रेयर अर्थ मेटल्स की 'गुप्त इंडस्ट्री' बना रहा चीन, सुपरपावर बनने के लिए दुनिया पर कस रहा शिकंजा? भारत देगा मात!
China on Rare Earths: चीन रेयर अर्थ मेटल्स को हथियार बनाकर सुपरपावर बनने की कोशिश कर रहा है। गान्झोउ में रेयर अर्थ मेटल्स की माइनिंग जोन में गतिविधियाँ तेज हैं। चीन ने एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे अमेरिका में हलचल है। भारत चीन पर निर्भरता कम करने के लिए 7000 करोड़ की योजना बना रहा है।
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तस्वीर पूर्वी चीन के अंडर कंस्ट्रक्शन रेयर अर्थ प्रोसेसिंग प्लांट की है, जहां चीन गुप्त इंडस्ट्री बना रहा है।
China Rare Earths Industry: दुनिया की सुपरपावर बनने की कोशिश में चीन अब रेयर अर्थ मेटल्स को सबसे बड़ा हथियार बना चुका है। ये वही 17 दुर्लभ खनिज (rare earth metals) हैं, जो लड़ाकू विमान, मिसाइल गाइडेंस सिस्टम, रडार, स्मार्टफोन, मेडिकल उपकरण और कारों तक हर जगह इस्तेमाल होते हैं। इसलिए जब चीन इन्हें लेकर कड़े फैसले लेता है, तो अमेरिका सहित पूरी दुनिया हिल जाती है।
न्यूज एजेंसी एएफपी की एक रिपोर्ट बताती है कि चीन के दक्षिण-पूर्वी शहर गान्झोउ में स्थित भारी रेयर अर्थ मेटल्स की माइनिंग जोन इस समय गतिविधियों से भरा हुआ है। यहां यिट्रियम और टर्बियम (Yttrium and Terbium) जैसे महंगे और रणनीतिक तत्व निकाले जाते हैं। इस बेहद गुप्त इंडस्ट्री में मीडिया को शायद ही कभी प्रवेश मिलता है, लेकिन एएफपी के पत्रकारों ने दर्जनों ट्रकों को खदानों और प्रोसेसिंग प्लांट्स से निकलते देखा।
चीन की सरकारी कंपनी बना रही हेडक्वार्टर
चीन इस सेक्टर को लगातार मजबूत कर रहा है। गान्झोउ में चीन की बड़ी सरकारी कंपनी चाइना रेयर अर्थ ग्रुप के लिए नया हेडक्वार्टर बनाया जा रहा है। इसे लेकर रेयर अर्थ एक्सपर्ट हेरॉन लिम बताते हैं कि, "इस साल की चुनौतियों ने दूसरे देशों को भी रेयर अर्थ मेटल्स का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत समझा दी है। यह निवेश लंबे समय में फायदेमंद साबित होगा।"
लेकिन असली तनाव तो तब बढ़ा जब चीन ने अक्टूबर की शुरुआत में रेयर अर्थ एक्सपोर्ट पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए। इससे अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में हलचल मच गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में चले ट्रेड वॉर के बीच यह कदम वॉशिंगटन के लिए बड़ा झटका साबित हुआ। हालांकि दक्षिण कोरिया में ट्रम्प और शी जिनपिंग की मुलाकात में एक साल की अस्थायी ट्रूस (Temporary Truce) हो गई, जिससे चीन को बड़ी रणनीतिक जीत मिली।
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ट्रेड वॉर को हथियार बना सकता है चीन
लिम आगे बताते हैं कि चीन ने साफ दिखा दिया है कि वह ट्रेड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है। असलियत यह है कि दुनिया में दो-तिहाई रेयर अर्थ माइनिंग चीन के हाथ में है, और प्रोसेसिंग का तो 90% से ज्यादा हिस्सा उसी के पास है। अमेरिका और यूरोप पूरी तरह इंपोर्ट पर निर्भर हैं। अमेरिका अब ऑस्ट्रेलिया, जापान, मलेशिया और थाईलैंड के साथ मिलकर वैकल्पिक सप्लाई चेन बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन एक्सपर्ट चेतावनी देते हैं कि यह सफर लंबा होगा। 2010 में जापान को सप्लाई रोकने के बाद से अमेरिका जागा था, लेकिन 15 साल बाद भी सच यही है कि रेयर अर्थ का असली बादशाह आज भी चीन ही है।
भारत का 7000 करोड़ का बड़ा प्लान
इधर, रेयर अर्थ को लेकर पूरी दुनिया की नजरें भारत पर टिकी हैं। खासकर तब, जब रेयर अर्थ प्रोडक्शन में हिस्सेदारी के मामले में दुनिया में पांचवें स्थान पर है। और खासकर तब, जब भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने चीन पर निर्भरता कम करने का धांसू प्लान बना लिया है। बुधवार, 26 नवंबर को केंद्र सरकार ने कैबिनेट बैठक में 7000 करोड़ रुपए से ज्यादा की रेयर अर्थ मैग्नेट स्कीम Rare Earth Permanent Magnet Scheme) को मंजूरी दे दी है। यह स्कीम ऐसे समय लाई जा रही है जब चीन रेयर अर्थ से जुड़ी सामग्रियों पर एक्सपोर्ट कर्ब्स लगाने की धमकी दे चुका है।

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