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    Ambani vs Adani: अदाणी का सोलर पार्क पेरिस से 5 गुना बड़ा, अंबानी उससे भी बड़ा बनाएंगे; कौन जीतेगा कच्छ का रण?

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 04:46 PM (IST)

    देश के दो बड़े कारोबारी दिग्गज- मुकेश अंबानी और गौतम अदाणी अब गुजरात में कच्छ के मैदान (runn of kutch) में आमने-सामने हैं। दोनों ही अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट के जरिए देश की नई एनर्जी सेक्टर पर कब्जा जमाने की दौड़ में उतर चुके हैं। दिलचस्प बात ये है कि अदाणी ग्रुप ने इस रेस की शुरुआत पहले की थी और अब अंबानी भी मैदान में उतर आए हैं।

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    कच्छ के रण में अरबपतियों की कड़ी टक्कर, कौन जीतेगा अरबों डॉलर की एनर्जी रेस।

    नई दिल्ली| देश के दो बड़े कारोबारी दिग्गज- मुकेश अंबानी और गौतम अदाणी, अब गुजरात के कच्छ के मैदान (rann of kutch) में आमने-सामने हैं। दोनों अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट के जरिए भारत की नई एनर्जी सेक्टर में दबदबा जमाने की दौड़ में हैं। दिलचस्प बात ये है कि इस रेस की शुरुआत अदाणी ग्रुप ने की थी, लेकिन अब अंबानी भी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर चुके हैं।

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    अदाणी का खावड़ा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क

    अदाणी का खावड़ा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क करीब 538 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह पेरिस से पांच गुना बड़ा है और दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट माना जा रहा है। यहां सोलर और विंड से 30 गीगावॉट बिजली बनाई जाएगी।

    काम 2022 में शुरू हुआ और फरवरी 2024 से पहली बिजली नेशनल ग्रिड में भेजी जा चुकी है। कंपनी का लक्ष्य है कि 2029 तक इसे 30 गीगावॉट तक बढ़ाया जाए। चर्चा यह भी है कि भविष्य में इसे 50 गीगावॉट तक किया जा सकता है।

    यह भी पढ़ें- Hurun Rich List: अंबानी फैमिली देश में सबसे अमीर, अदाणी परिवार टॉप-10 से गायब; दूसरे-तीसरे पर कौन? देखें लिस्ट

    अंबानी की एंट्रीः सिंगापुर से 3 गुना बड़ा पार्क बनाने जा रहे

    रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपनी वार्षिक बैठक में कच्छ प्रोजेक्ट का ऐलान किया। इस साल AGM में मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी ने बताया कि,

    "हम कच्छ में दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल साइट सोलर प्रोजेक्ट बना रहे हैं। यह 5,50,000 एकड़ में फैला होगा, यानी सिंगापुर से तीन गुना बड़ा। हर दिन 55 मेगावॉट सोलर मॉड्यूल और 150 मेगावॉट-घंटे बैटरी कंटेनर लगाए जाएंगे। आने वाले दशक में यह अकेला प्रोजेक्ट देश की 10% बिजली की जरूरत पूरी कर सकता है।"

    जमीन के एरिया के हिसाब से यह प्रोजेक्ट 2,225 वर्ग किलोमीटर है, जो खावड़ा से काफी बड़ा है। विशेषज्ञों के अनुसार 55 मेगावॉट सोलर मॉड्यूल से सालाना 110 गीगावॉट-घंटे बिजली बनाई जा सकती है।

    क्यों खास है रण ऑफ कच्छ?

    • यहां सूरज की रोशनी सबसे ज्यादा मिलती है- 300 दिन धूप रहती है।
    • जमीन बंजर है, इसलिए अधिग्रहण और विस्थापन की दिक्कत नहीं।
    • औसतन 8 मीटर प्रति सेकंड की हवा, जो सोलर और विंड हाइब्रिड प्रोजेक्ट्स के लिए परफेक्ट है।
    • पास में गुजरात का पावर ग्रिड, मुंद्रा और कांडला पोर्ट और सरकारी प्रोत्साहन भी।

    मैन्युफैक्चरिंग और ग्रीन हाइड्रोजन

    दोनों ग्रुप देश में सोलर मॉड्यूल, बैटरी और ग्रीन हाइड्रोजन बनाने की तैयारी कर रहे हैं। अदाणी पहले से आगे हैं। उन्होंने सोलर पैनल और विंड टरबाइन मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी है और 5 मेगावॉट का पहला ऑफ-ग्रिड ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट भी तैयार कर लिया है।

    दूसरे खिलाड़ी और भारत के लक्ष्य

    सरकारी कंपनी NTPC भी खावड़ा में 4.75 गीगावॉट सोलर प्रोजेक्ट ला रही है। ये मेगा प्रोजेक्ट्स भारत के 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन और 2030 तक 500 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेंगे।

    अभी अदाणी का खावड़ा प्रोजेक्ट तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन अंबानी की एंट्री भी दमदार है। उनका प्रोजेक्ट आकार में अदाणी से बड़ा हो सकता है। साफ है कि कच्छ अब भारत की ग्रीन एनर्जी का सबसे बड़ा अखाड़ा बन चुका है।