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    फर्जी जीएसटी पंजीकरण के खिलाफ अभियान ने बढ़ाई ई-कॉमर्स कंपनियों की मुसीबत, वर्चुअल ऑफिस चलाना हुआ मुश्किल

    By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav Shalya
    Updated: Mon, 03 Jul 2023 07:50 PM (IST)

    सरकार की ओर से फर्जी जीएसटी पंजीकरण के खिलाफ मई में अभियान शुरू किया गया था। इस कारण उन ई-कॉमर्स कंपनियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है जो कि बिना अकाउंट बुक के वर्चुअल ऑफिस को चला रही हैं। अब तक जीएसटी अधिकारियों की ओर से 45000 से ज्यादा फर्जी जीएसटी पंजीकरण को पकड़ा गया है। (जागरण फाइल फोटो)

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    फर्जी जीएसटी पंजीकरण के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है।

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। फर्जी जीएसटी पंजीकरण के खिलाफ चल रहे सरकारी अभियान ने उन ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए मुसीबत को बढ़ा दिया है जो देश के अलग-अलग राज्यों में कम स्टाफ के साथ वर्चुअल ऑफिस को बिना अकाउंट बुक के चलाती हैं।

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    समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत करते हुए मेकमाईट्रिप (MakeMyTrip) ग्रुप के वाइस प्रेसीटेंड टैक्सेशन तंजीदर सिंह ने बातचीत करते हुए कहा कि जीएसटी विभाग को अकाउंट बुक की उपलब्धता न होने के चलते वर्चुअल ऑफिस को फर्जी पंजीकरण मानने से पहले कंपनी के मुख्यालयों में बातचीत कर लेनी चाहिए।

    हम राज्यों में वर्चुअल ऑफिस चलाते हैं और इस फर्जी जीएसटी पंजीकरण को पहचानने वाले अभियान में हमारे फील्ड ऑफिस को गलत तरीके से लिया गया है। हम इन ऑफिस का उपयोग केवल टैक्स भुगतान के लिए करते हैं। कोई भी आईटीसी और फ्रॉड इन पंजीकरण को लेकर नहीं किया गया है।

    फर्जी जीएसटी पंजीकरण के खिलाफ सरकार चला रही अभियान

    सेंट्रल और स्टेट जीएसटी ऑथोरिटीज की ओर से 16 मई को दो महीने के लिए फर्जी जीएसटी पंजीकरण जांचने का अभियान शुरू किया गया था। इसमें अब तक करीब 45000 से ज्यादा फर्जी पंजीकरण को पकड़ा जा चुका है, जिनसे 13,000 करोड़ रुपये की राशि जब्त की गई है। इसके साथ गलत तरीके से आईटीसी लेने वालों के 1430 करोड़ रुपये ब्लॉक किए गए हैं।

    ई-कॉमर्स कंपनियों को आ रही इस समस्या पर सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स (CBIC) के सदस्य शशांक प्रिया ने कहा कि हम सलाह दे रहे कि जहां भी वर्चुअल ऑफिस कंपनियों ने दिखाया हुआ है। वहां फर्जी जीएसटी पंजीकरण और ई-कॉमर्स ऑपरेटर के बीच अंतर काफी कम होता है। इसमें कुछ विशिष्टता होनी चाहिए, जिससे पहचाना जा सके कि यह एक वास्तविक कार्यकल है।

    आगे कहा कि जब भी अधिकारी जाते हैं तो कार्यलय की ओर से कहा जाता है कि रिकॉर्ड हमारे पास नहीं हैं और मुख्य कार्यालय पर ही मिलेगा। इससे संदेह पैदा होता है। इसके लिए कंपनियों को रिकॉर्ड दिखाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का उपयोग करना चाहिए, जिससे अधिकारी संतुष्ट हो कि वह एक वास्तविक पंजीकरणकर्ता हैं।