Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एथनाल के बाद अब मेथनाल से आयात बिल कम करने की तैयारी, कार्बन उत्सर्जन के साथ एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में भी आएगी कमी

    Updated: Thu, 17 Oct 2024 07:00 PM (IST)

    पेट्रोलियम के आयात बिल के साथ कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए सरकार एथनाल के बाद अब एक अन्य वैकल्पिक ईंधन मेथनाल का बड़े पैमाने पर उत्पादन का इको सिस्टसम तैयार करने में जुट गई है। इस काम में नीति आयोग सरकार की मदद कर रहा है। असम पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड और बीएचईएल (BHEL) के साथ कुछ अन्य कंपनियां मेथनाल का सीमित मात्रा में उत्पादन शुरू कर चुकी है।

    Hero Image
    अब मेथनाल से कम होगा आयात बिल

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पेट्रोलियम के आयात बिल के साथ कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए सरकार एथनाल के बाद अब एक अन्य वैकल्पिक ईंधन मेथनाल का बड़े पैमाने पर उत्पादन का इको सिस्टसम तैयार करने में जुट गई है। इस काम में नीति आयोग सरकार की मदद कर रहा है और जल्द ही सरकार मेथनाल से जुड़े नियामक का फ्रेमवर्क तैयार कर लेगी। अगले कुछ सालों में इजरायल व अन्य देशों की तकनीकी मदद से भारत में कई मेथनाल प्लांट लगाए जाएंगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    असम पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड और बीएचईएल (BHEL) के साथ कुछ अन्य कंपनियां मेथनाल का सीमित मात्रा में उत्पादन शुरू कर चुकी है। नीति आयोग का मानना है कि मेथनाल अर्थव्यवस्था के विकास से इसके उत्पादन, वितरण व संबंधित सेवाओं से 50 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार का भी सृजन होगा। मेथनाल उत्पादन के दौरान निकलने वाली डाई-मिथाइल एथर (डीएमई) को 20 प्रतिशत तक एलपीजी में मिलाने से प्रति एलपीजी सिलेंडर उपभोक्ता को 50-100 रुपए तक कम दाम पर मिल सकते हैं।

    मेथनाल की कीमत उसकी गुणवत्ता और निर्माण के तरीके पर निर्भर करती है, लेकिन औद्योगिक मेथनाल की औसतन कीमत 38-40 रुपए प्रति लीटर बताई जा रही है। डेनमार्क, इजरायल, जापान और चीन जैसे देशों में मेथनाल का प्रयोग वाहनों में धड़ल्ले से हो रहा है। चीन सौ प्रतिशत मेथनाल से चलने वाली सालाना तीन लाख कार, एक-एक लाख बस व ट्रक का निर्माण कर रहा है।

    मेथनाल कम कार्बन वाला हाइड्रोजन युक्त फ्यूल है जिसे अधिक धुआं वाले कोयला, कृषि के कचरे, कार्बन डायक्साइड व प्राकृतिक गैस से बनाया जाता है। नीति आयोग के मुताबिक मेथनाल सड़क, रेल और जल तीनों यातायात के साधनों में इस्तेमाल हो सकता है। जेनरेटर सेट, बायलर के अलावा एक सीमा तक एलपीजी में भी इसे इस्तेमाल किया जा सकता है।

    गैसोलिन में 15 प्रतिशत मेथनाल मिलाने से कच्चे तेल के आयात बिल में 15 प्रतिशत की कमी आएगी और कार्बन उत्सर्जन 20 प्रतिशत तक कम होगा। भारत में मेथनाल उत्पादन के प्रोत्साहन के लिए गुरुवार से नई दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू किया गया। आयोग का कहना है कि किर्लोस्कर, अशोक लिलैंड, वोल्वो पेंटा, एनएमआरएल, थर्मेक्स, भेल, एनटीपीसी मेटफ्यूल जैसे भारतीय उद्योग 100 प्रतिशत मेथनाल से चलने वाले ट्रक, बस, हल्के वाहन, जेनरेटर, बायलर, गैस टरबाइन का एप्लीकेशन विकसित कर चुके हैं।

    मेथनाल के अंतरराष्ट्रीय मेले में इसकी प्रदर्शनी की जा रही है। बायोमास, कोयला व नवीकरणीय माध्यम से बड़ी मात्रा में मेथनाल का उत्पादन किया जा सकता है। कुछ साल पहले एथनाल उत्पादन और पेट्रोल में उसकी मिलावट को लेकर जोर-शोर से प्रयास शुरू किए गए थे। फिलहाल पेट्रोल में 10 प्रतिशत तक एथनाल की मिलावट शुरू हो चुकी थी और अगले वित्त वर्ष में यह मिलावट 20 प्रतिशत तक के लक्ष्य को हासिल कर लेगी। इससे 1016 करोड़ लीटर पेट्रोल की कम खपत होगी और पेट्रोलियम के आयात बिल में चार अरब डॉलर की बचत होगी।