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New Tax Regime: इनकम टैक्स के इन नियमों में जल्द हो जाएगा बदलाव, समझ लें पूरा गणित; नहीं तो हो सकता है नुकसान

New Tax Slab 2023 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को बजट पेश करते हुए आयकर स्लैब में बदलाव की घोषणा की। इसमें 7 लाख तक की छूट का प्रस्ताव किया गया है। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि बजट आपके लिए क्या फायदे लेकर आया है। (जागरण ग्राफिक्स)

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth PriyadarshiPublished: Sat, 04 Feb 2023 09:35 AM (IST)Updated: Sat, 04 Feb 2023 01:15 PM (IST)
New Tax Regime: इनकम टैक्स के इन नियमों में जल्द हो जाएगा बदलाव, समझ लें पूरा गणित; नहीं तो हो सकता है नुकसान
Budget 2023: income tax rule changes announced under new tax regime

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। New Tax Regime: इस बार के बजट में टैक्सपेयर्स के लिए सरकार ने कई एलान किए हैं। अगर आप टैक्स देते हैं तो आपके लिए ये घोषणाएं बहुत अहम हैं। इनके लागू होने के बाद करों का पूरा पैटर्न ही बदल जाएगा। इसलिए टैक्सेशन का पूरा गणित समझना आपके लिए बेहद अहम है।

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5 लाख रुपये तक की आय वाले लोग पुरानी और वर्तमान कर व्यवस्था, दोनों में कोई आयकर नहीं देते हैं। अब वित्त मंत्री ने नई कर व्यवस्था में छूट की सीमा को बढ़ाकर 7 लाख रुपये करने का प्रस्ताव कर दिया है। इस प्रकार, नई कर व्यवस्था में 7 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई कर नहीं देना होगा।

क्या है नई टैक्स रिजीम

जानकारों की मानें तो वित्त मंत्री द्वारा की गई बजट घोषणाओं से नई कर व्यवस्था को बढ़ावा मिला है। स्पेक्ट्रम के दोनों सिरों पर करदाताओं को नई व्यवस्था अपनाने के लिए तहत प्रोत्साहित किया जाएगा, क्योंकि एक तरफ 7 लाख की वार्षिक आय तक कोई देनदारी नहीं होगी और दूसरी तरफ 5 करोड़ से ऊपर की वार्षिक आय पर लगने वाले अधिभार को 37 से घटाकर 25 फीसद कर दिया गया है।

बजट 2023 के बाद कर व्यवस्था (New Tax Rule) में बहुत से बदलाव हो जाएंगे। निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित 5 आयकर नियम यहां दिए गए हैं-

कर छूट की सीमा 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख की गई

टैक्स कन्सल्टेन्सी फर्म चलाने वाले रिटायर्ड आयकर अधिकारी मकरंद चावला कहते हैं कि इस सीमा को 7 लाख तक बढ़ाने का मतलब है कि जिस व्यक्ति की आय 7 लाख से कम है, उसे छूट का दावा करने के लिए कुछ भी निवेश करने की आवश्यकता नहीं है और पूरी आय कर-मुक्त होगी। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि ऐसे व्यक्ति द्वारा कितना निवेश किया गया है और कितना नहीं।

इससे मध्यम वर्ग की आय का अधिक इस्तेमाल होना सुनिश्चित होगा, क्योंकि वे छूट का लाभ लेने के लिए निवेश योजनाओं के बारे में बहुत अधिक परेशान हुए बिना आय की पूरी राशि खर्च कर सकते हैं।

इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव (Tax Slab)

निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि स्लैब की संख्या को घटाकर पांच और कर छूट की सीमा को बढ़ाकर 3 लाख करके नई व्यवस्था में कर संरचना को बदलने का प्रस्ताव किया गया है। इस बदलाव के बाद नए टैक्स स्लैब इस तरह हैं। नई प्रणाली छह आय श्रेणियों को घटाकर पांच कर देगी।

नई टैक्स दरें इस तरह हैं- New Tax Slab

  • 0-3 लाख - शून्य
  • 3-6 लाख - 5%
  • 6-9 लाख- 10%
  • 9-12 लाख - 15%
  • 12-15 लाख - 20%
  • 15 लाख से ऊपर- 30%

पेंशनर्स के लिए ये एलान

पेंशनरों के लिए, वित्त मंत्री ने मानक कटौती के लाभ को नई कर व्यवस्था में विस्तारित करने की घोषणा की। 15.5 लाख रुपये या उससे अधिक आय वाले प्रत्येक वेतनभोगी व्यक्ति को 52,500 रुपये का लाभ होगा।

सरचार्ज के साथ अधिकतम टैक्स 39 फीसद होगा

हमारे देश में उच्चतम कर की दर 42.74 प्रतिशत है। यह दुनिया में सबसे ज्यादा है। बजट में घोषित नई कर व्यवस्था में उच्चतम अधिभार दर को 37 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है। इसके परिणामस्वरूप अधिकतम कर की दर 39 प्रतिशत तक हो जाएगी।

मकरंद चावला कहते हैं कि नई कर व्यवस्था के तहत कर की दरें कम कर दी गई हैं और कर बोझ की अधिकतम सीमांत दर 42.74% से घटकर 39% हो गई है।

लीव इनकैशमेंट

गैर-सरकारी वेतनभोगी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति पर लीव इनकैशमेंट पर कर छूट के लिए 3 लाख रुपये की सीमा आखिरी बार वर्ष 2002 में तय की गई थी, जब सरकारी कर्मचारियों का उच्चतम मूल वेतन 30,000 प्रति माह था। सरकारी वेतन में वृद्धि के अनुरूप अब ये सीमा 25 लाख कर दी गई है।

नई आयकर व्यवस्था डिफॉल्ट होगी

नई सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली डिफॉल्ट कर व्यवस्था के रूप में कार्य करेगी। कर निर्धारक अभी भी पूर्व व्यवस्था को अपनी पसंद के हिसाब से चुन सकेंगे। वेतनभोगी और पेंशनभोगी दोनों के लिए 15.5 लाख रुपये से अधिक की कर योग्य आय के लिए नई प्रणाली की मानक कटौती 52,500 है। मूल छूट 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख कर दी गई है।

सरकार बजट 2020-21 में एक वैकल्पिक आयकर व्यवस्था लाई थी, जिसके तहत व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) पर कम दरों पर कर लगाया गया था, यदि वे निर्दिष्ट छूट और कटौती का लाभ नहीं उठाते थे, जैसे कि मकान किराया भत्ता (एचआरए), होम लोन पर ब्याज, धारा 80C, 80D और 80CCD के तहत किए गए निवेश। इसके तहत 2.5 लाख रुपये तक की कुल आय कर मुक्त थी।

क्या है वर्तमान टैक्सेशन व्यवस्था

वर्तमान में 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच कुल आय पर 5 प्रतिशत, 5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये पर 10 प्रतिशत, 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये पर 15 प्रतिशत, 10 लाख से 12.5 लाख रुपये पर 20 प्रतिशत कर लगाया जाता है। 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक 25 फीसदी और 15 लाख रुपये से ज्यादा पर 30 फीसदी का कर लगाया जाता है। अब इन स्लैब्स को बजट घोषणा के अनुसार संशोधित किया जाएगा।

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