जिसके हमले से धुआं-धुआं हुआ पाकिस्तान, क्या है उस 'ब्रह्मोस मिसाइल' का दाम, बड़ा ऑर्डर देने की तैयारी में सेना
भारतीय सेना ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की खरीद बढ़ाने का फैसला किया है। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार रक्षा मंत्रालय अपनी आगामी उच्च-स्तरीय बैठक में इस मिसाइल प्रणाली के लिए बड़े पैमाने पर ऑर्डर को जल्द ही मंज़ूरी दे सकता है। क्या आप जानते हैं कि भारत में यह मिसाइल कौन-सी कंपनी बनाती है और इसकी कीमत क्या है?
नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तानी सेना को घुटनों पर ला दिया था, क्योंकि इस मिसाइल का हर हमला सफल और सटीक था। चूंकि, सरकार और सेना यह कह चुकी है ऑपरेशन सिंदूर स्थगित नहीं हुआ है बल्कि रूका हुआ है इसलिए आर्मी ने सशस्त्र बलों के लिए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की खरीद बढ़ाने का फैसला किया है। टॉप डिफेंस एक्सपर्ट ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि रक्षा मंत्रालय अपनी आगामी उच्च-स्तरीय बैठक में इस मिसाइल प्रणाली के लिए बड़े पैमाने पर ऑर्डर को जल्द ही मंज़ूरी दे सकता है।
ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम ने मई में चार दिवसीय संघर्ष के दौरान पाकिस्तानी सैन्य इन्फ्रा को निशाना और नेस्तनाबूत बनाने में निर्णायक भूमिका निभाई थी। लेकिन, क्या आप जानते हैं भारत में यह मिसाइल कौन-सी कंपनी बनाती है और इसकी कीमत क्या है?
कौन-सी कंपनी बनाती है ब्रह्मोस मिसाइल
ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा, जो भारत के डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) और रूस की संयुक्त स्टॉक कंपनी "मिलिट्री इंडस्ट्रियल कंसोर्टियम" "एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया" के साथ मिलकर किया जाता है। इसके अलावा, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड समेत अन्य कंपनियां मिसाइल निर्माण के लिए आवश्यक उपकरणों की आपूर्ति करते हैं।
क्या है एक ब्रह्मोस मिसाइल की कीमत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक ब्रह्मोस मिसाइल की औसत लागत लगभग ₹34 करोड़ है। हालांकि, यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है।
क्या है सेना का प्लान
इस खरीद से भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) दोनों ब्रह्मोस मिसाइल के लेटेस्ट वर्जन से लैस होंगी। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय नेवी अपने वीर क्लास वॉरशिप के युद्धपोतों को इसके समुद्री वर्जन से लैस करेगी, जबकि भारतीय वायु सेना अपने रूसी निर्मित सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के बेड़े में इसके एयर वर्जन को शामिल करेगी।
इस मिसाइल का इस्तेमाल पाकिस्तानी हवाई ठिकानों पर हमला करने के लिए किया गया था, जिनमें से कुछ अभी भी ब्रह्मोस से हुए नुकसान से उबर रहे हैं।
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