EPFO में सुधार से दावों के निपटान में आई तेजी, रिकॉर्ड पांच करोड़ दावों का हुआ भुगतान
ईपीएफओ सदस्यों को अपने प्रोफाइल से जुड़ी त्रुटि खुद ठीक करने की सुविधा दी गई है। पीएफ ट्रांसफर प्रक्रिया आसान बनाई गई है जिसमें नियोक्ता की मंजूरी की जरूरत कम हुई है। स्वत दावा भुगतान के तहत रकम तीन दिनों के भीतर सदस्य के खाते में जमा हो जाती है। इस वित्त वर्ष में स्वत दावा भुगतान की संख्या 1.87 करोड़ हो गई है जो पिछले साल 89.52 लाख थी।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में जारी सुधारों के चलते सदस्यों के दावों के भुगतान से लेकर शिकायतों के निपटाने की गति तेज हो गई है। ईपीएफओ द्वारा वर्तमान वित्त वर्ष में अब तक रिकॉर्ड पांच करोड़ से अधिक दावों का निपटान करते हुए 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि का जारी करना इसका प्रमाण है।
ईपीएफओ को अत्याधुनिक डिजिटिल कोर बैंकिंग की तर्ज पर इसके सदस्यों को सेवा देने के लिए किए जा रहे दूसरे चरण के सुधार अंतिम दौर में है और जून-जुलाई में सुधारों का तीसरा चरण पूरा होने की संभावना है। ईपीएफओ के आंकड़ों के अनुसार 2024-25 में 5.08 करोड़ दावों का निपटान किया गया जो एक वर्ष में अब तक सबसे अधिक संख्या है।
इन दावों के निपटान की कुल राशि 2.05 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। जबकि पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में 4.45 करोड़ दावों का निपटान किया गया जिसकी कुल राशि 1.82 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा थी।
श्रम मंत्री ने की ईपीएफओ की तारीफ
केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया ने दावों के इस रिकार्ड निपटान का श्रेय ईपीएफओ में किए गए महत्वपूर्ण सुधारों को देते हुए कहा कि डिजिटल सुधारों के चलते दावों के निपटान की प्रक्रिया तेज हुई और सदस्यों की शिकायतें कम हुईं। ईपीएफओ में हुए प्रमुख सुधारों की चर्चा करते हुए कहा कि स्वत: दावा भुगतान की सीलिंग और श्रेणी बढ़ाई गई है।
ईपीएफओ सदस्यों को अपने प्रोफाइल से जुड़ी त्रुटि खुद ठीक करने की सुविधा दी गई है। पीएफ ट्रांसफर प्रक्रिया को आसान बनाया गया है जिसमें नियोक्ता की मंजूरी की जरूरत कम हुई है। स्वत: दावा भुगतान के तहत रकम तीन दिनों के भीतर सदस्य के खाते में जमा हो जाती है।
44% पीएफ खातों का स्वत: ट्रांसफर
मंडाविया ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में स्वत: दावा भुगतान की संख्या दोगुना होकर 1.87 करोड़ हो गई है जो पिछले साल 89.52 लाख थी। पीएफ ट्रांसफर को सरकार बनाने का परिणाम हुआ है कि 48 प्रतिशत दावे सीधे ईपीएफओ बिना नियोक्ता की मंजूरी के को भेजे जाते हैं और 44 प्रतिशत पीएफ खातों का स्वत: ट्रांसफर हो रहा है। अब केवल आठ प्रतिशत मामलों में ही नियोक्ता की मंजूरी जरूरी होती है।
इसी तरह त्रुटि सुधार के संबंध में अब 97.18 सुधार खुद सदस्यों ने किया है और केवल एक प्रतिशत मामले में नियोक्ता की सहमति की जरूरत हुई है। ईपीएफ सुधारों की वजह से दावे खारिज करने की संख्या में भी भारी कमी आई है और केवल 1.11 प्रतिशत मामले नियोक्ता और 0.21 प्रतिशत दावे ईपीएफओ ने इस वर्ष खारिज किए हैं जिससे साफ है कि नई प्रणाली से दावों का निपटान आसान और गति तेज हुई है।
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