैश्विक मांग व हालात को देखते हुए अब ग्रीन उत्पाद लाने होंगे। उसके लिए सरकार व निजी सेक्टर को आपसी समझ विकसित करनी होगी, नीतियां लानी होगी, फ्रेमवर्क लाना होगा। मिशन के द्वारा वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय व वित्त मंत्रालय एक साथ काम करेंगे।

    प्रश्न: मानव विकास इंडेक्स से जुड़ी सुविधाओं को अंतिम छोर तक पहुंचाने के लिए आपके हिसाब से और क्या प्रयास किए जा सकते हैं?

    उत्तर: मानव विकास इंडेक्स से जुड़ी सुविधाओं को अंतिम छोर तक पहुंचाने के लिए इस सरकार से अधिक और कौन कर सकता है। स्वच्छता, पेयजल जैसी सुविधाएं हम घर-घर पहुंचा रहे हैं। मातृत्व मृत्यु दर को कम करने पर लगातार काम हो रहा है। यूनेस्को की रिपोर्ट के मुताबिक स्वच्छता और पेयजल को अंतिम छोर तक पहुंचाने से देश में दूषित पानी की वजह से होने वाली बीमारियों में 80 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। हमारे प्रधानमंत्री खुद 116 जिलों में मानव विकास संबंधी सुविधाओं की निगरानी करते हैं। स्कूल में शिक्षा, स्वास्थ्य केंद्र जैसे सुविधाएं मानव विकास से ही जुड़ी है और हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि अंतिम छोर तक मानव के विकास का काम हो रहा है।

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