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    MSME को वैश्विक स्तर पर मिलेगी पहचान, UPI से मिलेगा लोन; जानिए सरकार का प्लान

    Updated: Mon, 03 Mar 2025 09:42 PM (IST)

    एमएसएमई मंत्रालय भारतीय एमएसएमई को वैश्विक स्तर का बनाने की कोशिश में लगा है। आने वाले दिनों में इसको लेकर कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। इन दिनों एमएसएमई खासकर मीडियम इंटरप्राइजेज के लिए फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है। इस माह के आखिर तक एमएसएमई को यूपीआई से कर्ज देने की शुरुआत हो सकती है। मुख्य रूप से माइक्रो उद्यमियों के लिए यह सुविधा होगी।

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    एमएसमई को वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा बनाने की कवायद शुरू। (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एमएसएमई मंत्रालय और नीति आयोग इन दिनों जर्मनी की तरह भारतीय एमएसएमई को वैश्विक स्तर का बनाने की कवायद में जुटा है। सरकार एमएसएमई को वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा बनाना चाहती है ताकि निर्यात में उनकी भागीदारी बढ़े।

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    इसे ध्यान में रखते हुए इन दिनों एमएसएमई खासकर मीडियम इंटरप्राइजेज के लिए फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है। पिछले महीने पेश बजट में एमएसएमई को वैश्विक सप्लाई चेन बनाने की घोषणा की गई थी। जर्मनी के जीडीपी में एमएसएमई की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत है। भारतीय जीडीपी में एमएसएमई का योगदान लगभग 30 प्रतिशत है।

    टेक्नोलाजी के मामले में भारतीय एमएसएमई पीछे

    विशेषज्ञों का कहना है कि जर्मनी एमएसएमई पर आधारित अर्थव्यवस्था है और एमएसएमई में टेक्नोलाजी के अधिकाधिक इस्तेमाल से ऐसा संभव हो पाया है। भारतीय एमएसएमई अभी टेक्नोलाजी के इस्तेमाल में यूरोपीय देशों के काफी पीछे हैं। इसलिए नीति आयोग एमएसएमई सेक्टर में टेक्नोलाजी के इस्तेमाल को लेकर पूरा सर्वे करा रहा है और यह भी समझने की कोशिश की जा रही है कि भारतीय एमएसएमई में इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलाजी वैश्विक स्तर के अनुरूप है या नहीं।

    इस बात पर दिया जा रहा खास ध्यान

    टेक्नोलाजी को अपनाने में यूरोपीय देशों के साथ भारतीय एमएसएमई का तुलनात्मक अध्ययन किया जा रहा है। वैश्विक स्तर पर एमएसएमई के रुख का भी विश्लेषण किया जा रहा है ताकि उसे देखते हुए भारतीय एमएसएमई को तैयार किया जा सके।

    सूत्रों के मुताबिक विशेष रूप से मीडियम इंटरप्राइजेज को वैश्विक सप्लाई चेन का हिस्सा बनाने पर विशेष फोकस किया जा रहा है। फरवरी में पेश बजट में एमएसएमई की परिभाषा बदल दी गई और अब 100 से 500 करोड़ रुपए तक का सालाना कारोबार करने वाले मीडियम श्रेणी में आएंगे।

    सूत्रों के मुताबिक मीडियम श्रेणी क्रेडिट पर फोकस किया जाएगा क्योंकि उन्हें क्रेडिट को लेकर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि इस बार के बजट में इन चुनौतियों को समाप्त करने की कोशिश की गई है। एमएसएमई से जुड़ी सभी स्कीम को एक जगह मिलाकर उसका सरलीकरण किया जाएगा। ताकि वे स्कीम के लिए आसानी से आवेदन कर सके। क्लस्टर आधारित औद्योगिक हब भी विकसित किए जाएंगे।

    अप्रैल से पहले एमएसएमई को यूपीआई से कर्ज देने की शुरुआत

    दूसरी तरफ, इस माह के आखिर तक एमएसएमई को यूपीआई से कर्ज देने की शुरुआत हो सकती है। मुख्य रूप से माइक्रो उद्यमियों के लिए यह सुविधा होगी। पिछले साल जुलाई में पेश बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा की थी। यूपीआई से कर्ज देने के लिए अलग से एक पोर्टल तैयार किया गया है। एसबीआई पायलट के रूप में यूपीआई से लोन देने की शुरुआत कर चुका है। सभी बैंक यूपीआई के माध्यम से लोन देने के फ्रेमवर्क को तैयार कर रहे थे।

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