अनिल अंबानी को बॉम्बे HC से बड़ी राहत, धोखाधड़ी केस में 3 बैंकों की कार्रवाई पर रोक, समझिये क्या है पूरा मामला
बॉम्बे हाई कोर्ट ने अनिल अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड के खातों को 'फ्रॉड' घोषित करने के मामले में तीन बैंकों द्वारा की जा रही सभी ...और पढ़ें
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मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने अनिल अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड के खातों को 'फ्रॉड' घोषित करने के लिए तीन बैंक, भारतीय ओवरसीज बैंक, आइडीबीआइ और बैंक आफ बड़ौदा द्वारा की जा रही सभी वर्तमान और भविष्य की कार्रवाई पर रोक लगा दी। न्यायालय ने कहा कि इस प्रक्रिया में आरबीआइ के मूल दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हुआ है।जस्टिस मिलिंद जाधव ने बुधवार को बताया यह कार्रवाई एक फोरेंसिक आडिट रिपोर्ट के आधार पर की गई थी, जिसे एक बाहरी आडिटर, बीडीओ एलएलपी ने तैयार किया था।
उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि इसे एक योग्य चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) द्वारा हस्ताक्षरित नहीं किया गया जैसा कि भारतीय रिजर्व बैंक के 2024 के मूल दिशा-निर्देशों में आवश्यक है। आदेश में कहा गया कि यदि अंबानी और रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकाम) को अंतरिम राहत नहीं दी गई तो इससे ''गंभीर और अपरिवर्तनीय नुकसान'' होगा।
हाईकोर्ट ने ऑडिट रिपोर्ट पर और क्या कहा
हाई कोर्ट ने कहा कि एक बाहरी आडिटर द्वारा तैयार की गई फोरेंसिक आडिट रिपोर्ट पर बैंकों को कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए भरोसा नहीं किया जा सकता। प्राकृतिक न्याय इस सिद्धांत पर आधारित है कि 'न्याय केवल किया नहीं जाना चाहिए, बल्कि स्पष्ट रूप से होता दिखना भी चाहिए। आदेश में कहा गया,''आरबीआइ के मूल दिशा-निर्देश अनिवार्य हैं और ये बैंकों को लागू कानून के अनुसार आडिटरों को नियुक्त करने की बाध्यता के तहत कार्य करते हैं।''
हाई कोर्ट ने कहा, 'अंबानी और उनकी कंपनी के खातों को धोखाधड़ी घोषित करने की अनुमति देने के परिणाम वास्तव में गंभीर हैं और इसके परिणामस्वरूप काली सूची में डालना, नए बैंक ऋण/क्रेडिट से वर्षों तक वंचित रहना, आपराधिक एफआइआर दर्ज करना, प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना, वित्तीय पहुंच के मौलिक अधिकारों पर प्रभाव डालना और नागरिक मृत्यु जैसी आपदाएं हो सकती हैं।'
HC ने बैंकों को लगाई फटकार
कोर्ट ने बैंकों को अंबानी और उनकी कंपनी के खिलाफ उनकी देरी से की गई कार्रवाई के लिए भी फटकारा और कहा कि यह ''एक क्लासिक मामला है जहां बैंकों ने अपनी गहरी नींद से जागने का प्रयास किया'' और 2019 में 2013 से 2017 के लिए फोरेंसिक आडिट का प्रयास किया।
वहीं अंबानी ने भारतीय ओवरसीज बैंक, आइडीबीआइ और बैंक आफ बड़ौदा द्वारा जारी कारण बताओ नोटिसों को चुनौती दी, जिसमें उनके और आरकाम के खातों को धोखाधड़ी के खाते के रूप में घोषित किया गया। अंबानी ने दावा किया कि बीडीओ एलएलपी लेखा परामर्श फर्म थी, न कि आडिट फर्म। बैंकों ने तर्क किया कि आडिट रिपोर्ट-2016 आरबीआइ के मूल दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रस्तुत की गई, जिसके अनुसार एक बाहरी आडिटर को सीए होना आवश्यक नहीं है।

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