US ने चीन और मैक्सिको के सीफूड को किया रिजेक्ट, लेकिन भारत को दी हरी झंडी; ट्रंप फिर करना चाहते हैं दोस्ती?
India seafood exports: अमेरिका ने भारतीय सीफूड को मंजूरी दी, जिससे निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। वहीं चीन और मैक्सिको के सीफूड को रिजेक्ट कर दिया गया है। यह फैसला भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की बातचीत के बीच आया है। भारत ने वित्त वर्ष 2025 में 7.39 अरब डॉलर का सीफूड निर्यात किया, जिसमें से एक तिहाई अमेरिका को गया। टैरिफ की चुनौती अभी भी बनी हुई है।

US ने चीन और मैक्सिको के सीफूड को किया रिजेक्ट, लेकिन भारत को दी हरी झंडी; क्या ट्रंप फिर करना चाहते हैं दोस्ती?
नई दिल्ली। एक तरफ डोनल्ड ट्रंप का अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगा रखा है तो दूसरी ओर उसने भारत के सीफूड उद्योग को बड़ी राहत दी है। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रीय समुद्री मत्स्य सेवा ने भारत के सीफूड को हरी झंडी (US NMFS approval) दे दी है। यानी भारत के सीफूड (India seafood exports) अमेरिकी बाजार में बिकने लिए खरे उतरे हैं। लेकिन वहीं, चीन, मैक्सिको और इक्वाडोर को मुंह की खानी पड़ी है। इन तीनों देशों के सीफूड को क्लीयरेंस नहीं पाया है। प्रतिद्वंद्वी चीन और मेक्सिको के सीफूड पर प्रतिबंध का खतरा मंडरा (China Mexico Ban) रहा है।
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अमेरिका निर्यातक देशों से यह दिखाने की अपेक्षा करता है कि उनके मछली पकड़ने के तरीके समुद्री स्तनधारियों को अमेरिकी मछुआरों के लिए अनुमत सीमा से अधिक नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। NMFS द्वारा भारतीय समुद्री निर्यात को मंजूरी ऐसे समय में मिली है जब चीनी प्रसंस्करणकर्ता पुनः निर्यात के लिए भारतीय झींगा का उपयोग तेजी से कर रहे हैं। एनएमएफएस प्रमाणन भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत जारी रहने की पृष्ठभूमि में आया है।
वित्त वर्ष 2025 में 7.39 अरब डॉलर का सीफूड निर्यात
भारत ने वित्त वर्ष 2025 में 7.39 अरब डॉलर मूल्य का समुद्री खाद्य निर्यात किया, जिसमें से एक तिहाई से अधिक यानी 2.68 अरब डॉलर अमेरिका को गया। 50% के भारी टैरिफ के कारण, अमेरिका को भारतीय झींगा निर्यात वर्तमान में इक्वाडोर, वियतनाम और इंडोनेशिया के निर्यात की तुलना में कम प्रतिस्पर्धी है।
इस घटनाक्रम से भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात, विशेष रूप से झींगा जलीय कृषि, जो अमेरिका को भारत का सबसे बड़ा निर्यात है, के लिए एक प्रमुख संभावित गैर-टैरिफ बाधा दूर हो गई है। टैरिफ संबंधी चुनौती तो बनी हुई है, लेकिन एमएमपीए के तहत भारत का अनुपालन एक जिम्मेदार और टिकाऊ समुद्री खाद्य निर्यातक के रूप में उसकी स्थिति को मजबूत करता है।
द सीफूड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष एलेक्स के निनान ने कहा, "यह सही दिशा में एक सकारात्मक कदम है। हालाँकि, जब तक हाई टैरिफ लागू रहेगा, इससे भारतीय निर्यातकों को ज्यादा मदद नहीं मिलेगी।"
सीफूड को लेकर अमेरिका का नियम
अमेरिका समुद्री स्तनपायी संरक्षण अधिनियम एक अमेरिकी संघीय कानून है जिसका उद्देश्य समुद्री स्तनधारियों और उनके आवासों की रक्षा करना है। MMPA मुख्य रूप से अमेरिकी जल क्षेत्रों और गतिविधियों पर लागू होता है, लेकिन इसका उन समुद्री खाद्य निर्यातक देशों पर भी प्रभाव पड़ता है जो अपने उत्पादों का अमेरिका को निर्यात करना चाहते हैं।
2017 में, अमेरिका ने NMFS के तहत प्रावधान पेश किए, जिसके तहत सभी समुद्री खाद्य निर्यातक देशों को यह प्रदर्शित करना आवश्यक था कि उनके मत्स्य पालन में व्हेल, डॉल्फिन, पॉरपॉइज, सील जैसे समुद्री स्तनधारियों की चोट और मृत्यु दर को सीमित करने के लिए अमेरिकी मानकों के अनुरूप सुरक्षा उपाय हैं।
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