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    Chanda Kochhar रिश्वत लेने की दोषी करार, Videocon को ₹300 Cr का लोन देकर वसूले थे ₹64 Cr

    Updated: Tue, 22 Jul 2025 09:09 AM (IST)

    आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की पूर्व सीईओ चंदा कोचर (Chanda Kochhar) को वीडियोकॉन ग्रुप (Videocon Group) के लिए 300 करोड़ रुपये का लोन पास करने के बदले रिश्वत लेने का दोषी पाया गया है। एक न्यायाधिकरण ने कहा कि कोचर ने हितों के टकराव का खुलासा भी नहीं किया। ट्रिब्यूनल ने 64 करोड़ की रिश्वत को क्विड प्रो क्वो का मामला बताया। यानी कुछ देने के बदले कुछ पाना।

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    चंदा कोचर 64 करोड़ रु की रिश्वत लेने की दोषी करार

    नई दिल्ली। एक अपीलीय न्यायाधिकरण ने आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की पूर्व सीईओ चंदा कोचर (Chanda Kochhar) को वीडियोकॉन ग्रुप (Videocon Group) के लिए 300 करोड़ रुपये का लोन पास करने के बदले 64 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का दोषी पाया है। 3 जुलाई के एक आदेश में न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाया कि यह पेमेंट स्पष्ट रूप से 'क्विड प्रो क्वो' (कुछ देने के बदले लेना) का मामला था, जो कोचर के पति दीपक द्वारा वीडियोकॉन से जुड़ी एक कंपनी के जरिए की गयी थी।

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    इस मामले में नाकामयाब रहीं कोचर

    न्यायाधिकरण ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मामले को बरकरार रखा और कहा कि कोचर अपने हितों के टकराव का खुलासा करने में विफल रहीं। साथ ही कहा कि लोन पास किया जाना आईसीआईसीआई बैंक की आंतरिक नीतियों का उल्लंघन है।

    न्यायाधिकरण ने कोचर को 78 करोड़ रुपये की संपत्ति जारी करके राहत देने के फैसले की आलोचना भी की।

    इधर लोन पास, उधर मिली पेमेंट

    ट्रिब्यूनल के अनुसार, 64 करोड़ रुपये का भुगतान वीडियोकॉन की यूनिट SEPL की तरफ से नुपावर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (NRPL) को किया गया था, जो कि दीपक कोचर के कंट्रोल वाली कंपनी है। यह पेमेंट आईसीआईसीआई बैंक द्वारा 300 करोड़ रुपये का लोन जारी करने के ठीक एक दिन बाद की गयी थी।

    ट्रिब्यूनल ने पकड़ा कागजों का खेल

    एनआरपीएल का मालिकाना हक कागजों में वीडियोकॉन के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के पास दिखाया गया था। लेकिन ट्रिब्यूनल ने जोर देकर कहा कि कंपनी का असल कंट्रोल दीपक के पास था, जो इसके एमडी भी थे।

    ट्रिब्यूनल ने आगे कहा कि लोन पास करने वाली समिति के सदस्य के रूप में काम करते हुए, चंदा कोचर ने अपने पति के उधार लेने वाली के साथ बिजनेस संबंधों का खुलासा नहीं किया। इससे बैंक के हितों के टकराव के नियमों का उल्लंघन हुआ।