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    भारत-चीन की नजदीकी से पाकिस्तान को 61000 करोड़ का लॉस! चिंता में मुनीर से लेकर शहबाज, इस बैंक से मांगा लोन

    Updated: Mon, 01 Sep 2025 01:45 PM (IST)

    पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था से लेकर आर्मी तक हमेशा बाहरी आर्थिक और सैन्य मदद के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रही है। हालांकि चीन जिसे इस्लामाबाद में लंबे समय से सच्चा दोस्त माना जाता रहा है वह पाकिस्तान को फंडिंग 61000 करोड़ के प्रोजेक्ट में फंडिंग करने से हिचक रहा है। यह मामला पाकिस्तान में एक खास रेल प्रोजेक्ट से जुड़ा है।

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    चीन ने मेनलाइन-I (ML-I) रेलवे परियोजना की फंडिंग के लिए वादा किया था।

    नई दिल्ली। पाकिस्तान पिछले 4-5 सालों से महंगाई, कर्ज और नकदी संकट से जूझ (Cash Crisis in Pakistan) रहा है, और लोन के लिए चीन से लेकर सऊदी अरब जैसे देशों से गुहार लगाता रहा है। लेकिन, जैसे ही ट्रंप ने पाकिस्तान में इंटरेस्ट लेना शुरू किया है तो चीन ने इस्लामाबाद से दूरी बना ली है। ऐसे में पाकिस्तान का एक अहम प्रोजेक्ट अधर में लटकता नजर आ रहा है। दरअसल, सालों से सालों से पाकिस्तान विदेशी मित्रों से कर्ज लेता रहा है, पहले अमेरिका खास था तो कभी चीन। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार बाहरी वित्तपोषण पर निर्भर रही है। लेकिन अब चीन, जिसे इस्लामाबाद में लंबे समय से "सच्चा दोस्त" माना जाता रहा है, वह पाकिस्तान को फंडिंग 61000 करोड़ के प्रोजेक्ट में फंडिंग करने से हिचक रहा है।

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    खास बात है कि यह सब ऐसे वक्त में हो रहा है जब अमेरिका के खिलाफ भारत-चीन और रूस लामबंद हो रहे हैं। ऐसे में भारत और चीन के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघल रही है और कड़वाहट दूर हो रही है। चूंकि, भारत और चीन पास आ रहे हैं तो पाकिस्तान अलग-थलग पड़ता नजर आ रहा है।

    अधर में लटका अहम रेलवे प्रोजेक्ट

    दरअसल, पेशावर और कराची के बीच 7 अरब डॉलर (61000 करोड़ रुपये से ज्यादा) की मेनलाइन-I (ML-I) रेलवे परियोजना है, जिसकी फंडिंग के लिए चीन ने वादा किया था, वह अब बीजिंग के इनकार के बाद रुकी हुई है। इस झटके ने एक बार फिर विदेशी मदद के बिना बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्तपोषित करने में पाकिस्तान की अक्षमता को उजागर कर दिया है।

    कैसे तैयार होगा यह रेल प्रोजेक्ट

    ML-1 रेलवे लाइन को चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत "रणनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण" परियोजना घोषित किया गया था। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि बीजिंग, रियायती लोन के ज़रिए लगभग 10 अरब डॉलर की लागत का 85 प्रतिशत वहन करेगा। लेकिन चीन ने इन शर्तों को मानने से इनकार कर दिया और पाकिस्तान पर लागत घटाकर लगभग 6.7 अरब डॉलर करने का दबाव डाला। इसके बावजूद, बीजिंग ने कम दरों पर कर्ज देने से इनकार कर दिया, जिससे इस्लामाबाद को कहीं और से लोन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

    ADB के पास पहुंचा पाक

    चीन से मिली हताश के बाद पाकिस्तान ने एशियाई डेवलपमेंट बैंक (ADB) और एशियाई इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) का रुख किया। रिपोर्ट्स से पता चलता है कि एडीबी प्रोजेक्ट के केवल एक हिस्से के वित्तपोषण पर विचार कर रहा है, जिसकी शुरुआत कराची-रोहरी सेक्शन से होगी। इस्लामाबाद ने पूरी तरह से प्रोजेक्ट को फंड करने की मांग की है, लेकिन लैंडर्स पहले चरण के केवल 60 प्रतिशत, यानी लगभग 1.2 अरब डॉलरको ही वहन करने पर सहमत हुए हैं।

    इसके अलावा, एडीबी ने प्रोजेक्ट के रिवाइज्ड डिज़ाइन डॉक्यूमेंट्स भी मांगे हैं। बता दें कि रेलवे का कराची-रोहड़ी सेक्शन, जिसकी अनुमानित लागत 2 अरब डॉलर है, 2028 में शुरू होने के बाद रेको दिक खदानों से तांबा और सोना लाने-ले जाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

    अगले साल जून में भूमिपूजन समारोह आयोजित करने की पाकिस्तान की उम्मीदें पहले ही खत्म होती नजर आ रही है, क्योंकि एडीबी के सूत्रों ने समयसीमा दिसंबर तक बढ़ा दी है। कभी चीन की प्रमुख सीपीईसी परियोजना रही यह परियोजना अब सशर्त बहुपक्षीय समर्थन के साथ आगे बढ़ रही है।

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