चेक से करते हैं भुगतान? परेशानी से बचना है तो जान लें Cheque Bounce से जुड़े ये जरूरी नियम
Cheque Bounce को कुछ विशेष परिस्थितियों में आपराधिक कृत्य माना जाता है। इसमें नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 (Negotiable Instruments Act of 1881) के तहत सजा का प्रावधान किया गया है। इसके बारे में पूरी जानकारी हम अपने इस लेख में देने जा रहे हैं।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आज के समय में ऑनलाइन भुगतान करने का चलन काफी बढ़ गया है। लोग बड़ी संख्या में ऑनलाइन भुगतान करना पसंद करते हैं, लेकिन अब भी बड़ी संख्या में लोगों चेक का उपयोग करते हैं। अगर आप भी ऐसे लोगों में शामिल हैं, तो आपको चेक से जुड़े सभी नियमों को जान लेना चाहिए। नहीं तो चेक बाउंस होने पर कुछ विशेष परिस्थितियों में जुर्माना भरने के साथ जेल भी जाना पड़ सकता है।

कब बाउंस होता है चेक?
किसी व्यक्ति की ओर से जारी किए गए चेक के बाउंस होने के कई कारण हो सकते हैं। चेक जारीकर्ता के खाते में कम बैलेंस का होना, बैंक खाते में लगाए हुए और चेक पर किए सिग्नेचर का न मिलना, चेक पर लिखे गए अकाउंट नंबर का सही न होना और कई बार खराब हो चुके चेक को भी बैंक की ओर से क्लियर नहीं किया जाता है।
चेक बाउंस होने के बाद क्या होता है?
चेक बाउंस होने पर बैंक की ओर से सबसे पहले चेक जारीकर्ता पर जुर्माना लगाया जाता है। हालांकि, जुर्माना कितना होगा ये चेक बाउंस होने के कारण और बैंक पर निर्भर करता है।
अगर चेक इस जारीकर्ता के खाते में कम बैलेंस होने की वजह से बाउंस होता है, तो फिर आपराधिक श्रेणी में शामिल किया जाएगा। नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 के तहत व्यक्ति पर मुकदमा चलाया जा सकता है और चेक जारीकर्ता को दो साल तक की सजा हो सकती है।
चेक जारी करने से पहले ध्यान रखें ये बातें
- हमेशा अकाउंट payee चेक जारी करें।
- चेक पर किए गए सिग्नेचर बैंक में पंजीकृत होने चाहिए।
- आपके खाते में पर्याप्त बैलेंस होना चाहिए।
- चेक पर जानकरी सावधानीपूर्वक सही भरें।

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