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    27-27 करोड़ रुपये जुर्माना, 5 साल का बैन, कौन हैं घोटालेबाज वधावन ब्रदर्स, जो निगल गए थे बैंकों के 34000 करोड़

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 01:37 PM (IST)

    DHFL Bank Fraud दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के प्रमोटर रहे कपिल और धीरज वधावन ने अन्य लोगों के साथ मिलकर 34000 करोड़ का बैंक घोटाला किया था। इस केस ...और पढ़ें

    सेबी ने कपिल और धीरज वधावन पर 5 साल के लिए बैन लगाया।

    नई दिल्ली। होम लोन के नाम पर भारत में एक बड़े बैंक घोटाले को अंजाम देने वाले वधावन ब्रदर्स के खिलाफ शेयर बाजार नियामक SEBI ने बड़ा एक्शन लिया है। दरअसल, सेबी ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन (DHFL) से कथित तौर पर पैसों के गबन के मामले में पूर्व प्रमोटर्स कपिल वधावन और धीरज वधावन को सिक्योरिटी मार्केट से 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। इसके साथ ही सेबी ने वधावन ब्रदर्स पर किसी भी लिस्टेड कंपनी में कोई भी प्रमुख पद लेने पर भी बैन लगा दिया है।

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    इस मामले में सेबी ने राकेश वधावन और सारंग वधावन पर 4-4 साल का प्रतिबंध लगाया गया है, जबकि पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी और संयुक्त प्रबंध निदेशक हर्षिल मेहता और पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी संतोष शर्मा पर तीन-तीन साल का बैन लगा है।

    120 करोड़ रुपये जुर्माना

    सेबी ने वधावन ब्रदर्स समेत सभी चारों लोगों पर 120 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। कपिल और धीरज वधावन पर 27-27 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जो जुर्माने की रकम में सबसे अधिक है। सेबी ने इन पर एक फ्रॉड स्कीम में शामिल होने का आरोप लगाया, जिसके तहत एक-दूसरे से और डीएचएफएल प्रमोटर समूह से जुड़ी 87 “बांद्रा बुक एंटिटीज” (बीबीई) को लोन वितरित किए गए थे।

    क्या था DHFL घोटाला

    दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के प्रमोटर रहे कपिल और धीरज वधावन ने अन्य लोगों के साथ मिलकर 34,000 करोड़ के बैंक घोटाले को अंजाम दिया था. सीबीआई ने इन लोगों को आपराधिक साजिश में शामिल होने, तथ्यों को छुपाने और गलत तरीके से पेश करने व सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करने का आरोपी पाया।

    इस पूरे घोटाले को फंड डायवर्जन कर “कपिल और धीरज वधावन के लिए संपत्ति बनाने” के लिए अंजाम दिया गया। इस स्कैम का पर्दाफाश उस वक्त हुआ जब बैंकों ने DHFL का स्पेशल रिव्यू ऑडिट कराया।

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    इस खुलासे से पहले ही DHFL के डिफॉल्ट होने की खबरें सामने आने लगी और 21 सितंबर 2018 को कंपनी के स्टॉक बुरी तरह गिरकर 60 फीसदी तक टूट गए, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। जून 2021 में डीएचएफएल के शेयर मार्केट से डीलिस्ट हो गए।

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