बिजली खपत-संपत्ति कर से बढ़ेगा GST का दायरा, गैर-जीएसटी पंजीकृत कारोबारों की पहचान की जाएगी
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के चेयरमैन विवेक जोहरी ने बताया कि जीएसटी का दायरा बढ़ाने के लिए बिजली वितरण कंपनियों व संपत्ति कर विभाग से डाटा शेयर किया जा रहा है। पैन से जुड़ा विभिन्न डाटा भी विभाग के साथ शेयर करने की तैयारी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जीएसटी का दायरा बढ़ाने के लिए सरकार बिजली की खपत व प्रापर्टी के डाटा का इस्तेमाल करने जा रही है। वहीं, जीएसटी के फर्जी पंजीयन को रोकने के लिए आधार सत्यापन से पंजीयन की तैयारी की जा रही है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन विवेक जोहरी ने बताया कि जीएसटी का दायरा बढ़ाने के लिए बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) व संपत्ति कर विभाग से डाटा शेयर किया जा रहा है। पैन से जुड़ा विभिन्न डाटा भी विभाग के साथ शेयर करने की तैयारी है। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में डिस्काम से डाटा शेयरिंग तो महाराष्ट्र में संपत्ति कर विभाग से डाटा शेयरिंग का काम शुरू हो गया है।
जीएसटी चोरी रोकने में मिलेगी मदद
गुजरात में पैन से जुड़ा विभिन्न डाटा शेयर किया जा रहा है। जोहरी ने बताया कि डिस्काम से डाटा शेयर करने से यह पता चल सकेगा कि किसकी बिजली वाणिज्यिक है और वह महीने में कितनी खपत करता है। उस हिसाब से वह जीएसटी दे रहा है या नहीं। कई कारोबारी ऐसे भी होते हैं जिनका टर्नओवर जीएसटी पंजीयन के लायक होता है, लेकिन वे जीएसटी से बचने के लिए अपना पंजीयन नहीं कराते हैं। बिजली की खपत से उनकी मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता का पता चल सकेगा। संपत्ति कर के विश्लेषण से भी कारोबारियों की क्षमता का अंदाजा लगाया जा सकता है और जिन्होंने जीएसटी का पंजीयन नहीं कराया है, उन्हें दायरे में लाया जाएगा।
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इससे जीएसटी चोरी रोकने में भी मदद मिलेगी। दायरा बढ़ने से जीएसटी संग्रह अधिक होगा। फर्जी जीएसटी पंजीयन का पता करने के लिए बायोमैट्रिक आधारित आधार सत्यापन का पायलट प्रोजेक्ट चलाने का फैसला किया गया है। गुजरात में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरुआत होने जा रही है। किसी पंजीयन पर शक होने पर आवेदक का भौतिक सत्यापन भी किया जाएगा।
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