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    काश 10 डॉलर खर्च किये होते, तो मिल जाता लापता एमएच 370!

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    Updated: Sat, 22 Mar 2014 10:38 AM (IST)

    इस आधुनिक एविएशन की दुनिया में सबसे ज्यादा अनसुलझे मामले के बारे में ये बात जानकर दुख होता है कि अगर कंपनी ने 10 डॉलर का खर्च किया होता तो आज मलेशिया ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। इस आधुनिक एविएशन की दुनिया में सबसे ज्यादा अनसुलझे मामले के बारे में ये बात जानकर दुख होता है कि अगर कंपनी ने 10 डॉलर का खर्च किया होता तो आज मलेशिया एयरलाइंस के एमएच 370 को ढूंढना आसान हो जाता। कंपनी को प्रत्येक फ्लाइट के लिए सिर्फ 10 डॉलर वाला कंप्यूटर अपग्रेड विकल्प चुनना था।

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    वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ 10 डॉलर प्रति फ्लाइट वाले कंप्यूटर अपग्रेड से मलेशिया एयरलाइंस फ्लाइट नंबर 370 को खोजने का काम और उसकी जांच सही दिशा में, तेजी से और सही एटिट्यूट का पता चलता। ये सब तब भी होता अगर फ्लाइट के साथ सारे संपर्क टूट जाते।

    पढ़ें : अब तक अनसुलझी है एविएशन हिस्ट्री की सबसे बड़ी मिस्ट्री

    जांचकर्ताओं ने कहा है कि उनके मुताबिक हवाई जहाज के ट्रांसपोडर्स एंड एयरक्राफ्ट कम्युनिकेशंस एड्रेसिंग एंड रिपोर्टिग सिस्टम (एसीएआरएस) को पायलट द्वारा बंद कर दिया गया था या फिर कॉकपिट में उसे हाइजैक किया गया था।

    वाशिंगटन पोस्ट से एक सेटेलाइट इंडस्ट्री के अधिकारी ने बातचीत के दौरान कहा कि यदि स्विफ्ट नामक इस सिस्टम के पूरे पैकेज एप्लीकेशन को लिया गया होता तो वह इंजन प्रदर्शन, ईधन उपभोग, स्पीड, एटिट्यूड और डायरेक्शन की जानकारी देता रहता। यह सभी जानकारी फ्लाइट के कम्युनिकेशंस सिस्टम खराब होने के बाद भी मिलती रहती। वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, मलेशियन एयरलाइंस ने सस्ता विकल्प चुना था। कंपनी ने प्लेन लैंड करने के बाद यूएसबी स्टिक पर डाटा डाउनलोडिंग का विकल्प चुना था। कंपनी के मुताबिक, यह एसो एस सैटकॉम कम्युनिकेशन सिस्टम सभी ऑपरेशनल और अंतरराष्ट्रीय जरूरतों पर पूरा करने में लिए पर्याप्त है।

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    इस प्रकार की खोजी मामले में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) बेहद सफल सिस्टम है। आईओटी से फ्लाइट में अरबों सेंसर और डिवाइस लगाए जाते हैं जो इंटरनेट से जुड़े रहते हैं और यह अपने आप सभी एक्शन का डाटा जुटाते रहते हैं। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू ने अपने ब्लॉग में कहा गया है कि सभी रॉयल रॉयस ट्रेंड 800 जेट इंजन आईओटी से संबंध हैं। इसकी कीमत इतनी कम है कि कंपनियां इंजन में इस्तेमाल तेजी से करने लगी हैं। इससे ईधन प्रवाह, ऑयल प्रेशर, वायु तापमान, एयरक्राफ्ट एंगल, वाइब्रेशन आदि का डाटा अपने आप मिलता रहता है।

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