कनाडा से लड़ाई के बाद चीन इस चीज के लिए भारत पर हुआ निर्भर, एक झटके में 10 गुना बढ़ गई मांग
भारत-चीन व्यापार (India China Trade) में तेजी देखने को मिल रही है। कनाडा के कुछ सामानों पर 100 फीसदी का टैरिफ लगाने की वजह से चीन में रेपसीड मील की मांग तेजी से बढ़ने लगी। इस मांग को पूरा करने के लिए चीन ने भारत पर निर्भरता बढ़ा दी। इससे भारत को तगड़ा फायदा हो रहा है।

नई दिल्ली। रेपसीड मील का सबसे बड़ा उपभोक्ता चीन ने कनाडा से मिले झटके के बाद भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। आमतौर पर भारत औ चीन के बीच तनाव की खबरें आती रहती हैं। लेकिन दोनों देशों के बीच अरबों रुपये का व्यापार भी होता है। इसे लेकर बहुत कम बातचीत होती है। अब एक ऐसी खबर आई है जिसे पढ़कर आप भी थोड़ी हैरत में पढ़ जाएंगे। दरअसल, रेपसीड मील के लिए चीन की निर्भरता भारत पर बढ़ गई है। इस कारण इसकी मांग तेजी से बढ़ी है।
चीन ने कनाडा के मील और तेल पर 100% का टैरिफ लगाया है जिसकी वजह से उसे वहां से रेपसीड मील मंगाना महंगा पड़ रहा है। ऐसे में चीन के व्यापारियों ने रेपसीड मील के लिए भारत का रुख किया है। यही कारण है कि भारत में रेपसीड मील का निर्यात तेजी से बढ़ गया है। भारत में इस उत्पाद की मांग 10 गुना तक बढ़ गई है, जिसके चलते भारत और चीन के बीच व्यापार (India China Trade) तेजी से बढ़ रहा है।
इतना हो जाएगा रेपसीड मील का निर्यात
चालू वित्त वर्ष भारत के रेपसीड मील निर्यात में जोरदार तेजी आने की उम्मीद है। चीन में बढ़ती मजबूत मांग के चलते घरेलू व्यापारियों को तगड़ा मुनाफा होने वाला है। रिपोर्ट के अनुसार ऐसा अनुमान है कि 2025/26 में चीन को भारत का निर्यात रिकॉर्ड 500,000 मीट्रिक टन तक पहुंच जाएगा, जो पिछले साल सिर्फ 60,759 टन था। इसकी कीमत प्रति टन लगभग 202 डॉलर के आसपास है। इसके बढ़ते निर्यात से भारत को तगड़ा मुनाफा हो रहा है।
चीन द्वारा रेपसीड मील आयात किए जाने से भारत में तेल पेराई में भी तेजी देखने को मिली है। रेपसीड तेल की उपलब्धता में भी सुधार हो रहा है। पारंपरिक रूप से दक्षिण कोरिया, बांग्लादेश और वियतनाम पर निर्भर रहने वाले भारतीय निर्यातकों को अब चीन के रूप में सबसे बड़ा ग्राहक मिल गया है।
कम कीमत की वजह से भी बढ़ रही है मांग
दरअसल, चीन को रेपसीड मील अन्य देशों के मुकाबले भारत में कम कीमत पर मिल रहा है। मांग बढ़ने में कम कीमत होना भी एक कारण हैं। रेपसीड मील 202 डॉलर प्रति टन के हिसाब से मिल रहा है, जबकि यूरोप में इसकी कीमत 300 डॉलर प्रति टन है। FY25-26 के पहले दो महीनों में रेपसीड मील का निर्यात 113,836 टन तक पहुंच गया।
भारत पहले से ही पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेलों का आयातक है, ऐसे में चीन द्वारा रेपसीड मील का आयात करना हमारे लिए फायदेमंद है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के बी.वी. मेहता ने कहा, "भारतीय रेपसीड मील अन्य देशों की तुलना में बहुत प्रतिस्पर्धी है। यही कारण है कि चीन मार्च महिने से ही से खरीद बढ़ा रहा है।"
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