इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के खिलाफ ED की जांच शुरू, रूस-दुबई से जुड़े हैं तार; आपने तो नहीं लगाया पैसा
ईडी ने ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ऑक्टाएफएक्स (OctaFX) के खिलाफ जाँच शुरू की है जिसके प्रमोटर रूस में हैं। जाँच में पता चला है कि ऑक्टाएफएक्स ने भारतीय कारोबार से लगभग 800 करोड़ रुपये की संदिग्ध कमाई की है। ईडी ने 172 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। ऑक्टाएफएक्स के अलावा पावर बैंक टीएम ट्रेडर्स जैसे अन्य प्लेटफॉर्म भी जाँच के दायरे में हैं।

नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ऑक्टाएफएक्स (OctaFX) के खिलाफ जाँच शुरू की है, जिसके प्रमोटर रूस में मौजूद हैं। वहीं ऑक्टाएफएक्स का टेक्निकल सपोर्ट जॉर्जिया से ऑपरेट होता है, भारत में ऑपरेशन दुबई से प्रबंधित होता है और सर्वर बार्सिलोना में स्थित हैं।
यह जाँच क्रॉस बॉर्डर के उन कामों की व्यापक जाँच में बदल गई है जो कथित तौर पर अपराध की काली कमाई को क्रिप्टोकरेंसी में बदलते हैं और अंतर्राष्ट्रीय पेमेंट गेटवे का उपयोग करते हैं।
172 करोड़ रुपये की संपत्ति हुई कुर्क
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ईडी के निष्कर्षों के अनुसार, साइप्रस में शुरू किए गए और फॉरेन करेंसी, कमोडिटी और क्रिप्टोकरेंसी में काम करने वाले ऑक्टाएफएक्स ने केवल नौ महीनों में अपने भारतीय कारोबार से लगभग 800 करोड़ रुपये की संदिग्ध आपराधिक कमाई की है।
ईडी ने कहा कि इनमें से कुछ लेन-देन भारत से अवैध फ्लो को छिपाने के लिए सिंगापुर से "सर्विसेज के नकली आयात" के रूप में दिखाई गईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक मामले में, भारत और विदेशों में 172 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की गईं, जिनमें एक नौका, स्पेन में एक विला, 36 करोड़ रुपये की बैंक जमा राशि, 39,000 यूएसडीटी (Tether) क्रिप्टोकरेंसी और 80 करोड़ रुपये की डीमैट और लैंड शामिल हैं।
और भी कई प्लेटफॉर्म के खिलाफ चल रही है जांच
ईडी की मुंबई जोनल यूनिट ऑक्टाएफएक्स की जाँच कर रही है। लेकिन ऑक्टाएफएक्स निवेश धोखाधड़ी के लिए जाँच के दायरे में आने वाला अकेला प्लेटफॉर्म नहीं है। ऐसे कई प्लेटफॉर्म के खिलाफ जांच चल रही है। अन्य प्लेटफॉर्म में पावर बैंक (बेंगलुरु इकाई), टीएम ट्रेडर्स, विवान ली (कोलकाता इकाई), और जारा एफएक्स (कोच्चि इकाई) शामिल हैं। ये मामले विभिन्न शहरों में दर्ज कई एफआईआर से जनरेट हुए हैं।
कितना हुआ भारतीयों को नुकसान
ईडी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2024 में लगभग 36.4 लाख वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में भारतीयों को 22,800 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ, जो कि 2023 में 7,465 करोड़ रुपये के नुकसान की तुलना में 200% से अधिक की वृद्धि है। साथ ही मामलों की संख्या में भी 50% से अधिक की वृद्धि हुई है।
ये भी पढ़ें - ई-कचरा और कबाड़ ने भर दिया सरकार का खजाना, बेचकर कमाए ₹3296 Cr; 696 लाख वर्ग फुट ऑफिस स्पेस हुआ क्लीन
लाओस, हांगकांग और थाईलैंड के फर्जी मामले
एक अन्य मामले की जाँच में, लाओस, हांगकांग और थाईलैंड से सक्रिय धोखेबाजों ने जाली दस्तावेजों के आधार पर शेल कंपनियाँ बनाने, फर्जी आईपीओ अलॉटमेंट जारी करने, और फर्जी स्टॉक निवेश और डिजिटल गिरफ्तारियाँ करने के लिए भारतीय एजेंटों को काम पर रखा। इस इनकम को क्रिप्टोकरेंसी के जरिए प्रसारित किया गया और फर्जी "सेवाओं के आयात" के भुगतान के रूप में विदेशों में भेजा गया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।