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    Madhabi Buch: पूर्व SEBI प्रमुख माधवी पुरी बुच पर FIR दर्ज करने का आदेश, शेयर बाजार में धोखाधड़ी का आरोप

    मुंबई की अदालत ने पूर्व सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और 5 अन्य के खिलाफ कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघनों के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। विशेष एसीबी अदालत के न्यायाधीश शशिकांत एकनाथराव बांगड़ ने पारित आदेश में कहा नियमों में चूक और मिलीभगत के प्राइम फेसी सबूत हैं जो एक निष्पक्ष और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।

    By Jagran News Edited By: Chandan Kumar Updated: Sun, 02 Mar 2025 07:36 PM (IST)
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    अदालत ने कहा कि वह जांच की निगरानी करेगी।

    पीटीआई, मुंबई। मुंबई की एसीबी अदालत ने पूर्व सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और 5 अन्य के खिलाफ कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघनों के आरोप में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। 

    अदालत ने भष्ट्राचार निरोधक ब्यूरी (एसीबी) वर्ली को आदेश दिया कि वह माधबी पुरी बुच, ऑल टाइम मेंबर्स अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण, कमलेश चंद्र वर्श्नेय, BSE के CEO सुंदररमन राममूर्ति और पूर्व चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल के खिलाफ FIR दर्ज करें।

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    विशेष एसीबी अदालत के न्यायाधीश, शशिकांत एकनाथराव बांगड़ ने पारित आदेश में कहा, " इन व्यक्तियों के खिलाफ नियमों में चूक और मिलीभगत के प्रथम दृष्टया सबूत मिले हैं, इसलिए इसमें एक निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।" अदालत ने कहा कि वह जांच की निगरानी करेगी, और 30 दिनों के भीतर मामले की स्थिति रिपोर्ट मांगी।

    अदालत ने और क्या कहा?

    अदालत के आदेश में यह भी जिक्र किया गया कि पांचों आरोपियों के खिलाफ जो आरोप लगे हैं वह संज्ञानीय अपराध (cognisable offence) की प्रकृति के हैं, जिसके लिए जांच की दरकार है।

    कोर्ट ने कहा, "कानून प्रवर्तन (एजेंसियों) और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की निष्क्रियता के कारण दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों के तहत न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है।"

    इस केस के शिकायतकर्ता ने आरोपियों के खिलाफ कथित जांच की मांग की थी। शिकायतकर्ता एक मीडिया रिपोर्टर हैं और उन्होंने कहा है कि इस मामले में बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी, नियामक उल्लंघन और भ्रष्टाचार शामिल हैं।

    शिकायतकर्ता ने क्या लगाए आरोप?

    आरोप में कहा गया है कि एक कंपनी को 1992 के सेबी अधिनियम और उसके तहत नियमों और विनियमों के अनुपालन के बिना स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग की गई थी। आरोप में कहा गया है कि इस लिस्टिंग में नियामक एजेंसियां, खास तौर से सेबी की सक्रिय मिलीभगत रही है।

    शिकायतकर्ता ने दावा किया कि सेबी के अधिकारियों अपनी वैधानिक जिम्मेदारी निभाने में नाकामयाब रहे हैं। आरोप लगाया गया कि सेबी ने बाजार में हेरफेर को शह दिया और एक ऐसे कंपनी को लिस्टिंग की इजाजत दिया जो तय मानदंडों को पूरा नहीं करती थी।

    शिकायतकर्ता ने कहा कि पुलिस स्टेशन और संबंधित नियामक निकायों से कई बार संपर्क करने के बावजूद, उनके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।

    हिंडनबर्ग ने बुच पर लगाए थे आरोप

    भारत की पहली महिला सेबी प्रमुख बुच पर अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग की ओर से हितों के टकराव के आरोप लगाए गए थे और इसके बाद राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ा था। पूर्व सेबी प्रमुख ने शुक्रवार को अपनी तीन साल की अवधि पूरी की थी और रिटायर हो गईं।

    पिछले साल अगस्त में, बुच पर इस्तीफा देने का दबाव डाला गया जब हिंडनबर्ग रिसर्च ने उन पर हितों के टकराव का आरोप लगाया। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि अदाणी समूह में हेरफेर और धोखाधड़ी के दावों की गहन जांच को रोक दिया।

    हिंडनबर्ग ने माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर आरोप लगाया कि उन्होंने ऑफशोर संस्थाओं में निवेश किया, जो कथित तौर पर एक फंड संरचना का हिस्सा थीं जिसमें विनोद अदानी (अदानी समूह के संस्थापक अध्यक्ष गौतम अदानी के बड़े भाई) ने भी निवेश किया था।

    बुच ने इस आरोप का खंडन किया था, यह कहते हुए कि निवेश उनके नियामक में शामिल होने से पहले किए गए थे और उन्होंने सभी आवश्यकताओं का पालन किया था। बता दें हिंडनबर्ग ने हाल ही में अपने व्यवसाय को बंद करने की घोषणा की।

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