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    जरूरी बात! तलाक लेने वाले जरा यहां ध्यान दें..

    By Edited By:
    Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

    नई दिल्ली। आज के आधुनिक समाज में दंपत्तियों के बीच मन मुटाव और फिर तलाक काफी आम हो गया है। जिसे कभी

    नई दिल्ली। आज के आधुनिक समाज में दंपत्तियों के बीच मन मुटाव और फिर तलाक काफी आम हो गया है। जिसे कभी बुरा माना जाता था उसे आज एक अच्छा निर्णय कहा जाता है। वकीलों के मुताबिक, बदलती जीवनशैली और आजाद सोच के कारण शादियों का अंत तलाक के साथ हो रहा है। साल 2012 के दौरान देश भर में 43,000 तलाक के मामले सामने आए। करीब 5 साल पहले 1000 शादियों में 1 तलाक का मामला आता था और अब प्रत्येक 1000 शादियों में यह मामले 13 हो चुके हैं।

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    यह कहना गलत नहीं होगा कि जीवन की जितनी बड़ी सच्चाई शादी है उतना ही बड़ा सच तलाक भी है। हालांकि, इसे लेने से पहले लोग पर्सनल फाइनेंस के बारे में बेहद कम सोचते हैं। कानूनी अलगाव में वित्तीय योजना की कमी दोनों के भविष्य पर असर डाल सकती है। थोड़ी सी सावधानी बरतने से तलाक के बाद वित्तीय जरूरतों को आसानी से पूरा किया जा सकता है। तलाक लेने से पहले कुछ बातों पर आपको ध्यान देना चाहिए।

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    बच्चे के भविष्य को रखें सुरक्षित : तलाक के कारण फाइनेंशियल प्लानिंग के संबंध में बच्चे के संरक्षण पर असर नहीं पड़ना चाहिए। यदि किसी ने 'चाइल्ड प्लान' ले रखा है और इसे संयुक्त रूप से फंडिड किया जा रहा है तो उसे बंद नहीं करना चाहिए। बंद करने से आप पर जुर्माना लग सकता है। बेहतर होगा कि इसे जारी रखें और फंड को जमा करते रहें। परिजन बने रह कर प्लान को बनाए रखें और बच्चे की जिम्मेदारियों को बराबर-बराबर बांटें।

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    संयुक्त संपत्तियों और जिम्मेदारियों को बांटना : अपने परिवार की सभी परिसंपत्तियों जैसे प्रॉपर्टी, इंवेस्टमेंट, इंश्योरेंस आदि की एक सूची बनाएं। कानूनी सलाह लेने से पहले यह सूची मददगार साबित हो सकती है। यदि दंपत्ति किसी समझौते पर नहीं पहुंचे हैं तो भागीदारी के हिसाब से परिसंपत्तियों को प्रत्येक जीवनसाथी के बीच बांटना चाहिए। संयुक्त जिम्मेदारी को व्यक्तिगत कर्ज से अलग रखना चाहिए। सर्वसम्मति पर पहुंचने के बाद अपने सभी फ्यूचर इंवेस्टमेंट और इंश्योरेंस प्लान पर लाभांवित और विवरण में बदलाव करें।

    घरेलू वस्तुओं का विभाजन : घरेलू वस्तुओं जैसे होम अप्लांयस, टेलीविजन सेट, फर्नीचर आदि की री सेल वैल्यू या तो काफी कम होती है या फिर होती ही नहीं। दंपत्ति इसे बेचकर पैसे को बराकर में बांट सकते हैं।

    आपसी सहमति : तलाक के कारण पर्सनल फाइनेंस के सभी कारकों पर प्रभाव पड़ता है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यदि तलाक सर्वसम्मति के साथ हो रहा है तो सलाहकार दोनों जीवन साथियों के लिए मैत्रीपूर्ण समझौता बनाते हैं। इस समझौते पर पहुंचने के बाद कानूनी खर्चो के बोझ को हलका कर दिया जाता है।