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राजन की फटकार ने किया कमाल, बैंकों ने घटाई ब्याज दरें

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन की फटकार के बाद भारत के शीर्ष बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने अपने कर्ज देने की दरों में कटौती की घोषणा की है।

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2015 07:45 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2015 11:09 AM (IST)
राजन की फटकार ने किया कमाल, बैंकों ने घटाई ब्याज दरें

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन की फटकार के बाद भारत के शीर्ष बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने अपने कर्ज देने की दरों में कटौती की घोषणा की है।

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मिली जानकारी के मुताबिक़ एसबीआई ने ब्याज दर घटाकर 9.85 प्रतिशत कर दी है। वहीं, एसबीआई के बाद निजी क्षेत्र के बैंक एचडीएफ़सी ने भी ब्याज दर में कटौती की घोषणा की है। केंद्रीय बैंक की घुड़की के बाद देश के तीन बड़े बैंकों- एसबीआइ, आइसीआइसीआइ और एचडीएफसी बैंक ने अपने बेस रेट में कटौती का एलान कर दिया है।

देर शाम भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) और देश के दूसरे सबसे बड़े निजी बैंक एचडीएफसी ने अपने बेस रेट में 0.15-0.15 फीसद की कमी कर दी। इसके बाद निजी क्षेत्र के दिग्गज बैंक आइसीआइसीआइ ने 0.25 फीसद की बड़ी कटौती का एलान कर दिया। हाल के महीनों मे बड़े बैंकों की तरफ से पहली बार कर्ज को सस्ता किया गया है। इन तीनों बैंकों का बेस रेट (वह दर जिससे कम पर बैंक कर्ज नहीं दे सकते) 10 फीसद था। एसबीआइ और एचडीएफसी बैंक की यह आधार दर अब घटकर 9.85 फीसद हो गई। वहीं, आइसीआइसीआइ का बेस रेट अब 9.75 पर आ गया। माना जा रहा है कि अन्य बैंक भी जल्द ही इस दर में थोड़ी बहुत कमी करेंगे।

बहरहाल, आरबीआइ ने मंगलवार को चालू वित्त वर्ष 2015-16 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति पेश करते हुए रेपो रेट को 7.5 फीसद पर बनाए रखा है। नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को भी चार फीसद पर रखा गया है। इन दोनों दरों में कटौती होने से बैंको की लागत कम होती। इसका फायदा वह आम जनता को सस्ते कर्ज के तौर पर देते। आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि अभी महंगाई की स्थिति स्पष्ट नहीं है।

बेमौसम बारिश से 17 फीसद रबी फसल पर असर पड़ने की आशंका है। इससे आने वाले दिनों में खाने-पीने की चीजें महंगी हो सकती हैं। राजन ने इसका भरोसा जताया है कि सरकार के साथ हुए समझौते के मुताबिक इस वर्ष महंगाई की दर को छह फीसद से नीचे रखने में दिक्कत नहीं आएगी।

राजन ने बाद में बताया कि जनवरी से आरबीआइ ने दो बार में रेपो रेट में आधा फीसद की कटौती कर चुका है। लेकिन बैंकों ने अभी तक इसका फायदा ग्राहकों को नहीं दिया है, जबकि उनकी फंड की लागत कम हुई है। बैंकों ने बेस रेट को घटाकर होम और ऑटो लोन को सस्ता करने के लिए पहल नहीं की है। ऐसे में अभी कर्ज को सस्ता करने की जिम्मेदारी बैंको की है।

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