बांग्लादेश ने इस चीज के लिए फैलाए हाथ; भारत के खिलाफ एजेंडा चला रहे मोहम्मद यूनुस को आखिर अब क्या चाहिए?
भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव के बावजूद, बांग्लादेश ने भारत से कम लागत पर चावल खरीदा है, आर्थिक व्यावहारिकता को प्राथमिकता दी है। बांग्लादेश ने भारत ...और पढ़ें

नई दिल्ली। भारत और बांग्लादेश के बीच स्पष्ट राजनीतिक और कूटनीतिक तनाव के बावजूद, ढाका ने भारत से काफी कम लागत पर चावल खरीदकर बयानबाजी के बजाय आर्थिक व्यावहारिकता को चुना है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने स्वीकार किया है कि घरेलू दबाव बढ़ने के बीच, महंगे विकल्पों के पक्ष में सस्ते भारतीय सप्लायर को नजरअंदाज करना आर्थिक रूप से गलत होगा।
भारत, पाकिस्तान के मुकाबले लागत में लाभ प्रदान करता है। बांग्लादेशी अखबार 'द डेली स्टार' की एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश ने भारत से लगभग 355 डॉलर प्रति टन ( करीब 31,887 रुपये ) की दर से 50,000 टन चावल आयात करने का फैसला किया है, जबकि साथ ही पाकिस्तान से इतनी ही मात्रा में चावल 395 डॉलर प्रति टन (करीब ) की उच्च दर पर खरीदेगा।
इस मूल्य अंतर से भारत से आयात पर लगभग 40 डॉलर प्रति टन की बचत होती है। मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पूरी खेप पर बचत लगभग 20 लाख डॉलर या मौजूदा विनिमय दर पर लगभग 17.9 करोड़ रुपये है। बांग्लादेशी अधिकारियों ने स्वीकार किया कि वियतनाम जैसे देशों से चावल खरीदने पर प्रति किलोग्राम लागत और बढ़ जाती, जिससे भारत सबसे किफायती आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करता है।
व्यापार को राजनीति से अलग रखना
द्विपक्षीय संबंधों में हालिया गिरावट को देखते हुए यह घटनाक्रम उल्लेखनीय है। फिर भी, भारत ने न तो आपूर्ति सीमित की है और न ही कीमतों में बदलाव किया है, जो खाद्य सुरक्षा को राजनीतिक मतभेदों से अलग रखने के उसके इरादे को दर्शाता है। ऐसा लगता है कि ढाका में इस दृष्टिकोण का असर हुआ है।
बांग्लादेश के वित्त सलाहकार सालेहुद्दीन अहमद ने कहा कि अंतरिम मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस नई दिल्ली के साथ तनाव कम करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। उन्होंने दोहराया कि व्यापारिक निर्णय राजनीतिक बयानबाजी से प्रभावित नहीं होंगे।
'तनाव ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर है, लेकिन सुधार से परे नहीं'
हाल के महीनों में दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं, राजनयिक तलब, दूतावासों के बाहर विरोध प्रदर्शन और तीखी नोकझोंक देखने को मिली है। कुछ विश्लेषकों ने स्थिति को 1971 के बाद से सबसे निचले स्तर पर बताया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि, अहमद ने इस आकलन से आंशिक रूप से असहमति जताते हुए कहा, "बाहर से भले ही स्थिति बहुत खराब दिखाई दे, लेकिन हालात उस हद तक नहीं बिगड़े हैं।"
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि कुछ बाहरी तत्व भारत विरोधी भावना को हवा दे रहे होंगे, जो उनके अनुसार बांग्लादेश के राष्ट्रीय हित के अनुरूप नहीं है। ये जमीनी हकीकत फैसलों को प्रभावित करती है।
कुल मिलाकर, चावल आयात का फैसला एक स्पष्ट संदेश देता है कि राजनीतिक परिदृश्य में उतार-चढ़ाव भले ही हो, लेकिन आर्थिक हकीकत निर्णायक बनी रहती है।बांग्लादेश के लिए आवश्यक खाद्य आपूर्ति के लिए भारत सबसे भरोसेमंद और किफायती विकल्प बना हुआ है, जिससे राजनयिक तनाव के दौर में भी व्यापारिक संबंध कायम रहते हैं।

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