क्रिटिकल मिनरल के लिए सरकार लाई 1500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना, चीन पर निर्भरता होगी कम!
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में महत्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण (critical minerals recycling) को बढ़ावा देने के लिए 1500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी। इस योजना का उद्देश्य सेकेंडरी सोर्सो से खनिजों को अलग करना और उत्पादन करना है। यह राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (एनसीएमएम) का हिस्सा है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य देश में बैटरी कचरे और ई-वेस्ट से क्रिटकल मिनरल की रीसाइक्लिंग क्षमता विकसित करना है।
यह योजना राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन (NCMM) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों की घरेलू आपूर्ति क्षमता बढ़ाना और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाना है। चूंकि खनिजों की खोज, नीलामी, माइन चलाने और विदेशी संपत्तियों के अधिग्रहण जैसी प्रक्रियाओं में समय लगता है इसलिए निकट भविष्य में आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित करने का व्यावहारिक तरीका द्वितीयक स्रोतों से रीसाइक्लिंग माना गया है।
🔹 #Cabinet approves Rs.1,500 crore Incentive Scheme to promote Critical Mineral Recycling in the country
🔹 Scheme incentives to develop capacity to recycle battery waste and e-waste for extraction of critical minerals
🔹 This scheme is part of the National Critical Mineral… pic.twitter.com/dM8XrdszDh
— PIB India (@PIB_India) September 3, 2025
छह साल तक चलेगी योजना
यह योजना वित्त वर्ष 2025-26 से 2030-31 तक छह साल तक चलेगी। इसमें पात्र फीडस्टॉक में ई-वेस्ट, लिथियम-आयन बैटरी (LIB) स्क्रैप और अन्य स्क्रैप (जैसे पुरानी गाड़ियों में लगे कैटेलिटिक कन्वर्टर्स) शामिल होंगे। इसके लाभार्थियों में बड़े और स्थापित रीसाइक्लर के साथ-साथ छोटे और नए रीसाइक्लर (स्टार्टअप्स सहित) भी शामिल होंगे।
छोटे उद्यमों के लिए कुल प्रावधान का एक-तिहाई हिस्सा सुरक्षित रखा गया है। यह योजना नई इकाइयों की स्थापना के साथ-साथ मौजूदा इकाइयों के विस्तार, आधुनिकीकरण और विविधीकरण पर भी लागू होगी। प्रोत्साहन केवल उन्हीं को मिलेगा जो वास्तव में खनिजों के निष्कर्षण में लगे होंगे। यह केवल ब्लैक मास उत्पादन करने वालों को नहीं मिलेगा।
समयसीमा में उत्पादन शुरू करने वालों को योजना के तहत 20% कैपेक्स सब्सिडी संयंत्र और मशीनरी पर दी जाएगी। साथ ही, ओपेक्स सब्सिडी दी जाएगी, जो आधार वर्ष (2025-26) के मुकाबले बिक्री में हुई वृद्धि पर आधारित होगी। वहीं दूसरे वर्ष में 40% और पांचवें वर्ष में 60% सब्सिडी होगी।
बड़े उद्यमों के लिए कुल प्रोत्साहन (कैपेक्स और ओपेक्स मिलाकर) 50 करोड़ रुपये और छोटे उद्यमों के लिए 25 करोड़ रुपये की सीमा तय की गई है। इनमें से ओपेक्स सब्सिडी क्रमशः 10 करोड़ और 5 करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगी।
270 किलो टन वार्षिक रीसाइक्लिंग क्षमता की योजना
सरकार का अनुमान है कि इस योजना से देश में कम से कम 270 किलो टन वार्षिक रीसाइक्लिंग क्षमता विकसित होगी, जिससे लगभग 40 किलो टन महत्वपूर्ण खनिजों का उत्पादन संभव होगा। इससे करीब 8,000 करोड़ रुपये का निवेश आएगा और लगभग 70,000 प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। योजना को अंतिम रूप देने से पहले उद्योग जगत और अन्य हितधारकों से कई दौर की चर्चाएं और परामर्श किए गए थे।
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