US की चालाकी को समझ गया चीन! AI चिप में चाहिए आजादी; अमेरिका को इसलिए हुई टेंशन
व्हाइट हाउस के एआई प्रमुख डेविड सैक्स के अनुसार चीन ने एनवीडिया (Nvidia) के एच200 चिप को रिजेक्ट कर दिया है। चीन घरेलू स्तर पर विकसित सेमीकंडक्टर का स ...और पढ़ें

अमेरिका की बड़ी चालाकी को समझ गया चीन
नई दिल्ली। व्हाइट हाउस के AI प्रमुख डेविड सैक्स के अनुसार चीन ने इसे Nvidia Corp के H200 चिप खरीदने देने की अमेरिकी रणनीति को समझ लिया है और वह घरेलू स्तर पर डेवलप सेमीकंडक्टर के पक्ष में इस AI चिप को रिजेक्ट कर रहा है।
दरअसल राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को कहा था कि वह Nvidia के H200 की शिपमेंट को चीन जाने देंगे। यह एडमिनिस्ट्रेशन की उस कोशिश का हिस्सा है जिसे सैक्स का समर्थन हासिल है। इस कोशिश का मकसद हुआवेई टेक्नोलॉजीज (Huawei Technologies) कंपनी जैसी चाइनीज टेक कंपनियों को उनके घरेलू बाजार में अमेरिकी कंपनियों से मुकाबला करवाकर चुनौती देना है।
शुक्रवार को सैक्स ने संकेत दिया कि उन्हें इस बात पर पूरा यकीन नहीं है कि यह तरीका काम करेगा या नहीं।
क्या है चीन का प्लान?
ब्लूमबर्ग टेक की रिपोर्ट के अनुसार सैक्स के मुताबिक चीन अमेरिकी चिप्स को रिजेक्ट कर रहा है। सैक्स को लगता है कि इसका कारण यह है कि वे (चीन) सेमीकंडक्टर के मामले में आजादी चाहते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सैक्स ने कहा है कि चीन एक लोकल अप्रूवल प्रोसेस के जरिए चिप्स तक पहुंच को सीमित करने की तैयारी कर रहा है, जिसमें चीनी खरीदारों को अपनी खरीदारी को सही ठहराना होगा।
चाइनीज मार्केट के लिए Nvidia का अनुमान क्या है?
सैक्स की टिप्पणियों से यह सवाल उठने लगा है कि क्या Nvidia चीन से रेवेन्यू रिकवर कर पाएगा, जो एक ऐसा डेटा सेंटर मार्केट है जिसे इसने अपने पूर्वानुमानों से पूरी तरह हटा दिया है। लेकिन कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर जेनसेन हुआंग ने इस साल चीन से 50 बिलियन डॉलर के रेवेन्यू का अनुमान लगाया है।
ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस के एनालिस्ट्स का अनुमान है कि चीन में सालाना H200 रेवेन्यू 10 बिलियन डॉलर का अवसर हो सकता है, लेकिन तभी जब वह देश अमेरिकी फर्म की चिप्स को स्वीकार करे।
कैसे हुआ अमेरिकी टैक्सपेयर्स को अरबों डॉलर का नुकसान?
Nvidia के अनुसार वह वेरिफाइड कस्टमर्स के लिए H200 लाइसेंस पर एडमिनिस्ट्रेशन के साथ काम करना जारी रखे हुए है। एनवीडिया के अनुसार तीन साल के बहुत ज्यादा एक्सपोर्ट कंट्रोल ने अमेरिका के विदेशी कॉम्पिटिटर्स को बढ़ावा दिया और अमेरिकी टैक्सपेयर्स को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यू के मुताबिक टेक्नोलॉजी और इकोनॉमी पर सहयोग चीन और अमेरिका दोनों के कॉमन इंटरेस्ट में है।

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