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Edible Oil: नहीं होगी खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि, सरकार ने आयात शुल्क छूट को मार्च 2023 तक बढ़ाया

Edible Oil Price केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की ओर से खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में छूट की सीमा को मार्च 2023 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इससे सरकार को त्योहारी सीजन में खाद्य तेलों की कीमत को कम रखने में मदद मिलेगी।

By Abhinav ShalyaEdited By: Published: Sun, 02 Oct 2022 04:22 PM (IST)Updated: Sun, 02 Oct 2022 04:22 PM (IST)
Edible Oil: नहीं होगी खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि, सरकार ने आयात शुल्क छूट को मार्च 2023 तक बढ़ाया
Concessional import duties on edible oils in place till March 2023

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय में रविवार को कहा कि विशिष्ट खाद्य तेलों पर जारी रियायती आयात शुल्क मार्च 2023 तक जारी रहेगा। सरकार की ओर से यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है, जब वैश्विक अस्थिरता के चलते देश में महंगाई 7 प्रतिशत पर बनी हुई है। इससे खाद्य तेलों की कीमतें कम रखने में सरकार को मदद मिलेगी।

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बता दें, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) की ओर से 31 अगस्त 2022 को ये निर्णय लिया था, जिससे देश में खाद्य तेल की आपूर्ति को बढ़ाया जा सके। ताजा बयान में खाद्य मंत्रालय ने कहा है कि विशिष्ट खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में छूट मार्च 2023 तक जारी रहेगी।

कम हो रही खाद्य तेलों की कीमतें

मंत्रालय ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर खाद्य तेलों की कीमतों में कमी आने के कारण देश में भी कीमतें तेजी से नीचे जा रही हैं। इसके कारण भारत में रिटेल खाद्य तेलों की कीमतों में भी गिरावट आ रही है। क्रूड पाम ऑयल, आरबीडी पामोलिन, आरबीडी पाम ऑयल, क्रूड सोयाबीन ऑयल, रिफाइंड सोयाबीन ऑयल, क्रूड सनफ्लावर ऑयल और रिफाइंड सनफ्लावर ऑयल पर मौजूदा शुल्क संरचना में 31 मार्च 2023 तक कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

खाद्य तेलों शून्य है आयात शुल्क

मौजूदा समय में पाम ऑयल, सोयाबीन ऑयल और सनफ्लावर ऑयल पर आयात शुल्क शून्य है। वहीं, अगर पांच प्रतिशत एग्री सेस और उस पर 10 प्रतिशत सोशल वेलफेयर सूचकांक को मिला लिया जाए, तो इन तीनों खाद्य तेलों पर 5.5 प्रतिशत का कर लिया जा रहा है।

बड़ी मात्रा में खाद्य तेल आयात करता है भारत

भारत अपनी जरूरत का करीब 60 प्रतिशत खाद्य तेल विदेशों से आयात करता है। पिछले कुछ महीनों में वैश्विक बाजारों में अस्थिरता के कारण खाद्य तेलों की कीमतें ऊंचाई पर पहुंच गई थी। हालांकि अब उनकी कीमतों में कमी आनी शुरू हो गई है।

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