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    मोदी सरकार का बड़ा फैसला, शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के लिए 69,725 करोड़ के पैकेज को मंजूरी, होंगे ये बड़े फायदे

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 03:24 PM (IST)

    देश की समुद्री क्षेत्र के सामरिक और आर्थिक महत्व को को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जहाज निर्माण और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए 69725 करोड़ के इस बड़े पैकेज को मंज़ूरी दी। खास बात है कि यह पैकेज 4 अहम लक्ष्यों की पूर्ति करेगा।

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    कैबिनेट की बैठक में शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के लिए 69,725 करोड़ के पैकेज को मंजूरी

    नई दिल्ली। कैबिनेट की बैठक में शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के लिए 69,725 करोड़ के पैकेज को मंजूरी​ दे दी गई है। देश की समुद्री क्षेत्र के सामरिक और आर्थिक महत्व को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस बड़े पैकेज को मंज़ूरी दी है। खास बात है कि यह पैकेज जहाज निर्माण और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए 4 अहम लक्ष्यों की पूर्ति करेगा।

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    जिनमें घरेलू क्षमता को मज़बूत करने, दीर्घकालिक वित्तपोषण में सुधार करने, ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड शिपयार्ड विकास को बढ़ावा देने व तकनीकी क्षमताओं और कौशल को बढ़ाने जैसे अहम मुद्दे शामिल हैं।

    सरकार के फैसले से जुड़ी अहम बातें

    -जहाज निर्माण वित्तीय सहायता योजना को 31 मार्च 2036 तक बढ़ाया गया, और कुल राशि 24,736 करोड़ रुपये होगी।

    -20,000 करोड़ रुपये के समुद्री निवेश कोष के साथ समुद्री विकास कोष को मंजूरी

    -19,989 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली जहाज निर्माण विकास योजना का लक्ष्य घरेलू जहाज निर्माण क्षमता को 4.5 मिलियन ग्रॉस टैनेज तक बढ़ाना है।

    क्यों अहम ये प्रोजेक्ट

    इस बड़े पैकेज से जहाज निर्माण क्षमता का विकास होने, लगभग 30 लाख रोजगार पैदा होने और भारत के समुद्री क्षेत्र में लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश आने की उम्मीद है। अपने आर्थिक प्रभाव के अलावा, यह पहल महत्वपूर्ण सप्लाई चैन और समुद्री मार्गों में लचीलापन लाकर राष्ट्रीय, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा को भी मज़बूत करेगी।

    यह पैकेज भारत की भू-राजनीतिक दृढ़ता और रणनीतिक आत्मनिर्भरता को भी सुदृढ़ करेगा, आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगा और भारत को वैश्विक नौवहन एवं जहाज निर्माण में एक प्रतिस्पर्धी शक्ति के रूप में स्थापित करेगा।

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    बता दें कि भारत का एक लंबा और गौरवशाली समुद्री इतिहास रहा है, जिसमें सदियों पुराना व्यापार और समुद्री यात्रा इस उपमहाद्वीप को दुनिया से जोड़ती रही है। आज भी समुद्री क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना हुआ है।